7 साल बाद फिर सुर्खियों में आया 16 दिसंबर केस, पत्रकार ने किया निर्भया के दोस्त से जुड़ा बड़ा खुलासा

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अभिनय आकाश । Oct 14 2019 3:13PM

अंजुम ने कहा कि उस वक्त जब कई चैनल निर्भया के इस ''दोस्त '' के लंबे -लंबे इंटरव्यू चला रहे थे, तब अगर हमने एक घंटे का ये स्पेशल शो और स्टिंग चला दिया होता तो रेटिंग भी आती। हंगामा भी मचता। देशभर में चर्चा भी होती और चैनल का नाम भी होता। फिर भी मैंने सोच-समझकर फैसला लिया कि इसे नहीं चलाना।

नई दिल्ली। 16 दिसंबर की रात को दिल्ली में घटित हई एक वारदात जिसने देश और दुनिया को झकझोर कर रख दिया। चलती बस में छह लोगों ने एक लड़की की इज्जत को न सिर्फ तार-तार किया बल्कि अपनी हैवानियत से इंसानियत को भी शर्मसार किया। हम बात कर रहे हैं 'निर्भया रेप केस' की। लेकिन इस घटना के सात साल बाद एक बार फिर निर्भया कांड से जुड़ा मामला सुर्खियों में है। वरिष्ठ टीवी पत्रकार अजीत अंजुम ने इस केस से जुड़ा बड़ा खुलासा ट्वीटर के जरिए किया है। पत्रकार ने बताया कि अपने दोस्त के साथ हुई दर्दनाक दास्तां सुनाने के बदले घटना के समय साथ रहा उसका दोस्त टीवी चैनलों से पैसे लेता था। अजीत अंजुम के मुताबिक, टीवी चैनलों पर आने के बदले अपने चाचा के साथ मिलकर लड़का पैसों की डील करता था। निर्भया के उस 'दोस्त' के सामने स्टूडियो इंटरव्यू के लिए 70 हजार रुपये दिए गए। खुफिया कैमरे में सब रिकॉर्ड हुआ। फिर उसे स्टूडियो ले जाया गया। दस मिनट की बातचीत के बाद ऑन एयर ही उस लड़के से पूछा गया कि आप निर्भया की दर्दनाक दास्तान सुनाने के लिए चैनलों से पैसे क्यों लेते हो?’ लड़की के दोस्त को बेनकाब करने के लिए उन्होंने सितंबर 2013 में स्टिंग भी कराया था, मगर उस स्टिंग को उन्होंने टीवी चैनल पर न चलाने का फैसला किया था।

अंजुम ने कहा कि उस वक्त जब कई चैनल निर्भया के इस 'दोस्त ' के लंबे -लंबे इंटरव्यू चला रहे थे, तब अगर हमने एक घंटे का ये स्पेशल शो और स्टिंग चला दिया होता तो रेटिंग भी आती। हंगामा भी मचता। देशभर में चर्चा भी होती और चैनल का नाम भी होता। फिर भी मैंने सोच-समझकर फैसला लिया कि इसे नहीं चलाना। निर्भया के उस 'दोस्त' को मैं जितना सुना सकता था, सुनाया। उस शो को ऑन एयर करने के लिए करीब-करीब पूरा न्यूजरुम एक तरफ और मैं एक तरफ। रिकार्डिंग के बाद उसे ऑन एयर नहीं करने का फैसला मेरा था। रिकार्डिंग के बाद मुझे लगा कि कहीं आरोपियों के वकील इसका इस्तेमाल अपने पक्ष में न कर लें। उस लड़के की आंखों में मुझे कभी दर्द नहीं दिखा। उसकी आवाज़ में निर्भया की चीखों की पीड़ा मुझे कभी नहीं दिखी। उसकी जगह कोई होता तो हर बार टूटता, रोता... लेकिन वो तो पैसे ले लेकर इंटरव्यू दे रहा था। पता नहीं उसने निर्भया को बचाने की कोशिश भी कितनी की होगी ? ये सवाल मेरे भीतर आज भी है।

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