NRC पर कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार, राजनाथ बोले- प्रक्रिया तय समय में पूरी होगी

जब वेणुगोपाल और असम सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने हस्तक्षेप करने का प्रयास किया तो पीठ ने कहा कि अधिकारियों ने उन्हें समुचित जानकारी नहीं दी है।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सुरक्षा बलों की अनुपलब्धता का हवाला देकर आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान एनआरसी की प्रक्रिया रोकने की मांग करने के लिये केंद्र को मंगलवार को फटकार लगाते हुए कहा कि वह असम में एनआरसी के काम को रोकने पर तुला हुआ है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि वह एनआरसी को अंतिम रूप देने के लिये 31 जुलाई की समय-सीमा नहीं बढ़ाएगी। उच्चतम न्यायालय के फटकार लगाने के कुछ ही घंटे बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा कि सरकार निर्धारित समय-सीमा के भीतर एनआरसी की प्रक्रिया पूरी करने के लिये प्रतिबद्ध है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी विदेशी को एनआरसी में शामिल नहीं किया जाए और कोई भी भारतीय नागरिक इसमें शामिल होने से छूटे नहीं।
Home Minister Rajnath Singh: The Government is committed to complete the NRC process within the stipulated time and ensure that neither any Indian national’s name is excluded nor any foreigner’s name included in the Final NRC. pic.twitter.com/w2PfjdM5QC
— ANI (@ANI) February 5, 2019
शीर्ष अदालत उस वक्त नाराज हो गई जब अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख से आगामी चुनाव की तारीख के दो हफ्ते बाद तक प्रक्रिया रोक दी जाए क्योंकि असम में एनआरसी के काम में लगी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 167 कंपनियों को चुनावों के दौरान कानून व्यवस्था बरकरार रखने के लिये देश के अन्य हिस्सों में भेजा जाएगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ ने कहा, ‘‘हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है। गृह मंत्रालय एनआरसी की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाने पर तुला हुआ है और वह इस अदालत द्वारा किये जा रहे सभी प्रयासों पर पानी फेरने में लगा है।’’
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पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि एनआरसी के काम के लिये राज्य सरकार के 3457 अधिकारियों को मुक्त रखा जाए और चुनाव आयोग से ‘‘चुनाव के मद्देनजर जिलाधिकारी, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट रैंक के अधिकारियों का तबादला होने की संभावना को देखते हुए उन्हें तबादले से छूट दिये जाने के मामले पर विचार करने को कहा।’’ सीएपीएफ की उपलब्धता और चुनाव के दौरान सुरक्षा बलों की कितनी कंपनियों की जरूरत होगी, इस पर गृह मंत्रालय के अधिकारी के जवाब से असंतुष्ट होकर सीजेआई ने कहा, ‘‘क्या आप चाहते हैं कि हम गृह सचिव और अन्य संबंधित अधिकारियों को तलब करें।’’ जब वेणुगोपाल और असम सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने हस्तक्षेप करने का प्रयास किया तो पीठ ने कहा कि अधिकारियों ने उन्हें समुचित जानकारी नहीं दी है।
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