लोकसभा में प्रधानमंत्री ने कहा- पुरानी कृषि प्रणाली जारी रहेगी, जानिए दिनभर सदन में क्या कुछ हुआ ?

Narendra Modi Lok Sabha

संसद के दोनों सदनों के समक्ष राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश किया गया धन्यवाद प्रस्ताव बुधवार को लोकसभा से पारित हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धन्यवाद प्रस्ताव पर पिछले दो दिनों तक चली चर्चा का जवाब दिया और उसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों की ओर से लाए गए संशोधन प्रस्तावों को सदन में रखा।

केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के विरुद्ध दिल्ली की सीमाओं पर दो महीने से अधिक समय से जारी किसानों के प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि संसद और सरकार किसानों का बहुत सम्मान करती हैं और तीनों कृषि कानून किसी के लिये ‘‘बाध्यकारी नहीं हैं बल्कि वैकल्पिक’’ हैं, ऐसे में विरोध का कोई कारण नहीं है। उन्होंने किसानों से बातचीत के लिए आने का एक बार पुन: आह्वान करते हुए स्पष्ट किया कि जो पुरानी कृषि विपणन प्रणाली को जारी रखना चाहते हैं, वे ऐसा कर सकते हैं। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने तीन कृषि कानूनों का पुरजोर बचाव करते हुए कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों पर ‘‘झूठ एवं अफवाह’’फैलाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने अपने भाषण के बीच सदन में शोर-शराबा करने वाले विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि ये जो हो-हल्ला, ये आवाज हो रही हैं और रुकावटें डालने का प्रयास हो रहा हैं...यह एक सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘ रणनीति ये है कि जो झूठ, अफवाहें फैलाई गई हैं, उसका पर्दाफाश हो जाएगा। लोग सच्चाई नहीं जान पाएं, इसलिए हो-हल्ला मचाने का खेल चल रहा है। लेकिन ये लोगों का विश्वास कभी नहीं जीत पायेंगे।’’ निचले सदन में करीब 90 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए उसे ‘विभाजित और भ्रमित’’ पार्टी करार दिया और कहा कि वह न तो अपना भला कर सकती है और ना ही देश की समस्याओं के समाधान के लिए सोच सकती है। कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा‘‘ कानून बनने के बाद किसी भी किसान से मैं पूछना चाहता हूं कि पहले जो हक और व्यवस्थाएं उनके पास थी, उनमें से कुछ भी इस नए कानून ने छीन लिया है क्या ? इसका जवाब कोई देता नहीं है,क्योंकि सबकुछ वैसा का वैसा ही है। ’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने तीन कृषि कानूनों को लेकर हर उपबंध पर चर्चा की पेशकश की और अगर इसमें कोई कमी है, तब बदलाव करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ यह सदन, हमारी सरकार और हम सभी; किसानों का सम्मान करते हैं जो कृषि कानूनों पर अपनी बात रख रहे हैं। यही कारण है कि हमारे शीर्ष मंत्री उनसे लगातार बात कर रहे हैं। किसानों के लिये काफी सम्मान है।’’ 

