COP26 Summit: PM मोदी बोले- जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा भारत

PM Modi
अंकित सिंह । Nov 1 2021 11:01PM

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘पर्यावरण के लिए जीवनशैली’ को वैश्विक मिशन बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि भारत वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने को लेकर प्रतिबद्ध, वर्ष 2030 तक जीवाश्म ईंधन के उपयोग में उल्लेखनीय कमी लाएगा और नवीनीकरण ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो सीओपी-26 सम्मेलन को आज संबोधित किया। नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पेरिस घोषणापत्र की प्रतिबद्धताओं को अक्षरश:’ पूरा कर रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। मोदी ने कहा कि अबतक जलवायु वित्तपोषण के सभी वादे खाली ही रहे हैं, इसलिए विकसित देश को यथा शीघ्र एक खरब डॉलर के जलवायु वित्त पोषण सुनिश्चित करना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘पर्यावरण के लिए जीवनशैली’ को वैश्विक मिशन बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि भारत वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने को लेकर प्रतिबद्ध, वर्ष 2030 तक जीवाश्म ईंधन के उपयोग में उल्लेखनीय कमी लाएगा और नवीनीकरण ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि उन देशों पर दबाव बनाया जाए जो जलवायु मुद्दे पर वित्तपोषण के अपने वादे को पूरा करने में असफल रहे। इसके साथ ही मोदी ने कहा कि भारत 2030 तक अनुमानित उत्सर्जन में से एक अरब टन कार्बन उत्सर्जन कम करेगा, भारत कार्बन की गहनता में 45 प्रतिशत तक कटौती करेगा।

भारत सहित अधिकतर विकासशील देशों के लिए जलवायु एक बड़ी चुनौती:मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत सहित अधिकतर विकासशील देशों के लिए जलवायु को एक बड़ी चुनौती करार देते हुए कहा कि इस विषय को लेकर वैश्विक चर्चाओं में अनुकूलन को उतना महत्व नहीं दिया गया जितना उसके प्रभावों को कम करने को दिया गया। उन्होंने इसे जलवायु परिवर्तन से अधिक प्रभावित विकासशील देशों के साथ ‘‘अन्याय’’ करार दिया। अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन ‘सीओपी-26’ के एक सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने अनुकूलन को विकास नीतियों और परियोजनाओं का मुख्य अंग बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक जलवायु चर्चा में अनुकूलन को उतना महत्व नहीं मिला है, जितना उसके प्रभावों को कम करने को। यह उन विकासशील देशों के साथ अन्याय है, जो जलवायु परिवर्तन से अधिक प्रभावित हैं।’’ 

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