PM मोदी ने काशी को सौंपी 'रुद्राक्ष', कहा- कोरोना के खिलाफ UP ने लड़ी ‘अभूतपूर्व’ तरीके से लड़ाई

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वाराणसी दौरे पर आये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रुद्राक्ष अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र का उद्घाटन किया। उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार‘‘रूद्राक्ष’’ को जापान की कंपनी ओरिएण्टल कंसल्टेंट ग्लोबल ने डिजाइन किया है।

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वाराणसी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बृहस्पतिवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे, जहां उन्होंने 1,583 करोड़ रुपये से अधिक की विकास कार्य परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में 100 बिस्तरों वाले एमसीएच विंग, गोदौलिया में एक बहु–स्तरीय ‘पार्किंग’, गंगा नदी में पर्यटन के विकास के लिए रो-रो नौकाओं और वाराणसी-गाजीपुर राजमार्ग पर तीन-लेन वाले फ्लाईओवर पुल समेत विभिन्न सार्वजनिक परियोजनाओं एवं कार्यों का उद्घाटन किया। ये लगभग 744 करोड़ रुपये की लागत की परियोजनाएं हैं। प्रधानमंत्री ने लगभग 839 करोड़ रुपये की लागत की कई परियोजनाओं और सार्वजनिक कार्यों की आधारशिला भी रखी। इनमें ‘सेंटर फॉर स्किल एंड टेक्निकल सपोर्ट ऑफ सेंट्रल इंस्टीच्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी’ (सीआईपीईटी), जल जीवन मिशन के तहत 143 ग्रामीण परियोजनाएं और कारखियांव में आम एवं सब्जी के लिए एकीकृत पैक हाउस शामिल हैं। प्रधानमंत्री के साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री दोपहर के बाद अन्तरराष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र - रुद्राक्ष का उद्घाटन करेंगे, जिसका निर्माण जापानी सहायता से किया गया है। इसके बाद वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य विंग का निरीक्षण करेंगे। प्रधानमंत्री कोविड की तैयारियों की समीक्षा के लिए अधिकारियों और चिकित्सा पेशेवरों के साथ मुलाकात भी करेंगे।

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भारत और जापान की दोस्ती की मिसाल हैं रूद्राक्ष

अन्तरराष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र ‘‘रुद्राक्ष’’ भारत-जापान की दोस्ती की अद्भुत मिसाल है। इस केंद्र का निर्माण शिवलिंग की आकृति में किया गया है औरइसमें एल्युमिनियम के 108 बड़े पंचमुखी रुद्राक्ष लगाए गए हैं। 186 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुए रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में बारह सौ लोगों की बैठने की क्षमता है। बृहस्पतिवार को वाराणसी दौरे पर आये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रुद्राक्ष अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र का उद्घाटन किया। उत्तर प्रदेश के सूचना विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार‘‘रूद्राक्ष’’ को जापान की कंपनी ओरिएण्टल कंसल्टेंट ग्लोबल ने डिजाइन किया है जबकि निर्माण भी जापान की ही फुजिता कॉपोरेशन नाम की कंपनी ने किया है।रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर की नींव 2015 में उस समय रखी गई, जब जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वाराणसी आए थे। प्राचीन और जीवंत शहर को जापान ने भारत से दोस्ती का एक ऐसा नायाब तोहफ़ा ‘‘रूद्राक्ष’’ के रूप में दिया है, जहां अब बड़े संगीत समारोह, संगोष्ठियां, नाटक और प्रदर्शनियां आयोजित हो सकेंगी। इस भवन को अत्याधुनिक तकनीक से बनाया गया है, खास तौर पर आग से बचाव के लिये। वाराणसी के मुख्य अग्निशमन अधिकारी अनिमेष सिंह ने बताया कि इमारत में किसी भी तरह की आग लगने पर कार्यक्रम देख रहे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अंतरराष्ट्रीय अग्नि मानकों के लिहाज से इंतजाम किये गए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार रूद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर को शिवलिंग की आकृति में बनाया गया है। इसमें एल्युमिनियम के 108 