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मोदी ने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपील की, ‘‘आइये, बातचीत की टेबल पर बैठकर चर्चा करें और समाधान निकालें।’’ मोदी ने यह भी कहा कि किसान आंदोलन पवित्र है, लेकिन किसानों के पवित्र आंदोलन को बर्बाद करने का काम आंदोलनकारियों ने नहीं, आंदोलनजीवियों ने किया है। हमें आंदोलकारियों एवं आंदोलनजीवियों में फर्क करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री के भाषण के बीच में कांग्रेस के सदस्यों ने विरोध जताते हुए सदन से बर्हिगमन किया। गौरतलब है कि तीन विवादित कृषि कानूनों के विरोध में पिछले दो महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमा पर पंजाब, हरियाण, उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों के हजारों किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस सदस्यों के इस रुख पर कटाक्ष करते मोदी ने कहा, ‘‘हम मानते थे की हिंदुस्तान की बहुत पुरानी पार्टी... कांग्रेस पार्टी... जिसने करीब-करीब छह दशक तक इस देश में शासन किया है.. उस पार्टी का यह हाल हो गया है कि पार्टी का राज्यसभा का तबका एक तरफ चलता है और पार्टी का लोकसभा का तबका दूसरी तरफ चलता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी विभाजित पार्टी...ऐसी भ्रमित पार्टी...न खुद का भला कर सकती है और ना ही देश की समस्याओं के समाधान के लिए सोच सकती है।’’ मोदी ने कहा, ‘‘ पहली बार इस सदन में ये नया तर्क आया कि ये हमने मांगा नहीं तो दिया क्यों? आपने लेना नहीं हो तो किसी पर कोई दबाव नहीं है। ’’ मोदी ने कहा कि इस देश में दहेज के खिलाफ कानून बने, इसकी किसी ने मांग नहीं की, लेकिन प्रगतिशील देश के लिए जरूरी था, इसलिए कानून बना। मोदी ने कहा कि इस देश के छोटे किसान को कुछ पैसे मिले इसकी किसी भी किसान संगठन ने मांग नहीं की थी। लेकिन प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत उनको हमने धन देना शुरू किया। उन्होंने कहा कि तीन तलाक कानून, शिक्षा का अधिकार कानून, बाल विवाह रोकने के कानून की किसी ने मांग नहीं की थी, लेकिन समाज के लिए जरूरी था इसलिए कानून बना। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मांगने के लिए मजबूर करने वाली सोच लोकतंत्र की सोच नहीं हो सकती है।’’

गौरतलब है कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने चर्चा के दौरान कहा था कि जब किसानों ने इन कानूनों की मांग नहीं की तब इसे क्यों लाया गया। विपक्षी दलों ने सरकार से तीन विवादित कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जितना सशक्त बनेगा, उतना ही वह मानव जाति के और विश्व के कल्याण में अपनी भूमिका निभाएगा। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस वक्त विश्व ने एक नया आकार लिया था और ठीक उसी प्रकार कोविड-19 के बाद भी विश्व अपना आकार लेगा लेकिन आज का भारत ‘‘मूकदर्शक’’ बना नहीं रह सकता। उन्होंने कहा, ‘‘हमें भी एक मजबूत देश के रूप में उभरना होगा। जनसंख्या के आधार पर हम दुनिया में अपनी मजबूती का दावा नहीं कर पाएंगे। वह हमारी एक ताकत है लेकिन इतनी ताकत मात्र से नहीं चलता है। नए वैश्विक मॉडल में भारत को अपनी जगह बनाने के लिए सशक्त होना पड़ेगा, समर्थ होना पड़ेगा और उसका रास्ता है आत्मनिर्भर भारत।’’ उन्होंने कहा कि आज फार्मेसी के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर है और देश ने दुनिया को कोविड संक्रमण के दौरान दिखाया कि वह कैसे वैश्विक कल्याण के काम आ सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत जितना सशक्त बनेगा, जितना समर्थ बनेगा, मानव जाति के कल्याण के लिए, विश्व के कल्याण के लिए एक बहुत बड़ी भूमिका अदा कर सकेगा। हमारे लिए आत्मनिर्भर भारत के विचार आवश्यक हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण देश के 130 करोड़ नागरिकों की संकल्प शक्ति का परिचय है कि विकट और विपरीत परिस्थितियों में देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और उसे हासिल करते हुए आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के अभिभाषण का एक-एक शब्द देशवासियों में एक नया विश्वास पैदा करने वाला है और हर किसी के दिल में देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा जगाने वाला है। इसलिए हम उनका जितना आभार व्यक्त करें उतना कम है।’’ अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में बड़ी संख्या में महिला सदस्यों की भागीदारी के लिए प्रधानमंत्री ने उनका विशेष रूप से धन्यवाद किया। 

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राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव लोकसभा से पारित

