कोविड-19 से जान गंवाने वालों के परिजनों को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाए: गहलोत
केंद्र सरकार को गृह मंत्रालय द्वारा 14 मार्च, 2020 को जारी अपने पहले के आदेश को लागू करना चाहिए जिसमें जहां केंद्र ने कोरोना के कारण किसी व्यक्ति की मौत पर मृतक के परिजनों को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि की प्रतिबद्धता जताई थी।
जयपुर| राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण जान गंवाने वालों के परिजनों को 50,000 रुपये के बजाय चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जानी चाहिए।
साथ ही गहलोत ने कहा कि देश में कोरोना वायरस के कारण कितनी मौतें हुई हैं, इसकी सच्चाई सामने आनी चाहिए। गहलोत ने अपने पत्र में कहा है कि केंद्र सरकार को गृह मंत्रालय द्वारा 14 मार्च, 2020 को जारी अपने पहले के आदेश को लागू करना चाहिए जिसमें जहां केंद्र ने कोरोना के कारण किसी व्यक्ति की मौत पर मृतक के परिजनों को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि की प्रतिबद्धता जताई थी।
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पत्र के अनुसार, हालांकि बाद में सरकार ने इस अधिसूचना में संशोधन किया और अनुग्रह राशि को घटाकर 50,000 रुपये कर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा, हमें लगता है कि संकट के ऐसे समय में, केंद्र सरकार द्वारा चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि के भुगतान की अपनी पूर्व प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए विशेष विचार किया जाना चाहिए।
पत्र में कहा गया, कल्याणकारी राष्ट्र के रूप में, यह हमारी साझा जिम्मेदारी है कि हम जरूरत के समय अपने नागरिकों की देखभाल करें।
हमारे राज्य ने इस कठिन समय में लोगों की मदद करने के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं। हमें उम्मीद है कि केंद्र सरकार भी इस जिम्मेदारी को साझा करेगी।
गहलोत ने पत्र में लिखा है कि एसडीआरएफ मानदंडों के अनुसार चार लाख रुपये की 75 फीसदी राशि यानी तीन लाख रुपये केंद्र सरकार द्वारा जबकि शेष 25 फीसदी राशि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपने हिस्से को वहन करने के लिए तैयार है।
मुख्यमंत्री ने कहा है, मैं इस मामले में आपके सहयोग की उम्मीद करता हूं, ताकि हम संकट के इस समय में अपने नागरिकों के साथ खड़े हो सकें, उनके दर्द को कम कर सकें, उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने लायक सहायता प्रदान कर सकें।
बाद में एक वीडियो संदेश में गहलोत ने कहा, मैं समझता हूं कि पहले केंद्र सरकार की खुद की मंशा चार लाख रुपये देने की थी। उसने इस बारे में आदेश निकाला, लेकिन उसे वापस लेने की बात समझ में नहीं आती है।
उसके बाद उच्चतम न्यायालय में आप कह रहे हैं कि सिर्फ 50,000 रुपये देंगे। आज के जमाने में 50,000 रुपये क्या होते हैं? मेरा मानना है कि केंद्र सरकार इस पर विचार करे और प्रधानमंत्री खुद देखें इसको।
इसके अलावा, गहलोत ने कहा, देश में कोरोना वायरस संक्रमण से हुई मौतों को लेकर जो विवाद खड़ा हो रहा है उसमें भारत सरकार को चाहिए कि कोई ऐसी व्यवस्था बनाए जिससे कि हम उस गरीब घर तक पहुंच सकें जहां इससे मौत हुई है और वह बताई नहीं गई है।
उन्होंने कहा कि इस बारे में कई राज्यों पर आरोप लगे हैं जबकि सच्चाई सामने आने से भविष्य की योजना बनाने में आसानी रहती है।
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उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बुधवार को कहा कि सरकार को कोरोना के कारण जान गंवाने वालों के सही आंकड़े बताने चाहिए और हर प्रभावित परिवार को चार लाख रुपये का मुआवजा देना चाहिए।
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