न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर

Supreme Court
ANI

याचिका में इस तथ्य पर जोर दिया गया कि आंतरिक जांच से न्यायिक अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है लेकिन यह लागू कानूनों के तहत आपराधिक जांच का विकल्प नहीं है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ नकदी बरामदगी के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने के अनुरोध वाली एक याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर की गई है।

भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने आंतरिक जांच समिति द्वारा न्यायाधीश पर आरोप लगाए जाने के बाद न्यायमूर्ति वर्मा से इस्तीफा देने को कहा था। न्यायमूर्ति वर्मा ने हालांकि बाद में इस्तीफा देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था।

वकील मैथ्यूज नेदुम्परा और तीन अन्य द्वारा दायर याचिका में तत्काल आपराधिक कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध किया गया। याचिका में आरोप लगाया गया कि आंतरिक समिति ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया है।

याचिका में इस तथ्य पर जोर दिया गया कि आंतरिक जांच से न्यायिक अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है लेकिन यह लागू कानूनों के तहत आपराधिक जांच का विकल्प नहीं है।

इन्हीं याचिकाकर्ताओं ने मार्च में आंतरिक जांच को चुनौती देते हुए और औपचारिक पुलिस जांच का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। शीर्ष अदालत ने हालांकि आंतरिक कार्रवाई की लंबित प्रकृति का हवाला देते हुए याचिका को खारिज कर दिया था।

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