संसद के दोनों सदनों के समक्ष राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश किया गया धन्यवाद प्रस्ताव बुधवार को लोकसभा से पारित हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धन्यवाद प्रस्ताव पर पिछले दो दिनों तक चली चर्चा का जवाब दिया और उसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों की ओर से लाए गए संशोधन प्रस्तावों को सदन में रखा। सभी संशोधन प्रस्ताव ध्वनि मत से खारिज कर दिए गए। प्रधानमंत्री जब चर्चा का जवाब दे रहे थे तो कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस के सदस्यों ने हंगामा किया और बाद में उन्होंने सदन से बहिर्गमन किया। बाद में प्रधानमंत्री के जवाब से असंतुष्ट होने की बात कर द्रविड़ मुनेत्र कड़गम और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य भी सदन से बहिर्गमन कर गए। धन्यवाद प्रस्ताव पारित होने के दौरान इन तीनों दलों के सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे।  

बजट में गरीबों, वंचित वर्गो की सुध ली गई, विपक्ष नफरत में अंधा नहीं हो: लेखी 

विपक्षी दलों पर राजनीति के लिए बेकार के मुद्दे उठाने का आरोप लगााते हुए भाजपा ने बुधवार को कहा कि इस बजट में गांव, गरीब, वंचित वर्गो, किसानों आदि के कल्याण के साथ उन सभी लोगों को मौका दिया है जो भारत की स्थिति, उसकी अर्थव्यवस्था को बदलना चाहते हैं। लोकसभा में 2021-22 के केंद्रीय बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के निर्णयों और दूरदृष्टि के कारण देश प्रगति पथ पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने बहुत काम किया है और बहुत काम अभी करने हैं और ‘‘मुझे विश्वास है कि सरकार उसे करेगी’’। उन्होंने कहा कि इस बार बजट में हर क्षेत्र में पहले के बजटों के मुकाबले दोगुना या दोगुने से अधिक पैसा दिया गया है। लेखी ने कोरोना वायरस महामारी का जिक्र करते हुए कहा कि विभिन्न अर्थशास्त्रियों और संस्थाओं ने इस संबंध में भ्रामक भविष्यवाणियां की थीं। एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में रोजाना कोरोना वायरस संक्रमण के 18 करोड़ मामले सामने आएंगे और एक करोड़ लोग मारे जाएंगे। इसी तरह एक अर्थशास्त्री ने कहा कि रोजाना देश में 50 से 70 लाख लोग इससे प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि ये सारी बातें गलत साबित हुईं। लेखी ने कहा कि विपक्ष नफरत में इतना अंधा नहीं हो सकता कि सही चीजों पर भी सवाल खड़े करे।

लेखी ने कहा कि कोरोना वायरस ने देश में आपूर्ति श्रृंखला को बाधित किया और इस सरकार ने उसी अवरोध को आधार बनाकर बजट तैयार किया है। उन्होंने कहा, ‘‘बहुत काम किया गया है और बहुत काम अभी किया जाना है और मुझे विश्वास है कि सरकार उसे पूरा करेगी।’’ लेखी ने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘जब इतने अच्छे काम हो रहे हैं तो कुछ जयचंदों को दिक्कत क्यों हो रही है। मास्क पहनने से दिक्कत, लॉकडाउन से दिक्कत, टीके बनने से दिक्कत, जीएसटी संग्रह बढ़े तो दिक्कत, महिलाओं और बच्चों के लिए कल्याण के काम हों तो उन्हें परेशानी।’’ भाजपा सांसद ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएं पहुंचाने के लिए ’पूरा’ की अवधारणा रखी थी जिस पर हमारी सरकार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार इतने वर्षों तक रही लेकिन गरीबों के पास बैंक खाता भी नहीं था लेकिन आज केंद्र सरकार ने जनधन खाते खोलकर और गरीबों, किसानों के खातों में धन पहुंचाकर उन्हें समृद्ध किया है।  

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प्रधानमंत्री जान गंवाने वाले किसानों पर कुछ कहने को तैयार नहीं : कांग्रेस

लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य के दौरान लोकसभा से कांग्रेस के सदस्यों के वाकआउट करने करने के बाद पार्टी ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसान आंदोलन में जान गंवाने वालों के बारे में बात करने को तैयार नहीं है और उनके संबोधन से कोई संतुष्टि नहीं मिली। सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘ किसान आंदोलन में 200 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। फिर भी प्रधानमंत्री ने कुछ कहने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने यह भी कह दिया कि हमारे कानून में किसी को लाभ हो सकता और किसी को हानि हो सकती है। हमने उनसे आग्रह किया कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाए, जैसा किसान चाहते हैं।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘जब आप 18 महीने के लिए कानूनों का क्रियान्वयन स्थगित कर सकते हैं तो फिर इन कानूनों को वापस क्यों नहीं ले सकते हैं? आप कैसा देश बनाना चाहते हैं कि किसानों के रास्ते में कीलें ठोकी जाती हैं?’’ चौधरी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के वक्तव्य से कोई संतुष्टि नहीं मिली, इसलिए पार्टी को मजबूरन सदन से वाकआउट करना पड़ा।