बड़े पंचमुखी रुद्राक्ष लगाए गए हैं। सिगरा नगर निगम के बगल में करीब तीन एकड़ (13196 वर्ग मीटर) में 186 करोड़ रूपये की लागत से बने रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में 120 वाहनों की पार्किंग तलघर में बनाई गई है। भूतल और प्रथम तल मिलाकर हॉल हैं जिसमें 1200 लोग एक साथ बैठकसकते हैं। हॉल में वियतनाम से मंगाई गई कुर्सियों लगाई गई हैं। विभाजन के जरिये हॉल में बैठने की क्षमता कम की जा सकती है। दिव्यांगजनों के लिए भी दोनों दरवाजों के पास छह-छह व्हील चेयर का इंतज़ाम हैं। इसके अलावा शौचालय भी दिव्यांगों के अनुकूल बनाए गए है। इसके अलावा आधुनिक ग्रीन रूम भी बनाया गया है। 150 लोगों की क्षमता वाला दो कांफ्रेंस हॉल और गैलरी भी है, जो दुनिया के आधुनिकतम उपकरणों से लैस है। इस हॉल को भी जरुरत के मुताबिक घटाया या बढ़ाया जा सकता है। ‘‘रुद्राक्ष’’ को जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी ने वित्तपोषित किया है। इसकी डिजाइन जापान की कंपनी ओरिएण्टल कंसल्टेंट ग्लोबल ने तैयार की है और निर्माण का काम भी जापान की फुजिता कॉरपोरेशन नाम की कंपनी ने किया है। इसका निर्माण 10 जुलाई 2018 को शुरू हुआ था। अब भारत- जापान की दोस्ती का प्रतीक ‘‘रुद्राक्ष’’ बन कर तैयार हो गया है। ‘‘रुद्राक्ष’’ में छोटा जापानी उद्यान बनाया गया है और 110 किलोवाट की ऊर्जा के लिए सोलर संयंत्र लगाया गया है। वीआईपी रूट और उनके आने-जाने का रास्ता भी अलग है। ‘‘रुद्राक्ष’’ को वातानुकूलित रखने के लिए इटली से मंगाये गए उपकरण लगाये गये है। निर्माण और उपयोग की चीजों को देखते हुए ग्रीन ‘रेटिंग फॉर इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट’ की और से रुद्राक्ष को ग्रेडिंग-तीन मिला है। ‘‘रुद्राक्ष’’ में सीसीटीवी कैमरों समेत सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं।

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कोरोना के खिलाफ उत्तर प्रदेश ने ‘अभूतपूर्व’ तरीके से लड़ाई लड़ी

कोविड-19 के खिलाफ उत्तर प्रदेश की लड़ाई को ‘‘अभूतपूर्व’’ करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार की जमकर सराहना की और कहा कि कोरोना वायरस के खतरनाक स्वरूप ने पूरी ताकत के साथ हमला किया था, लेकिन प्रदेश ने पूरे सामर्थ्य के साथ इतने बड़े संकट का मुकाबला किया। अपने संसदीय क्षेत्र में 1500 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने के बाद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश में कानून का राज स्थापित करने के साथ ही विकासोन्मुखी योजनाओं को अमली जामा पहनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि उनके नेतृत्व में राज्य एक ‘‘आधुनिक प्रदेश’’ बनने की दिशा में तेज गति से आगे बढ़ रहा है। महामारी के खिलाफ काशी क्षेत्र में किए गए प्रयासों की भी जमकर सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि आज दुनिया के अनेक बड़े-बड़े निवेशक ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ के ‘‘महायज्ञ’’ से जुड़ रहे हैं और इसमें भी उत्तर प्रदेश देश अग्रणी निवेश केंद्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मुश्किल समय में भी काशी ने दिखा दिया है कि वह रुकती नहीं है और वह थकती भी नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीने पूरी मानव जाति के लिए बहुत मुश्किल भरे रहे हैं और इस दौरान कोरोना वायरस के बदलते हुए और खतरनाक रूप ने पूरी ताकत के साथ हमला किया। मोदीने कहा, ‘‘लेकिन काशी सहित अपने उत्तर प्रदेश ने पूरे सामर्थ्य के साथ इतने बड़े संकट का मुकाबला किया। देश का सबसे बड़ा प्रदेश, जिसकी आबादी दुनिया के दर्जनों बड़े-बड़े देशों से भी ज्यादा होगी, वहां कोरोना की दूसरी लहर को जिस तरह संभाला गया, उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार कोरोना को फैलने से रोका, वह अभूतपूर्व है।’’ प्रधानमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान फैलने वाले दिमागी बुखार व इन्सेफेलाइटिस जैसी बीमारियों का उल्लेख करते हुए लोगों को याद दिलाया कि ‘‘वरना उत्तर प्रदेश के लोगों ने वह दौर भी देखा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहले के दौर में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और इच्छाशक्ति के अभाव में छोटे-छोटे संकट भी उत्तर प्रदेश में विकराल हो जाते थे। यह तो 100 साल में पूरी दुनिया पर आई सबसे बड़ी महामारी है। इसलिए कोरोना से निपटने में उत्तर प्रदेश के प्रयास उल्लेखनीय हैं।’’ कोरोना के खिलाफ काशी प्रशासन के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने दिन-रात कड़ी मेहनत कर यहां स्वास्थ्य व्यवस्थाएं खड़ी कीं। उन्होंने कहा, ‘‘कठिन समय था, लेकिन आपने प्रयासों में कोई कमी नहीं छोड़ी। आप सभी के ऐसे ही कार्यों का नतीजा है कि आज उत्तर प्रदेश कोरोना की सबसे ज्यादा जांच करने वाला राज्य है। आज उत्तर प्रदेश पूरे देश में सबसे ज्यादा टीकाकरण करने वाला राज्य है। सबको टीका और मुफ्त टीका अभियान के माध्यम से गरीब, मध्यमवर्ग, किसान, नौजवान सभी को सरकार द्वारा मुफ्त टीका लगाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश के गांवों में स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना हो या राज्य में अस्पतालों का निर्माण, राज्य में चिकित्सा संसाधनों में अभूतपूर्व सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘चार साल पहले तक जहां उत्तर प्रदेश में केवल दर्जनभर मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे, उनकी संख्या आज करीब करीब चार गुना हो चुकी है। बहुत सारे चिकित्सा कॉलेजों का निर्माण अपने अलग-अलग चरणों में है। अभी उत्तर प्रदेश में करीब 550 से अधिक ऑक्सीजन संयंत्र बनाने का काम भी तेजी से चल रहा है।’’ उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन और आईसीयू जैसी सुविधाएं निर्मित करने का जो बीड़ा उत्तर प्रदेश सरकार ने उठाया है, वह सराहनीय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी नगरी आज पूर्वांचल का बहुत बड़ा ‘‘मेडिकल हब’’ बन रही है और जिन बीमारियों के इलाज के लिए कभी दिल्ली और मुंबई जाना पड़ता था, उनका इलाज आज काशी में भी उपलब्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘देश में आधुनिक कृषि संसाधन के लिए जो एक लाख करोड़ रुपए का विशेष फंड बनाया गया है, उसका लाभ अब हमारी कृषि मंडियों को भी मिलेगा। यह देश की कृषि मंडियों के तंत्र को आधुनिक और सुविधा संपन्न बनाने की तरफ एक बड़ा कदम है।’’ उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि 2017 से पहले उत्तर प्रदेश के लिए योजनाएं नहीं आती थीं या केंद्र से पैसा नहीं भेजा जाता था। तब भी दिल्ली से इतने ही तेज प्रयास होते थे, लेकिन तब लखनऊ में उनमें रोड़ा लग जाता था। कार्यक्रम में उपस्थित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आज योगी जी खुद कड़ी मेहनत कर रहे हैं। एक-एक विकास योजना की समीक्षा करते हैं और खुद ऊर्जा लगाकर कामों को गति देते हैं। ऐसी ही मेहनत वह पूरे प्रदेश के लिए करते हैं। हर एक जिले में जाते हैं, हर एक काम के साथ खुद लगते हैं। यही वजह है कि प्रदेश में बदलाव के ये प्रयास आज एक आधुनिक उत्तर प्रदेश बनाने में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सरकार आज भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से नहीं विकासवाद से चल रही है। इसीलिए, आज यहां जनता की योजनाओं का लाभ सीधा जनता को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले तक जिस प्रदेश में व्यापार-कारोबार करना मुश्किल माना जाता था, आज वह ‘‘मेक इन इंडिया’’ के लिए पसंदीदा जगह बन रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘इसका एक बड़ा कारण है योगी की सरकार द्वारा संसाधनों पर ध्यान केंद्रित करना। सड़क, रेल और हवाई संपर्क में आए अभूतपूर्व सुधार से यहां का जीवन तो आसान हो ही रहा है, कारोबार करने में भी अधिक सुविधा हो रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश के कोने-कोने को चौड़ी और आधुनिक सड़कों- एक्सप्रेसवे से जोड़ने का काम यहां तेज़ी से चल रहा है। रक्षा गलियारा हो, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे हो या बुंदेलखंड