नारायण राणे को मंत्री बनाना भाजपा सरकार की मजबूरी थी या जरूरत ? ऐसा रहा उनका राजनीतिक कॅरियर

Narayan Rane

एक क्लर्क के रूप में जीवन की शुरुआत करने वाले नारायण राणे ने शिवसेना शाखा प्रमुख बनने से लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का तक का सफर तय किया। इसके अलावा वो विधानसभा में विपक्ष के नेता भी बने।

मुंबई। महाराष्ट्र के दिग्गज नेता नारायण राणे ने गुरुवार को नए केंद्रीय एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मंत्रालय अधिक रोजगार सृजित करने और जीडीपी वृद्धि में तेजी लाने की दिशा में काम करेगा। 

इसे भी पढ़ें: अफवाहों पर पंकजा मुंडे ने लगाया विराम, कहा- कभी मंत्रीपद की मांग नहीं की, किसी से मतभेद नहीं 

कौन हैं नारायण राणे ?

एक क्लर्क के रूप में जीवन की शुरुआत करने वाले नारायण राणे ने शिवसेना शाखा प्रमुख बनने से लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का तक का सफर तय किया। इसके अलावा वो विधानसभा में विपक्ष के नेता भी बने। हालांकि बालासाहेब ठाकरे की मौजूदगी में शिवसेना से राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले नारायण राणे को उद्धव ठाकरे के चलते पार्टी से निकाल दिया गया।

जब सोनिया से मांगी थी माफी

नारायण राणे ने साल 2005 में कांग्रेस का हाथ थामा और उन्हें उद्योग और राजस्व मंत्री बनाया गया। लेकिन जब कांग्रेस ने अशोक चव्हाण को मुख्यमंत्री बनाया तो इससे नाराज होकर नारायण राणे ने खूब बयानबाजी की। जिसके चलते उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निलंबित कर दिया गया। हालांकि उन्होंने तब की अध्यक्षा सोनिया गांधी से माफी मांगी और फिर उनका निलंबन समाप्त हो गया।

राणे ने बनाई खुद की पार्टी

नारायण राणे ने साल 2017 में कांग्रेस का साथ छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाने का ऐलान किया। उस वक्त उन्होंने महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष का गठन किया। लेकिन 2018 में भाजपा को अपना समर्थन दे दिया। नारायण राणे ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे। जिसकी बदौलत उन्हें केंद्रीय मंत्री पद मिल सका। 

इसे भी पढ़ें: उद्धव सरकार ने चेहरा चमकाने के लिए खर्च किए 155 करोड़? RTI के जरिये हुआ खुलासा 

भाजपा की जरूरत हैं राणे !

नारायण राणे भाजपा की जरूरत बन चुके हैं। इसके पीछे कई तरह के तर्क दिए जाते हैं। राजनीतिक गलियारों में इस विषय पर काफी चर्चा भी हुई। आपको बता दें कि भाजपा ने नारायण राणे पर दांव खेलकर मराठा और ओबीसी आरक्षण आंदोलन, शिवसेना से बदला, बीएमसी चुनाव जैसे इत्यादि मामलों को साधने का प्रयास किया है।

मराठा आंदोलन

महाराष्ट्र में मराठा और ओबीसी आरक्षण आंदोलन का मुद्दा महाविकास अघाड़ी सरकार की मुश्किलें बढ़ा रहा है। राज्य की मौजूदा पार्टियां इन मुद्दों को भुनाकर अगामी चुनाव में इसका इस्तेमाल करना चाहती है। जहां तक भाजपा की बात है तो वह आगामी विधानसभा चुनाव अपनी प्रतिद्वंद्वी पार्टी शिवसेना के खिलाफ लड़ेगी। ऐसे में नारायण राणे बहुत काम आने वाले हैं।

मराठा आरक्षण मामले में नारायण राणे ने अपनी राय बेबाकी के साथ रखी है और उद्धव सरकार को निशाना बनाया था। ऐसे में भाजपा, नारायण राणे के सहारे मराठा युवाओं को अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। आपको बता दें कि मराठा समुदाय के लोगों के बीच में भाजपा के प्रति गुस्सा अभी भी है लेकिन नारायण राणे इसे समाप्त करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

महाराष्ट्र में मराठों और ओबीसी के लिए आरक्षण का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण विषय रहा है। ऐसे में पृथ्वीराज चव्हाण सरकार में नारायण राणे को मराठाओं को आरक्षण देने के लिए बनाई गई कमिटी का अध्यक्ष बनाया गया था। उस वक्त उन्होंने मराठा समुदाय के साथ-साथ ओबीसी के बीच अपने प्रभाव क्षेत्र को बढ़ाने के लिए राज्य का दौरा किया था। इसके बाद कमिटी ने ओबीसी समूहों के आरक्षण का उल्लंघन किए बिना मराठों को 16 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की। 

इसे भी पढ़ें: फिर दोहराया इतिहास ! कभी गोपीनाथ मुंडे ने चलाया था कृत्रिम सत्र और अब फडणवीस ने... 

नारायण राणे की कमिटी की सिफारिशों को कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन वाली सरकार ने स्वीकार कर लिया। लेकिन मामला अदालत जा पहुंचा। उसके बाद जब प्रदेश में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार बनी तो शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मराठा आरक्षण को 16 से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया।

कहा जा रहा है कि नारायण राणे को मोदी मंत्रिमंडल में जगह देकर मराठा समुदाय की नाराजगी को खत्म करने का प्रयास किया गया है। प्रदेश में अभी नारायण राणे के अलावा शायद ही कोई मराठा नेता हो और इससे भाजपा को चुनावों में काफी सहायत मिलने की संभावना भी है।

बीएमसी चुनाव

देश की सबसे अमीर महानगरपालिका के रूप में जानी जाने वाली बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) का अगले साल चुनाव होने वाला है। माना जा रहा है कि शिवसेना से मिले धोखे के बाद भाजपा ने उन्हें बीएमसी से उखाड़ फेंकने का लक्ष्य निर्धारित किया है। ऐसे में नारायण राणे का हमलावर होना उन्हें फायदा पहुंचा सकता है। जब से नारायण राणे ने भाजपा का दामन थामा है तब से उन्होंने शिवसेना पर ताबड़तोड़ हमले किए हैं। इतना ही नहीं नारायण राणे को मंत्री बनाकर भाजपा ने शिवसेना के वोट बैंक में सेंध लगाने का भी कोशिश की है।

32 साल तक शिवसेना में रहने वाले नारायण राणे ठाकरे परिवार की अंदरूनी हकीकत से वाकिफ हैं और तो और उनकी रणनीतियों को भी भेदने के काबिल हैं। ऐसे में भाजपा के लिए नारायण राणे किसी मिसाइल से कम नहीं हैं। 

इसे भी पढ़ें: धनशोधन मामले में अनिल देशमुख के सहायकों को 20 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया 

भाजपा विधायकों का निलंबन

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद अटकलें लगाई जाने लगी की दोनों पार्टियां करीब आ रही हैं। जिसका खामियाजा महाविकास अघाड़ी सरकार को होगा। इसके अतिरिक्त शिवसेना सांसद संजय राउत की भाजपा नेता आशीष शेलार से मुलाकात और देवेंद्र फडणवीस का बयान काफी चिंतित कर रहा था। लेकिन फिर विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा के 12 विधायकों के निलंबन से इस तरफ की अटकलों पर विराम लग गया और दोनों पार्टियां एक-दूसरे के मुखर हो गईं। माना यह भी जा रहा है कि नारायण राणे का कद बढ़ाकर भाजपा ने शिवसेना को पटकनी दे दी है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़