देश में हाथ से मैला ढोने वाले 66 हजार से अधिक लोगों की पहचान की गई: सरकार

केंद्र सरकार ने बुधवार को बताया कि देश में हाथ से मैला ढोने वाले 66,692 लोगों की पहचान कर ली गई है। इनमें से 37,379 लोग उत्तर प्रदेश के हैं। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने कहा कि पिछले पांच सालों में नालों व टैंकों की सफाई के दौरान 340 लोगों की जान गई है। उन्होंने बताया कि जिन 340 लोगों की मौत हुई है उनमें से 217 को पूरा मुआवजा दिया जा चुका है जबकि 47 को आंशिक रूप से मुआवजा दिया गया है। अठावले द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक हाथ से मैला ढोने वालों की सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में है। इस मामले में महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है। यहां हाथ से मैला ढोने वाले 7378 लोगों की पहचान की गई है जबकि उत्तराखंड में ऐसे 4295 लोग हैं। असम में 4295 लोगों की पहचान की गई है।

हाथरस मामले में उच्च न्यायालय की निगरानी में हो रही है सीबीआई जांच: सरकार

केंद्र सरकार ने बुधवार को बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 वर्षीय युवती की दुष्कर्म के बाद हत्या किए जाने के मामले की इलाहाबाद उच्च न्यायालय की निगरानी में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच कर रहा है। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित उत्तर में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने यह विचार व्यक्त किया था कि चूंकि स्थानीय पुलिस को जांच से हटा दिया गया है और सीबीआई मामले की जांच कर रही है, इसलिए किसी भी स्थिति में इस स्तर पर आशंकाओं की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की सिफारिश पर हाथरस मामले की जांच सीबीआई को हस्तांतरित की गई है। रेड्डी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में अन्य बातों के साथ-साथ यह टिप्पणी की थी कि याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया है कि इस मामले की भारत सरकार और संबंधित प्राधिकारियों से निष्पक्ष जांच कराने का आदेश दिया जाये और आवश्यक हो तो सीबीआई को सौंपा जाए। 

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आम बजट में गरीबों, बेरोजगारों की अनदेखी; किसानों के मन की बात सुने सरकार : विपक्ष

  राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने सरकार पर आम बजट में गरीबों एवं बेरोजगारों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र को किसानों के ‘‘मन की बात’’ सुनते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून लाना चाहिए। हालांकि सत्तापक्ष की ओर से इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा गया कि बजट गरीबों को समर्पित एवं आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करने वाला है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने उच्च सदन में 2021-22 के आम बजट पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि देश का हर नागरिक चाहता है कि वह आत्मनिर्भर बने। किंतु क्या वर्तमान स्थिति और अर्थव्यवस्था को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सरकार सही दिशा में आगे जा रही है? उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या देश का किसान, दलित, अल्पसंख्यक, छोटे व्यापारी वर्ग तथा एमएसएमई (लघु एवं मझोले उद्योग) आत्मनिर्भर हैं? उन्होंने तंज करते हुए सवाल किया कि दिल्ली की सीमाओं पर क्या किसान इसलिए शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं क्योंकि वे आत्मनिर्भर हैं? उन्होंने कहा कि सरकार को इन सवालों के जवाब देने पड़ेंगे। तीन नये कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आप किसानों के मन की बात नहीं सुनते, बस अपने मन की बात करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और सरकार के मंत्री कहते हैं कि व्यापारी और निजी कंपनियां किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक पैसा देंगी। उन्होंने सवाल किया कि जब सरकार को इस बात का भरोसा है तो वह कानून बनाकर एमएसपी को अनिवार्य क्यों नहीं कर रही है? उन्होंने दावा किया कि अमेरिका और यूरोप में इस तरह का प्रयोग विफल रहा है। सिब्बल ने कहा कि सत्तारूढ़ दल पहले कांग्रेस की सरकार पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाता था, जबकि वास्तविकता यह है कि वर्तमान सरकार ने असम सहित उन राज्यों को ध्यान में रखकर बजट प्रस्ताव बनाये हैं जहां चुनाव होने हैं। उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ दल ‘‘बजट में वोट बैंक की राजनीति और ऑफ बजट (बजट से इतर) नोट की राजनीति करता है।’’

