PM ने मेड इन इंडिया वैक्सीन से लेकर खेती तक पर की बात, जानें मन की बात की बड़ी बातें

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प्रधानमंत्री ने आज अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम की ताजा कड़ी में कुछ इस प्रकार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘ ’मन की बात’ में श्रोताओं को क्या पसंद आता है, ये आप ही बेहतर जानते हैं।

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले उनके मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलता है और इसके जरिए लोगों की ओर से साझा किए गए अनुभव उन्हें बहुत प्रेरित करते हैं व ऊर्जा से भर देते हैं। ‘मन की बात’ को लेकर अक्सर विपक्षी दल प्रधानमंत्री की आलोचना करते रहे हैं। उनका आरोप है कि इस कार्यक्रम के जरिए मोदी अपने मन की बात तो करते हैं लेकिन जनता की बात नहीं सुनते। इन आलोचनाओं का जवाब प्रधानमंत्री ने आज अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम की ताजा कड़ी में कुछ इस प्रकार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘ ’मन की बात’ में श्रोताओं को क्या पसंद आता है, ये आप ही बेहतर जानते हैं। लेकिन मुझे ‘मन की बात’ में सबसे अच्छा ये लगता है कि मुझे बहुत कुछ जानने-सीखने और पढ़ने को मिलता है।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘एक प्रकार से... परोक्ष रूप से आप सबसे जुड़ने का अवसर मिलता है। किसी का प्रयास, किसी का जज्बा, किसी का देश के लिए कुछ कर गुजर जाने का जुनून, यह सब मुझे बहुत प्रेरित करते हैं और ऊर्जा से भर देते हैं। इस क्रम में प्रधानमंत्री ने हैदराबाद के बोयिनपल्ली में एक स्थानीय सब्जी मंडी में खराब हो जाने वाली सब्जियों से 500 यूनिट बिजली उत्पादन करने, हरियाणा के पंचकुला की बड़ौत पंचायत में गंदे पानी को फिल्टर कर सिंचाई में इस्तेमाल करने और पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश के तवांग में ‘‘मोन शुगु’’ नाम का पेपर बनाए जाने की कला को पुनर्जीवित करने के एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता के प्रयासों की प्रेरक कहानियों का विवरण भी दिया।

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इसी प्रकार उन्होंने केरल के कोट्टयम में लकवे से ग्रसित बुजुर्ग एन एस राजप्पन की स्वच्छता के प्रति समपर्ण की कहानी भी सुनाई। उन्होंने बताया कि राजप्पन बुजुर्ग और दिव्यांग होने के बावजूद पिछले कई सालों से नाव से स्थानीय वेम्बनाड झील में जाते हैं और झील में फेंकी गई प्लास्टिक की बोतलें बाहर निकाल करके ले आते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सोचिये, राजप्पन जी की सोच कितनी ऊंची है। हमें भी राजप्पन जी से प्रेरणा लेकर स्वच्छता के लिए जहां संभव हो अपना योगदान देना चाहिए।’’ प्रधानमंत्री ने अमेरिका के सैन फ्रांसिसको से बिना कहीं रूके भारत के बैंगलुरू तक पहुंचने वाले विमान की कमान संभालने वाली चार भारतीय महिला पायलटों का भी उल्लेख किया। साथ ही इस कड़ी में उन्होंने जबलपुर के चिचगांव में दिहाड़ी पर एक चावल मिल में काम करने वाली आदिवासी महिलाओं की प्रेरक कहानी भी सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसे मिल का काम रूक जाने के बाद इन महिलाओं ने हार नहीं मानी और स्व सहायता समूह बनाकर उसी चावल मिल को खरीद लिया। उन्होंने कहा, ‘‘क्षेत्र कोई भी हो, देश की महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है।’’ उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने देश के लोगों के सामने जो परिस्थितियां बनाईं, उससे मुकाबले के लिए कोने-कोने में अद्भुत काम हुए हैं। उन्होंने बुंदेलखंड के झांसी में स्ट्रॉबेरी की खेती के प्रति लोगों की पहल का भी उल्लेख किया। ज्ञात हो कि पिछले दिनों तमिलनाडु के दौरे पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम को लेकर परोक्ष रूप से प्रधानमंत्री पर हमला किया था। उन्होंने एक सभा में कहा था कि तमिलनाडु का उनका दौरा लोगों को अपने ‘‘मन की बात’’ कहने के लिए नहीं है या उन्हें सलाह देने या उन्हें क्या करना चाहिए, इस बारे में बताने के लिए नहीं है बल्कि उनकी बात सुनने के लिए है, उनकी समस्याएं समझने और उनका समाधान करने के लिए है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेता ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम को लेकर पूर्व में भी इस प्रकार के तंज कसते रहे हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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