सेना ने आतंकवादियों, उनके मददगारों के समूल नाश का संकल्प लिया है: मोदी

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[email protected] । Feb 24 2019 3:00PM

पुलवामा हमले के बाद हुई मुठभेड़ में जैश के आतंकवादियों को मार गिराए जाने का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे सशस्त्र बल हमेशा ही अद्वितीय साहस और पराक्रम का परिचय देते आये हैं।

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद सेना ने आतंकवादियों और उनके मददगारों के समूल नाश का संकल्प ले लिया है। पुलवामा में 14 फरवरी को जैश-ए-मोहम्मद द्वारा किए गए आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि जवानों की यह शहादत, आतंकवाद को समूल नष्ट करने के लिए हमें निरन्तर प्रेरित करेगी तथा हमारे संकल्प को और मजबूत करेगी। लोकसभा चुनाव से पहले ‘मन की बात’ कार्यक्रम के अपने अंतिम और 53वें प्रसारण में मोदी ने जनता से कहा कि देश के सामने आयी इस चुनौती का सामना, हम सबको जातिवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद और अन्य सभी मतभेदों को भुलाकर करना है ताकि आतंक के खिलाफ़ हमारे कदम पहले से कहीं अधिक दृढ़ हों, सशक्त हों और निर्णायक हों।

पुलवामा हमले के बाद हुई मुठभेड़ में जैश के आतंकवादियों को मार गिराए जाने का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे सशस्त्र बल हमेशा ही अद्वितीय साहस और पराक्रम का परिचय देते आये हैं। उन्होंने हमलावरों को उन्हीं की भाषा में जबाव दिया है। ‘‘आपने देखा होगा कि हमले के 100 घन्टे के भीतर ही किस प्रकार से कदम उठाये गये हैं।’’ उन्होंने सीआरपीएफ के शहीद हुए जवानों के परिवारों की प्रतिक्रिया का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि कैसे अपने बेटे-पति के शहीद होने के बावजूद सैनिकों का परिवार दुश्मन से लोहा लेने के लिए मन पक्का किए हुए है। सुरक्षा बल के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए ‘मन की बात’ में उन्होंने युद्ध स्मारक बनाने का भी जिक्र किया।

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उन्होंने इस अवसर पर आदिवासी योद्धा ‘बिरसा-मुंडा’ को श्रद्धांजलि देते हुए अंग्रेजी शासन के खिलाफ उनकी लड़ाई का उल्लेख किया। उन्होंने जमदेशजी टाटा और पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को भी श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि सहज, शांतिपूर्ण व्यक्तित्व के धनी, मोरारजी भाई देश के सबसे अनुशासित नेताओं में से थे। उन्होंने कहा कि देसाई ने उस कठिन समय में भारत का कुशल नेतृत्व किया, जब देश के लोकतान्त्रिक ताने-बाने को खतरा था। इसके लिए हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी उनकी आभारी रहेंगी। लोकतंत्र की रक्षा के लिए आपातकाल के खिलाफ आन्दोलन में उन्होंने खुद को झोंक दिया। मोदी ने कहा कि देसाई को कई चीजों की भारी कीमत चुकानी पड़ी। वृद्धावस्था में उन्हें सरकार ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। लेकिन 1977 में जब जनता पार्टी चुनाव जीती तो वे देश के प्रधानमंत्री बने।

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