उन्होंने कहा कि बजट एक परिप्रेक्ष्य होता है क्योंकि वह जब पेश किया जाता है, उस समय के हालात उसमें परिलक्षित होने चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार जिस पार्टी की है, वह 2014 से सत्ता में है और अब उसका यह बहाना नहीं चल सकता कि सब बातों के लिए कांग्रेस की पिछली सरकार जिम्मेदार है। सिब्बल ने कहा कि यदि कोविड के पहले के आर्थिक संकेतों को देखें तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि अर्थव्यवस्था का किस तरह से कुप्रबंधन हो रहा था। उन्होंने कहा कि औद्योगिक निवेश विकास दर पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के पहले शासनकाल में 25 प्रतिशत और दूसरे शासनकाल में तीन प्रतिशत थी जो कोविड-19 आने से पहले घटकर महज दो प्रतिशत रह गयी। बैंकों द्वारा कर्ज दिए जाने की वास्तविक वार्षिक विकास दर राजग के पहले शासनकाल में 13 प्रतिशत और संप्रग के पहले शासनकाल में 20 प्रतिशत थी। यह दर संप्रग के दूसरे शासन काल में छह प्रतिशत थी जबकि वर्तमान सरकार के शासनकाल में यह घटकर पांच प्रतिशत रह गयी। उन्होंने इसी प्रकार निर्यात-आयात, कार्पोरेट क्षेत्र की बिक्री एवं लाभ में वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान आयी गिरावट के आंकड़े दिये। उन्होंने कहा, ‘‘ये आंकड़े दर्शाते हैं कि आप (सरकार) ने अर्थव्यवस्था का कुप्रबंधन किया।’’ सिब्बल ने दावा कि सरकार ने इस बजट में केवल विकास पर ध्यान दिया है और वह लोगों को भूल गयी। उन्होंने आरोप लगाया , ‘‘आप (सरकार) के पास उस गरीब आदमी के लिए कोई दिल नहीं है, जो शिक्षा चाहता है, जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चाहता है?...35 प्रतिशत एमएसएमई क्षेत्र बंद ही हो गया। आपने उनके लिए क्या किया?’’

चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के सुशील कुमार मोदी नेदावा किया कि बजट गरीबों को समर्पित एवं आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करने वाला है। साथ ही उन्होंने कहा कि बजट में पूंजीगत व्यय के जो प्रावधान किए गये हैं, उनसे रोजगार के पर्याप्त अवसर बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि विश्व के सामने आज ऐसा संकट खड़ा हुआ है कि विश्व के देशों की 90 प्रतिशत अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट और संकुचन आ गया। उन्होंने कहा कि आम बजट का शेयर बाजार ने बढ़-चढ़कर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि 23 साल बाद पहली बार बजट के दिन शेयर बाजार में इतना अधिक उछाल दर्ज किया गया। इससे पहले 1997 में जब तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आम बजट पेश किया था तब शेयर बाजार में इतना उछाल देखा गया था। उन्होंने कहा कि इस बजट की सभी जगह सराहना की जा रही है तथा विपक्ष इसकी जो आलोचना कर रहा है, वह सिर्फ इसलिए कर रहा है क्योंकि यह उसका काम है। भाजपा नेता ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान प्रधानमंत्री ने 80 करोड़ गरीब व्यक्तियों को आठ माह तक 40 किलोग्राम अनाज और प्रति परिवार आठ किलोग्राम दाल उपलब्ध करायी। 20 करोड़ जनधन खातों से प्रत्येक महिला को 1500 रुपये पहुंचाये गये और इस पर कुल 30,950 करोड़ रूपये की राशि मुहैया करायी गयी। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार 7.43 करोड़ उज्ज्वला लाभार्थियों को 7.3 करोड़ निशुल्क रसोई गैस सिलेंडर मुहैया कराये गये। सुशील मोदी ने कहा कि जो लोग जनधन खातों का मजाक उड़ाते हैं, उनसे जाकर पूछना चाहिए कि कोरोना काल में यदि ये खाते नहीं होते तो गरीबों के खातों में इतना धन कैसे पहुंचाया जा सकता था? उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसे विकसित देश में कोरोना काल में लोगों के खातों में सीधा धन अंतरण नहीं किया जा सका और इसके लिए आठ करोड़ चैक मुद्रित करवाए गये। 

