महाराष्ट्र सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किया जाने वाला ओबीसी प्रस्ताव ‘भ्रामक’ : देवेंद्र फडणवीस

OBC resolution

उच्चतम न्यायालय ने इस साल के शुरू में स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण को रद्द करते हुए कहा था कि अनुसूचित जाति और जनजाति समेत विभिन्न समुदायों के लिये निर्धारित सीटों की संख्या कुल सीटों के 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती।

मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने प्रदेश सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किए जाने वाले उस प्रस्ताव को सोमवार को “भ्रामक” करार दिया जिसमें केंद्र से 2011 की जनगणना के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आबादी का आंकड़ा मुहैया कराने की मांग की गईहै, ताकि स्थानीय निकाय में ओबीसी के सदस्यों के लिये आरक्षण पर स्थगन लिया जा सके। उच्चतम न्यायालय ने इस साल के शुरू में स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण को रद्द करते हुए कहा था कि अनुसूचित जाति और जनजाति समेत विभिन्न समुदायों के लिये निर्धारित सीटों की संख्या कुल सीटों के 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती।

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महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले संवाददाताओं से बातचीत में फडणवीस ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के माध्यम से एक गहन जांच (ओबीसी आबादी के मुद्दे पर) के लिए कहा था। उन्होंने कहा, “शीर्ष अदालत ने जनगणना के आंकड़ों के लिये नहीं कहा था। यह प्रस्ताव समय बिताने और इससे बचने के लिये हैं, यह भ्रामक है जिससे कुछ हासिल नहीं होगा।

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लेकिन, हम प्रस्ताव का समर्थन करेंगे क्योंकि हम अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ खड़े होना चाहते हैं।” महाराष्ट्र विधानसभा के दोनों सदनों में पेश किए जाने वाले प्रस्ताव में कहा गया है कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग गठित किया गया है और इसे ओबीसी आबादी पर व्यापक आंकड़े तैयार करने के लिये 2011 की जनगणना के सामाजिक, आर्थिक और जाति आधारित आंकड़ों की जरूरत होगी। इस आंकड़े की जरूरत स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को बहाल करने के लिये होगी।

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