कवियों ने बिखेरे भारत के बहुरंग, बहुभाषी कविता के संग

Bharatiya Bhasha Diwas
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अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की दिल्ली इकाई (इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती) ने दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर महाकवि सुब्रह्मण्यम भारती के जन्मदिन को भारतीय भाषा दिवस के रूप में मनाया। इस अवसर पर दस प्रमुख भारतीय भाषाओं के कवियों ने कविता पाठ किया। कविता पाठ से पहले उसका हिंदी भावार्थ बताया गया, जिससे श्रोताओं ने राष्ट्रीय चेतना से भरी कविताओं का भरपूर आनंद लिया। इस आयोजन का उद्देश्य भारतीय भाषाओं को समृद्ध करना था।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की दिल्ली इकाई इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती द्वारा महाकवि सुब्रह्मण्यम भारती के जन्मदिन पर भारतीय भाषा दिवस के अवसर पर बहुभाषी कविता पाठ का आयोजन दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थित संस्कार भारती सभागार में किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ सुब्रह्मण्यम भारती के चित्र पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्वलन और अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के गीत से हुआ।

इस बहुभाषी कविता-पाठ कार्यक्रम में देशभर के दस प्रमुख भाषाओं के प्रसिद्ध कवियों ने भाग लिया। जिनमें ओड़िआ भाषा की कवयित्री रूबी मोहंती, तमिल की वी. आनंदी, पंजाबी की गीतांजलि गीत, कन्नड़ की डी. शांतला किरण, उर्दू के नज्मकार सैयद नज़म इकबाल, डोगरी की सूक्ष्म लता महाजन, असमिया की शर्मिष्ठा बर्मन, गुजराती की कामिनी मिश्रा, सिंधी कवयित्री मेधा खेमानी और संस्कृत भाषा के कवि ऋषभ कुमार ने अपनी भाषाओं में रचित साहित्य के लालित्य से श्रोताओं को परिचित  कराते हुए सभी का मन मोह लिया।

कार्यक्रम की विशेषता सभी कवियों की कविताएं राष्ट्रीय चेतना से ओत-प्रोत कविता प्रस्तुति रहीं जहां कविता पाठ से पूर्व उसका हिन्दी भावार्थ प्रस्तुत किया, जिससे प्रबुद्ध श्रोताओं ने काव्य पाठ का भरपूर आनंद लिया।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार विनोद बब्बर ने कहा कि इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों एवं साहित्यप्रेमियों की संस्था है। भारतीय भाषा दिवस पर आयोजित इस बहुभाषी कविता-पाठ के माध्यम से भारतीय भाषाओं को निकट लाने एवं समृद्ध करने का प्रयास किया गया है। 

भारतीय भाषा दिवस तमिल के प्रसिद्ध साहित्यकार और हिन्दी, संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाओं के अनुरागी सुब्रमण्यम भारती जी के जन्मदिवस पर मनाने का आरंभ वर्तमान सरकार ने किया है ताकि भारत की सभी मातृभाषाओं में परस्पर समन्वय और समरसता का संचार हो सके।

तमिल के सुप्रसिद्ध कवि सुब्रमण्यम भारती का मत था कि भारत की सभी भाषाओं में साम्य है। इनमें अंतर केवल उच्चारण और गति तथा स्थानीय प्रभावों का होता है।

सुब्रमण्यम भारती की शिक्षा काशी में हुई थी। इन्होंने वंदेमातरम् का तमिल में अनुवाद किया था। उनका सभी भारतीय भाषाओं के प्रति अनुराग जगजाहिर था।

सुब्रमण्यम भारती द्वारा प्रकाशित तमिल पत्रिका इंडिया में कुछ पृष्ठ हिन्दी भाषा की रचनाओं के लिए सुरक्षित रखा जाता था।

इस कार्यक्रम का संचालन पूनम माटिया एवं धन्यवाद ज्ञापन राकेश कुमार ने किया। 

कार्यक्रम में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय संगठन मंत्री मनोज कुमार, अखिल भारतीय साहित्य परिषद् कार्यकारिणी सदस्य प्रवीण आर्य, केंद्रीय कार्यालय सचिव संजीव सिन्हा, बृजेश गर्ग, नीलम भागी, सुनीता बुग्गा, रजनी मान, सारिका कालरा सहित बड़ी संख्या में राजधानी क्षेत्र के साहित्यकार और साहित्य प्रेमी  श्रोता उपस्थित रहे।

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