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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत कुल 27 लाख करोड़ रूपये मुहैया कराये। उन्होंने कहा कि यह राशि पांच छोटे बजट के समान थी। उन्होंने कहा कि यदि दस करोड़ लोगों के घरों में शौचालय नहीं बने होते तो कल्पना करिए कि इतने लोग कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन में कहां जाते? उन्होंने सवाल किया कि कोरोना काल में जो नि:शुल्क रसोई गैस सिलेंडर या मुफ्त अनाज आदि दिया गया, क्या वह किसी ‘‘अदाणी, बिड़ला या टाटा के घर’’ में गया? भाजपा सदस्य ने राजस्व एवं आयकर वसूली में कमी आने के चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल द्वारा उल्लेखित आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि जब पूरे देश में कोराना महामारी के कारण लॉकडाउन लगा हुआ था तो राजस्व में कमी आना स्वाभाविक ही है। उन्होंने कहा कि इसके कारण केंद्र और राज्य सरकारों के राजस्व वसूली में 23 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि राजस्व वसूली में कमी आने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बजट में आम आदमी पर एक पैसे का नया कर नहीं लगाया है। उन्होंने कहा कि बजट में पेट्रोल आदि पर जो उपकर लगाने का बजट में प्रस्ताव है, उसका बोझ भी आम आदमी पर नहीं डाला गया। उन्होंने कहा कि इस बजट की एक और खासियत है कि इसमें पारदर्शी ढंग से लेखा दिया गया है।

उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि राजकोषीय घाटा नौ प्रतिशत से अधिक है। मोदी ने कहा कि इस बजट में सोच को बदलने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि एयर इंडिया जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां यदि घाटे में चल रही हैं तो क्या उन्हें चलाये रखने के लिए जनता का पैसा लगाते रहना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस तरह की सोच से बाहर निकलना पड़ेगा।’’ भाजपा सदस्य ने दावा किया कि यह बजट रोजगार पैदा करने वाला, गरीबी दूर करने वाला, महंगाई नियंत्रित करने वाला तथा भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाला बजट है। उन्होंने कहा कि इस बजट का मुख्य जोर स्वास्थ्य देखभाल, पूंजीगत व्यय और वित्तीय क्षेत्र में सुधार पर है। बजट चर्चा में भाग लेते हुए अन्नाद्रमुक के एस आर बालासुब्रह्मण्यम ने आम बजट में तमिलनाडु के लिए घोषित की गयी विभिन्न योजनाओं और प्रस्तावों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि केंद्रों को राज्यों का बकाया चुकाने के कुछ अन्य विकल्पों पर विचार करना चाहिए। बीजद के अमर पटनायक ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार द्वारा किए गये राहत प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी राज्य सरकार ने पलायन करने वाले मजदूरों को अतिथि मजदूर कहा। उन्होंने कहा कि यदि राजकोषीय घाटे के प्रबंधन के लिहाज से देखा जाए तो यह एक साहसी बजट है। उन्होंने कहा कि 70 साल में पहली बार अनाज सब्सिडी को बजट के भीतर घोषित किया गया है। द्रमुक के ए पी सेल्वारासू, टीआरएस के के आर सुरेश रेड्डी, वाईएसआर कांग्रेस के सुभाष चंद बोस पिल्ली ने भी बजट चर्चा में हिस्सा लिया। बजट पर चर्चा अधूरी रही।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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