सगाई करके सरहद पर लौटे थे नायक मुकेश मन्हास, 30 अप्रैल को होने वाली थी शादी, जम्मू-कश्मीर के आतंकी हमले में हुए शहीद

नायक मुकेश सिंह मन्हास को अपनी सगाई समारोह में भाग लेने के बाद जम्मू-कश्मीर में अपने सेना शिविर में लौटे हुए अभी दो सप्ताह ही हुए थे। उनकी शादी अप्रैल में तय हुई थी और सांबा में मन्हास का परिवार जश्न के मूड में था
जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास मंगलवार को संदिग्ध आतंकवादियों की ओर से किए गए एक आईईडी विस्फोट में सेना के कैप्टन समेत दो जवान शहीद हो गए, जबकि एक अन्य घायल हो गया। सेना की उत्तरी कमान ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट जारी कर बताया कि शहीद सैनिकों की पहचान कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी और नायक मुकेश मन्हास के रूप में हुई है। यह हमला ऐसे समय में हुआ है, जब सेना की जम्मू स्थित ‘व्हाइट नाइट कॉर्प्स’ इकाई के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल नवीन सचदेवा ने सोमवार को राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा पर ‘‘शत्रुतापूर्णगतिविधियों’’ का जायजा लिया था।
नायक मुकेश सिंह मन्हास को अपनी सगाई समारोह में भाग लेने के बाद जम्मू-कश्मीर में अपने सेना शिविर में लौटे हुए अभी दो सप्ताह ही हुए थे। उनकी शादी अप्रैल में तय हुई थी और सांबा में मन्हास का परिवार जश्न के मूड में था। हालांकि, मंगलवार को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास आतंकवादियों द्वारा किए गए आईईडी विस्फोट में 29 वर्षीय मन्हास के शहीद होने के बाद यह जश्न मातम में बदल गया। मन्हास, झारखंड के कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी के साथ दोपहर करीब 3.50 बजे अखनूर के भट्टल इलाके में एक अग्रिम चौकी के पास गश्त कर रहे थे।
मन्हास दो सप्ताह की छुट्टी के बाद 28 जनवरी को अपनी सेना इकाई में फिर से शामिल हुए। बुधवार को जब उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रिश्तेदारों के पास लाया गया तो सांबा के ब्री कामिला गांव में उदासी का माहौल छा गया। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीणों ने मन्हास को एक महत्वाकांक्षी क्रिकेटर के रूप में याद किया जो हमेशा संकट में फंसे लोगों की मदद करने के लिए तैयार रहते थे। मन्हास के बचपन के दोस्त ने पीटीआई को बताया, "वह क्रिकेट प्रेमी था और गांव में अपने हाल के प्रवास के दौरान उसने युवाओं के लिए क्रिकेट पिच तैयार करने के लिए असाधारण प्रयास किए।"
उनके पिता चगतार सिंह, जो सेवानिवृत्त पुलिस कर्मी हैं, ने कहा कि मन्हास ने जम्मू के अखनूर में तैनात होने से पहले सियाचिन, कश्मीर और पंजाब में सेवा की थी। उन्होंने कहा कि उनके बेटे में बहुत छोटी उम्र से ही देश की सेवा करने की इच्छा थी। सिंह, जिनका छोटा बेटा भी सेना में है, ने संवाददाताओं को बताया, "उसने साढ़े नौ साल से अधिक समय तक सेना में सेवा की... वह अपनी रिंग सेरेमनी के लिए ड्यूटी से दो सप्ताह की छुट्टी लेकर 28 जनवरी को अपनी यूनिट में लौटा था।" मन्हास की दो बहनें हैं, दोनों की शादी हो चुकी है।
शहीद सैनिक की शादी 20 अप्रैल को होनी थी। परिवार के करीबी एक अन्य ग्रामीण ने कहा कि मन्हास हमेशा युवाओं को खेलों में शामिल होने और बुरी आदतों से दूर रहने के लिए प्रेरित करता था। उन्होंने कहा, "हमने एक सच्चा रत्न खो दिया है। दुश्मन में हमारे बहादुर सैनिकों का सामना करने का साहस नहीं है। हमें विश्वास है कि हमारे सुरक्षा बल शहीदों को न्याय दिलाने के लिए उचित कार्रवाई करेंगे।"
In a solemn wreath-laying ceremony, #GOC @Whiteknight_IA laid a wreath at Air Force Station #Jammu to pay homage to #Bravehearts Captain Karamjit Singh Bakshi & Naik Mukesh Singh Manhas, who made the supreme sacrifice on 11 February in the highest traditions of the #IndianArmy. pic.twitter.com/W5kpLPDOjB
— PRO Defence Jammu (@prodefencejammu) February 12, 2025
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