बदलापुर घटना पर MVA का साइलेंट प्रोटेस्ट, उद्धव ठाकरे बोले- हमारी आवाज को नहीं दबाया जा सकता
उद्धव ठाकरे ने कहा कि जब सरकार को लगा कि महाराष्ट्र बंद रहेगा तो उन्होंने अपने समर्थकों को कोर्ट में भेज दिया। हमारा मामला पिछले दो साल से सुप्रीम कोर्ट में है और तारीखें दी जा रही हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी- शरद पवार (एनसीपी-एसपी), शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस सहित महा विकास अघाड़ी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने शनिवार को पूरे महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन किया। महाराष्ट्र के बदलापुर में दो नाबालिग लड़कियों के कथित यौन उत्पीड़न के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान प्रमुख चेहरों को अपने माथे और बांहों पर काली पट्टियां बांधे देखा गया। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बदलापुर घटना के खिलाफ मुंबई में विरोध प्रदर्शन किया।
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इस दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा कि जब सरकार को लगा कि महाराष्ट्र बंद रहेगा तो उन्होंने अपने समर्थकों को कोर्ट में भेज दिया। हमारा मामला पिछले दो साल से सुप्रीम कोर्ट में है और तारीखें दी जा रही हैं। हमें विश्वास है कि हमें न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि कल कोर्ट ने दिखा दिया कि कोर्ट इतनी जल्दी फैसला ले सकती है। उन्होंने कहा कि एक तरफ बहन पर अत्याचार हो रहा है और ये लोग राखी बांध रहे हैं। हमने जो शक्ति एक्ट बनाया था उसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्रपति जी से अपील करना चाहता हूं कि आपके कार्यालय में जो शक्ति कानून भेजा गया है उस पर ध्यान दें और जल्द से जल्द यह कानून महाराष्ट्र में लागू किया जाए। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, "अदालत ने भले ही हमारे बंद को रोक दिया हो, लेकिन वह हमारी आवाज को दबा नहीं सकती।" उद्धव ठाकरे ने महायुति सरकार को हटाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि राज्य में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह महत्वपूर्ण है। ठाकरे ने आरोप लगाया, ''दुख की बात है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय वह उनके साथ खड़ी है।''
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को राजनीतिक दलों को बदलापुर घटना के विरोध में 24 अगस्त को महा विकास अघाड़ी (एमवीए) द्वारा बुलाए गए बंद पर आगे बढ़ने से रोक दिया। जवाब में, उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को "बहिन सुरक्षित तर घर सुरक्षित" (बहनें सुरक्षित हैं तो घर सुरक्षित है) नारे के साथ एक हस्ताक्षर अभियान शुरू करने का निर्देश दिया, जिसे बॉम्बे उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा।
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