नसीम खान ने NIA पर लगाया आरोप, कहा- केंद्र सरकार के इशारे पर मालेगांव मामले को कमजोर करने की कर रही कोशिश
राज्य कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष नसीम खान ने कहा कि तत्कालीन एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले की जांच की और प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित और कई अन्य को गिरफ्तार किया था। लेकिन इस मामले को एनआईए को सौंपे जाने के बाद, प्रज्ञा ठाकुर पर लगे मकोका को हटा दिया गया
मुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) केंद्र सरकार के इशारे पर मालेगांव बम विस्फोट मामले को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। ऐसा आरोप पूर्व मंत्री और राज्य कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष नसीम खान ने लगाया है। उन्होंने कहा कि एटीएस और राज्य सरकार की छवि खराब करने और उत्तर प्रदेश चुनाव में इसका फायदा उठाने के लिए इसे हिंदू विरोधी के रूप में पेश किया जा रहा है। नसीम खान ने गुरुवार को एटीएस प्रमुख से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन दिया।
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उन्होंने कहा कि तत्कालीन एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले की जांच की और प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित और कई अन्य को गिरफ्तार किया था। लेकिन इस मामले को एनआईए को सौंपे जाने के बाद, प्रज्ञा ठाकुर पर लगे मकोका को हटा दिया गया और उन्हें बरी करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में 223 गवाह हैं जिनमें से 16 गवाह अपने बयान से मुकर गए हैं। वहीं 100 गवाहों के बयान अभी तक दर्ज नहीं की गई है। नसीम ने कहा कि इन गवाहों को बचाने की जरूरत है।
उन्होंने आरोप लगाया कि गवाह आरोपियों के दबाव में बयान देते नजर आ रहे हैं। नसीम ने कहा कि केंद्र की सत्ताधारी दल उत्तर प्रदेश चुनाव में इसका फायदा उठाने के लिए महाराष्ट्र सरकार और एटीएस की छवि खराब करने का काम कर रही है। नसीम खान ने आगे कहा कि इस मामले में एनआईए की भूमिका संदिग्ध है। क्योंकि एनआईए ने न्यायालय के किसी भी फैसले को चुनौती नहीं दी है जिसमें आरोपियों को रिहा किया गया था।
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गौरतलब है कि एनआईए के अनुरोध के बावजूद एनआईए कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर को मुक्त नहीं किया है और मामला जारी है। कुछ गवाहों ने एटीएस पर परेशान करने का आरोप लगाया है। ये गवाह राज्य सरकार और एटीएस की छवि खराब कर रहे हैं। नसीम खान ने मांग की है कि राज्य सरकार और एटीएस पर जनता का भरोसा कायम रखने के लिए मामले में शामिल अधिकारियों को हर सुनवाई के लिए कोर्ट भेजा जाए।
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