एक्सप्रेस- वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे हो या गंगा एक्सप्रेस वे, यह इस दशक में उत्तर प्रदेश के विकास को नई बुलंदी देने वाले हैं। इन पर सिर्फ गाड़ियां ही नहीं चलेंगी बल्कि इनके इर्द-गिर्द आत्मनिर्भर भारत को ताकत देने वाले नए औद्योगिक क्लस्टर भी तैयार होंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए, आज यहां नए-नए उद्योगों के लिए निवेश हो रहा है, रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस उत्तर प्रदेश में पहले माफियाराज और आतंकवाद बेकाबू रहा करते थे वहां आज कानून का राज है और ऐसे लोगों पर कानून का शिकंजा है। उन्होंने कहा, ‘‘बहनों-बेटियों की सुरक्षा को लेकर मां-बाप हमेशा जिस तरह डर और आशंकाओं में जीते थे, वो स्थिति भी बदली है।’’ वाराणसी में हुए विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी अपनी मौलिक पहचान बनाए रखते हुए भी विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है। उन्होंने कहा, ‘‘पूरे क्षेत्र में, चाहे वह राष्ट्रीय राजमार्ग का काम हो, फ्लाई ओवर हों या रेलवे ओवरब्रिज हो या चाहे तारों का जंजाल दूर करने के लिए पुरानी काशी में अंडर ग्राउंड वायरिंग का सिस्टम हो, पेयजल और सीवर की समस्याओं का निदान हो, पर्यटन को बढ़ाने के लिए विकास कार्य हो, सभी में अभूतपूर्व कार्य हुआ है।’’ उन्होंने कहा कि वर्तमान में भी इस क्षेत्र में लगभग 8000 करोड़ रुपए की परियोजनाओं पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘नए प्रोजेक्ट, नए संस्थान काशी की विकास गाथा को और जीवंत बना रहे हैं।’’ अपने एकदिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे प्रधानमंत्री ने जापान के सहयोग से वाराणसी में बने अन्तरराष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र ‘रुद्राक्ष’ का भी उदघाटन किया। इस अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम की शुरूआत में जापान के प्रधानमंत्री शुगा योशीहिदे का वीडियो संदेश भी दिखाया गया। जापानी प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का प्रारंभ ‘‘नमस्ते’’ कहकर किया और अंत ’’धन्यवाद’’ से किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि चाहे सामरिक क्षेत्र हो या आर्थिकक्षेत्र, जापान आज भारत के सबसे विश्वसनीय दोस्तों में से एक हैं। हमारी दोस्ती को इस पूरे क्षेत्र की सबसे नैसर्गिक साझेदारी में से एक माना जाता हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक आधारभूत क्षेत्र और विकास को लेकर कई अहम और बड़ी परियोजनाओं में भी जापान भारत का साझीदार है। उन्होंने कहा कि मुबंई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल हो, दिल्ली मुंबई औद्योगिक परिपथ हो या डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडॉर हो, जापान के सहयोग से बन रहे यह प्रोजेक्ट नये भारत की ताकत बनने वाले हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भारत और जापान की सोच है कि हमारा विकास हमारे उल्लास के साथ जुड़ा होना चाहिए। यह विकास सर्वोमुखी होना चाहिए। सबके लिए होना चाहिए और सबको जोड़ने वाला होना चाहिए।’’ इससे पहले, प्रधानमंत्री ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में 100 बिस्तरों वाले एमसीएच विंग, गोदौलिया में एक बहु–स्तरीय ‘पार्किंग’, गंगा नदी में पर्यटन के विकास के लिए रो-रो नौकाओं और वाराणसी-गाजीपुर राजमार्ग पर तीन-लेन वाले फ्लाईओवर पुल समेत विभिन्न सार्वजनिक परियोजनाओं एवं कार्यों का उद्घाटन किया। ये लगभग 744 करोड़ रुपये की लागत की परियोजनाएं हैं। उन्होंने लगभग 839 करोड़ रुपये की लागत की कई परियोजनाओं और सार्वजनिक कार्यों की आधारशिला भी रखी। इनमें ‘सेंटर फॉर स्किल एंड टेक्निकल सपोर्ट ऑफ सेंट्रल इंस्टीच्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी’ (सीआईपीईटी), जल जीवन मिशन के तहत 143 ग्रामीण परियोजनाएं और कारखियांव में आम एवं सब्जी के लिए एकीकृत पैक हाउस शामिल हैं। प्रधानमंत्री के साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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