जम्मू कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 हटाने का विपक्ष ने किया कड़ा विरोध

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[email protected] । Aug 5 2019 3:56PM

आजाद ने कहा कि भारत में जब जम्मू कश्मीर का विलय हुआ था तो उस समय सद्र ए रियासत हुआ करते थे और उसके बाद राज्यपाल आया। किंतु अब राज्य को उप राज्यपाल के तहत लाया जाना बेहद ही दुखद है। गृह मंत्री अमित शाह ने उच्च सदन में अनुच्छेद 370 संबंधी संकल्प और जम्मू कश्मीर आरक्षण (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2019 चर्चा के लिये पेश किया।

नयी दिल्ली। राज्यसभा में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने जम्मू कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 के कई प्रावधान हटाये जाने के संकल्प का कड़ा विरोध करते हुए इसे भाजपा सरकार द्वारा राज्य की जनता के साथ ‘‘विश्वासघात’’ करार दिया जबकि बीजद सहित कुछ दलों ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि इससे जम्मू कश्मीर का सही मायनों में भारत के साथ आज एकीकरण हुआ है। सरकार द्वारा सोमवार को राज्यसभा में पेश किये गये संकल्प पर चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि भाजपा सरकार ने इस कदम के जरिये जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ ‘‘विश्वासघात’’ किया है। उन्होंने कहा कि विभाजन के समय राज्य के लोगों ने पाकिस्तान न जाकर भारत का चयन किया था, आज उन सभी लोगों के साथ विश्वासघात हुआ है।

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आजाद ने कहा कि भारत में जब जम्मू कश्मीर का विलय हुआ था तो उस समय सद्र ए रियासत हुआ करते थे और उसके बाद राज्यपाल आया। किंतु अब राज्य को उप राज्यपाल के तहत लाया जाना बेहद ही दुखद है। गृह मंत्री अमित शाह ने उच्च सदन में अनुच्छेद 370 संबंधी संकल्प और जम्मू कश्मीर आरक्षण (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2019 चर्चा के लिये पेश किया। सदन में विपक्षी दलों के भारी हंगामे के बीच चर्चा में हिस्सा लेते हुये बीजद के प्रसन्न आचार्य ने सरकार की इस पहल का स्वागत किया और कहा कि जम्मू कश्मीर सही मायने में अब जाकर भारत के अभिन्न अंग बना है। आचार्य ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताया और कहा, ‘‘मुझे और सभी देशवासियों को उस दिन हार्दिक खुशी होगी जब पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी भारत का हिस्सा बनेगा।’’ उन्होंने आरक्षण विधेयक को भी ऐतिहासिक बताते हुये कहा कि दशकों से जम्मू कश्मीर की दलित और पिछड़े वर्ग के समुदाय सिर्फ अनुच्देद 370 के कारण आरक्षण के लाभ से वंचित थे। उन्होंने गृह मंत्री से यह स्पष्ट करने की मांग की कि जब अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी घोषित हो जायेगा तो जम्मू कश्मीर में भी आरक्षण के प्रावधान अन्य राज्यों की तरह स्वत: लागू हो जायेंगे, ऐसे में आरक्षण संबंधी विधेयक का क्या प्रयोजन है।इससे पहले आचार्य ने सदन में संविधान की प्रति फाड़े जाने की भर्त्सना करते हुये कहा कि यह अक्षम्य है। इस दौरान बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा ने भी आरक्षण संबंधी विधेयक का समर्थन किया। अपने संक्षिप्त संबोधन में मिश्रा ने कहा कि अब अन्य राज्यों की तरह जम्मू कश्मीर में भी दलित और पिछड़े वर्ग के समुदायों को आरक्षण का लाभ मिलेगा इसलिये उनकी पार्टी इसका समर्थन करती है। भाजपा के भूपेन्द्र यादव ने कहा यह संकल्प और विधेयक देश की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करेगा।

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यह पहल ‘सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास’ के सरकार के संकल्प की भी पूर्ति करता है। यादव ने कश्मीर मामले में सदन और देश को धोखे में रखकर यह फैसला करने के विपक्ष के आरोप को गलत बताते हुये कहा कि दो अगस्त को सदन की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में भी इस विधेयक के बारे में चर्चा हुयी थी। समिति में मौजूद सभी दलों के नेताओं को यह स्पष्ट हो गया था कि सोमवार को यह विधेयक पेश किया जायेगा।उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बारे में साफ किया कि देश की क्षेत्रीय सीमाओं को तय करने वाला अनुच्छेद ‘‘एक’’ संविधान का स्थायी प्रावधान है। वहीं जम्मू कश्मीर को अन्य राज्यों से अलग दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 अस्थायी प्रावधान है, जिसे तत्काली परिस्थितियों के कारण संविधान में शामिल किया गया था। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सिक्किम और गोवा को भारत संघ में शामिल करने का सदन में कांग्रेस ने समर्थन किया था उसी तरह जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन का भी कांग्रेस सहित सभी दलों को समर्थन करना चाहिये। सपा के रामगोपाल यादव ने सदन में व्यवस्था कायम नहीं होने का हवाला देते हुये चर्चा में हिस्सा नहीं लिया। अन्नाद्रमुक के ए नवनीत कृष्णन ने सरकार के जम्मू कश्मीर संबंधी संकल्प और आरक्षण एवं राज्य पुनर्गठन संबंधी विधेयक का समर्थन किया।

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कृष्णन ने कहा कि सरकार ने कश्मीर की जनता के हित में दशकों पुरानी आकांक्षाओं की पूर्ति के लिये यह सही कदम उठाया है।  जदयू के रामनाथ ठाकुर ने इस संकल्प और विधेयक का विरोध करते हुये अपने दल के सदस्यों के साथ वाकआउट किया। ठाकुर ने कहा कि उनकी पार्टी का शुरु से यह स्पष्ट मत है कि कश्मीर मुद्दे का समाधान सभी पक्षों के बीच आपसी बातचीत से या न्यायिक फैसले से होना चाहिये। वाईएसआर कांग्रेस के विजय साईरेड्डी ने कहा कि जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 से मुक्त करने का मुद्दा दशकों से देश को कचोट रहा था। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने की सरकार की इस पहल से अब कश्मीर समस्या का स्थायी समाधान हो सकेगा। उन्होंने कहा कि सरकार के इस साहसिक फैसले को देश के संसदीय इतिहास में याद किया जायेगा।शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि सरकार की इस पहल का भारत ही नहीं समूची दुनिया में सकारात्मक संदेश गया है। उन्होंने अनुच्छेद 370 को संविधान का भस्मासुर और कलंक बताते हुये कहा, ‘‘सरकार के इस फैसले से खुश होकर वीर सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और बाल ठाकरे स्वर्ग से देवताओं के साथ आज पुष्प वर्षा कर रहे होंगे।’’

 

 

 

 

 

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