सरकारी निर्णयों को मापने का एकमात्र आधार राष्ट्रहित हो, राजनीति से देश का नुकसान: मोदी

मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘हमारे हर निर्णय का आधार एक ही होना चाहिए। इसे एक ही तराजू पर तौला जाना चाहिए...एक ही मानदंड होना चाहिए और वह है राष्ट्रहित। जब निर्णयों में देशहित और लोकहित की बजाय राजनीति हावी होती है तो उसका नुकसान देश को उठाना पड़ता है। सरदार सरोवर बांध भी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है।’’ पीठासीन अधिकारियों से मुखातिब प्रधानमंत्री ने कहा कि केवड़िया प्रवास के दौरान आप सभी ने सरदार सरोवर बांध की विशालता, भव्यता और उसकी शक्ति देखी होगी लेकिन इसका काम बरसों तक अटका रहा और फंसा रहा। उन्होंने कहा कि आज इस बांध का लाभ गुजरात के साथ ही मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान के लोगों को हो रहा है। इस बांध से गुजरात की 18 लाख हेक्टेयर जमीन को, राजस्थान की 2.5 लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचाई की सुविधा सुनिश्चित हुई है। उन्होंने कहा कि गुजरात के नौ हजार से ज्यादा गांव, राजस्थान और गुजरात के अनेकों छोटे-बड़े शहरों को घरेलू पानी की आपूर्ति इसी सरदार सरोवर बांध की वजह से हो पा रही है। मोदी ने कहा, ‘‘ये सब बरसों पहले भी हो सकता था। लेकिन बरसों तक जनता इनसे वंचित रही। जिन लोगों ने ऐसा किया, उन्हें कोई पश्चाताप भी नहीं है। इतना बड़ा राष्ट्रीय नुकसान हुआ, लेकिन जो इसके जिम्मेदार थे, उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं है। हमें देश को इस प्रवृत्ति से बाहर निकालना है।’’Our Constitution has many special features but one very special feature is the importance given to duties.
— BJP (@BJP4India) November 26, 2020
Mahatma Gandhi was very keen on this. He saw a close link between rights & duties. He felt that once we perform our duties, rights will be safeguarded.
- PM @narendramodi pic.twitter.com/iy9wbgAn5n
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प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर मुबई में आज ही के दिन हुए आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों और पुलिस के जवानों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि आज का भारत नई नीति-नई रीति के साथ आतंकवाद का मुकाबला कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज मुंबई हमले जैसी साजिशों को नाकाम कर रहे, आतंक को एक छोटे से क्षेत्र में समेट देने वाले, भारत की रक्षा में प्रतिपल जुटे हमारे सुरक्षाबलों का भी वंदन करता हूं।’’ प्रधानमंत्री ने इस दौरान एक राष्ट्र, एक चुनाव को भारत की जरूरत बताया और पीठासीन अधिकारियों से इस पर मंथन करने का आग्रह किया। उन्होंने समय के साथ कानूनों को प्रक्रिया को आसान बनाने पर जोर दिया और कहा कि कानूनों की इतनी आसान होनी चाहिए कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उसको समझ सके। इस सम्मेलन में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भी भाग लिया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता की। पीठासीन अधिकारियों के अखिल भारतीय सम्मेलन का आरंभ 1921 में हुआ था और यह इसका शताब्दी वर्ष है।
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