एमएसआरटीसी के कुछ कर्मवारियों की हड़ताल जारी, उच्च न्यायालय ने यूनियन के नेता को तलब किया

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महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब ने बुधवार को कहा था कि एमएसआरटीसी का राज्य सरकार से विलय करने और घाटे में चल रहे निगम से संबंधित अन्य मांगों पर दिवाली के बाद बातचीत होगी।

मुंबई|  महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) के कर्मचारियों के एक धड़े की हड़ताल बंबई उच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद बृहस्पतिवार को भी जारी रही।

अदालत ने हड़ताल खत्म करने के लिए कहा और कर्मचारी संघ के एक नेता को शुक्रवार को तलब किया है। एमएसआरटीसी की ओर से जारी बयान के मुताबिक,कर्मचारियों की हड़ताल के चलते शाम छह बजे तक निगम के 250 डिपो में से करीब 53 डिपो बंद रहे।

कर्मचारी संघों के सूत्रों ने बताया कि एमएसआरटीसी के कर्मचारियों का एक धड़ा नकदी संकट से जूझ रहे निगम का विलय करने की मांग को लेकर 28 अक्टूबर से ही हड़ताल पर है।

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उच्च न्यायालय ने एमएसआरटीसी द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर बुधवार शाम को सुनवाई करते हुए निर्देश दिया था कि निगम के कर्मचारी हड़ताल पर जाने से बचें।

न्यायालय बृहस्पतिवार को इस याचिका पर आगे की सुनवाई करते हुए कर्मचारी संघ को आड़े हाथ लिया। न्यायमूर्ति एस जे काठवाला और न्यायमूर्ति एसपी तावड़े की अवकाश पीठ ने कर्मचारी संघ के नेता अजय कुमार गुर्जर को निर्देश दिया कि वह पांच नवंबर को अदालत के समक्ष उपस्थित हों और बताएं कि उनके खिलाफ अदालती आदेश की अवमानना के लिए कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जाए।

महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब ने बुधवार को कहा था कि एमएसआरटीसी का राज्य सरकार से विलय करने और घाटे में चल रहे निगम से संबंधित अन्य मांगों पर दिवाली के बाद बातचीत होगी।

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गौरतलब है कि एमएसआरटीसी देश के सबसे बड़े परिवहन निगमों में से एक है, जिसके बेड़े में 16 हजार से अधिक बसें और करीब 93 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। कोरोना वायरस महमारी से पहले निगम की बसों में रोजाना 65 लाख यात्री सफर करते थे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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