Prabhasakshi NewsRoom: G-7 Summit में विकासशील देशों का पक्ष रखते हुए मोदी ने विकसित देशों को दिखाया आईना

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ANI

हम आपको बता दें कि जी7 समूह और भारत सहित उसके पांच सहयोगी देशों के नेताओं ने कहा है कि वे एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देना चाहते हैं और अन्य देशों की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता का सम्मान करते हैं।

जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां भारतीय हितों को दृढ़ता के साथ सामने रखा वहीं वैश्विक मुद्दों पर विश्व का मार्गदर्शन भी किया। प्रधानमंत्री ने इसके अलावा कई देशों के नेताओं के साथ द्वपिक्षीय बैठकों के दौरान भी व्यापक विचार-विमर्श किया। इस सम्मेलन के दौरान विश्व के बड़े नेताओं की उपस्थिति के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ भारत का ही पक्ष नहीं रखा बल्कि सभी विकासशील देशों की चिंताओं को सबके सामने रखते हुए विकसित देशों को आईना भी दिखाया। जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन समेत अन्य विश्व नेताओं के बीच मोदी से मिलने, मोदी से बात करने और मोदी के साथ तस्वीरें खिंचाने की होड़ दिखी वह दर्शाती है कि नया भारत विश्व में कैसी छवि रखता है।

हम आपको बता दें कि जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान विभिन्न विषयों पर सत्र हुए। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इन सत्रों को संबोधित करते हुए अपनी बात रखी। खाद्य सुरक्षा और लैंगिक समानता पर जी7 शिखर सम्मेलन के सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का दृष्टिकोण महिलाओं के विकास से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास में परिवर्तित हुआ है। यह रेखांकित करते हुए कि वैश्विक तनाव के बीच ऊर्जा और खाद्यान्न की बढ़ती कीमतें सभी देशों को प्रभावित कर रही हैं, मोदी ने यह भी सुझाव दिया कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उर्वरकों की उपलब्धता, भारतीय कृषि प्रतिभाओं के उपयोग के लिए प्रणाली, बाजरा और प्राकृतिक खेती जैसे पौष्टिक विकल्पों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र किये बगैर कहा, ‘‘मौजूदा हालात में भी हमने लगातार बातचीत और कूटनीति का रास्ता अपनाने का आग्रह किया है। इस भू-राजनीतिक तनाव का प्रभाव केवल यूरोप तक ही सीमित नहीं है। ऊर्जा और खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों का असर सभी देशों पर पड़ रहा है।’’ उन्होंने कहा कि विकासशील देशों की ऊर्जा और सुरक्षा विशेष रूप से खतरे में है। उन्होंने कहा कि इस चुनौतीपूर्ण समय में भारत ने कई जरूरतमंद देशों को खाद्यान्न की आपूर्ति की है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने पिछले कुछ महीनों में अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के रूप में लगभग 35,000 टन गेहूं भेजा है।'' मोदी ने कहा कि हम खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने पड़ोसी देश श्रीलंका की भी मदद कर रहे हैं।’’ इससे पहले, ‘बेहतर भविष्य में निवेश: जलवायु, ऊर्जा, स्वास्थ्य’ सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु प्रतिबद्धताओं के प्रति भारत का समर्पण उसके प्रदर्शन से स्पष्ट है।

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हम आपको बता दें कि जी7 समूह और भारत सहित उसके पांच सहयोगी देशों के नेताओं ने कहा है कि वे एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देना चाहते हैं और अन्य देशों की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता का सम्मान करते हैं। इन नेताओं ने कहा कि वे संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निहित सिद्धांतों का सम्मान करते हैं। उन्होंने शांति, मानवाधिकारों और कानून के शासन की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। एक अंतर-सरकारी राजनीतिक समूह जी7 ने एक संयुक्त बयान में लोकतंत्र के सिद्धांतों और मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए प्रत्येक देश में मौजूद राष्ट्रीय कानूनों और नियमों के महत्व को स्वीकार किया। इसमें कहा गया है, ‘‘हम, जर्मनी, अर्जेंटीना, कनाडा, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ के नेता हमारे लोकतंत्रों को मजबूत करने और समानता की दिशा में काम करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।’’ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक कदमों के साथ-साथ यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बीच यह बयान महत्वपूर्ण है।

इसके साथ ही जी-7 के नेताओं ने भारत जैसे विकासशील देशों में ढांचागत परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2027 तक 600 अरब डॉलर का वित्त जुटाने की महत्वाकांक्षी योजना का ऐलान किया है। हम आपको बता दें कि जी-7 देशों की इस पहल को चीन की तरफ से चलाई जा रही ‘बेल्ट एवं रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि चीन ने दुनिया के कई देशों को ढांचागत परियोजनाओं के लिए भारी कर्ज दिया हुआ है। चीन की अरबों डॉलर वाली बीआरआई योजना की इस आधार पर आलोचना की जाती रही है कि इसने कई विकासशील देशों को कर्ज के बोझ तले दबा दिया है।

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वहीं जहां तक जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की द्विपक्षीय मुलाकातों की बात है तो आपको बता दें कि प्रधानमंत्री ने जर्मनी, ब्रिटेन, जापान और इटली के अपने समकक्षों से मुलाकात की और कई मुद्दों पर उनके साथ विचार विमर्श किया। प्रधानमंत्री मोदी ने सेनेगल के राष्ट्रपति मैकी साल और विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक से भी मुलाकात की। मोदी ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्राघी सहित विश्व नेताओं के साथ अपनी बैठकों के बारे में ट्वीट किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ भी मुलाकात की। दोनों नेताओं ने व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में भारत तथा यूरोपीय संघ के सहयोग की समीक्षा की। प्रधानमंत्री ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ भी मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच मित्रवत संबंधों की समीक्षा की तथा व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने तथा सुरक्षा एवं आतंकवाद से निपटने के मुद्दों में सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा की। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के साथ बैठक के दौरान व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने समेत अनेक द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा से मुलाकात के दौरान देशों के बीच आर्थिक और रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए कई संभावनाओं पर चर्चा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों के साथ चाय पर चर्चा काफी चर्चा में रही। इस दौरान दोनों नेताओं ने विभिन्न द्विपक्षीय तथा वैश्विक विषयों पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक नेताओं से मुलाकातों के दौरान उपहार में उत्तर प्रदेश के बने हुए उत्पाद दिये। यह उत्पाद उत्तर प्रदेश सरकार की एक जिला एक उत्पाद ओडीओपी पहल के तहत बनाये गये हैं। इन उत्पादों में गुलाबी मीनाकारी ब्रोच, कफ़लिंक, ब्लैक पॉटरी, प्लेटिनम पेंटेड, हैंड पेंटेड टीसेट और ज़री ज़रदोज़ी बॉक्स शामिल हैं। प्रधानमंत्री जी-7 शिखर सम्मेलन के समापन के बाद आज सुबह यूएई के लिए रवाना हो गये। संयुक्त अरब अमीरात में मोदी यूएई के पूर्व राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के निधन पर शोक व्यक्त करेंगे। भाजपा की पूर्व प्रवक्त नुपूर शर्मा की विवादित टिप्पणी के बाद हुए हंगामे के बाद प्रधानमंत्री के यूएई दौरे को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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