हिमाचल में आने वाले उपचुनावों को लेकर सियासी महौल गरमाया, केबिनेट में बदलाव के भी आसार

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इसी तरह भाजपा के जुब्बल-कोटखाई से विधायक नरेन्दर बरागटा का हाल ही में निधन हो चुका है। इससे पहले फतेहपुर के विधायक सुजान सिंह पठानिया का भी निधन हो चुका है।

शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के दिल्ली दौरे के साथ प्रदेश का सियासी महौल एकाएक गरमा गया है जिससे सत्तारूढ दल भाजपा में नेता सरगर्म हो गये हैं ताकि अपने अपने हिसाब से सत्ता व संगठन में ओहदेदारी हासिल कर सकें। यू तो प्रदेश में विधानसभा चुनाव अगले साल होने हैं लेकिन चुनावों से पहले प्रदेश में तीन उपचुनाव संभावित हैं। जो सितंबर माह तक होने हैं। इनमें मंडी संसदीय सीट और फतेहपुर व जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव शामिल हैं। मंडी से भाजपा के सांसद राम शर्मा के निधन से सीट खाली हुई है। इसी तरह भाजपा के जुब्बल-कोटखाई से विधायक नरेन्दर बरागटा का हाल ही में निधन हो चुका है। इससे पहले फतेहपुर के विधायक सुजान सिंह पठानिया का भी निधन हो चुका है। 

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जाहिर है तीन माह बाद प्रदेश में तीन सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं जिन्हें भाजपा किसी भी सूरत में हारना नहीं चाहेगी। इसी के चलते इन दिनों प्रदेश में सियासी उठापटक शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के साथ आज लंबी मंत्रणा कर प्रदेश के मौजूदा हालात व उपचुनाव के संबंध में चर्चा की है। जिसमें चुनावों के लिये उम्मीदवारों को लेकर भी चरचा हुई है इसी के साथ प्रदेश मंत्रीमंडल में भी कुछ बदलाव किये जाने के आसार हैं। माना जा रहा है कि मंडी संसदीय सीट से भाजपा की ओर से मंत्री पर दांव लगाया जा सकता है। जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर या शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर को उपचुनाव के लिए मैदान में उतारा जा सकता है। पहले ऐसा विचार हो रहा था कि मंडी व फतेहपुर सीट के लिए सर्वेक्षण के आधार पर प्रत्याशियों का चयन किया जाए। अब तीसरा उपचुनाव साथ जुडऩे से चर्चा है कि नरेंद्र बरागटा के पुत्र चेतन बरागटा को भाजपा चुनाव मैदान में उतार सकती है।

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प्रदेश के चार नगर निगम चुनाव के बाद भाजपा उपचुनाव को किसी भी तरह से हलके में नहीं लेना चाहेगी। हाल ही में हुए पालमपुर व सोलन नगर निगम में भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा था जबकि धर्मशाला नगर निगम में भी भाजपा मुश्किल से कांग्रेस को हरा पाई। प्रदेश में उपचुनाव का इतिहास भी सरकार के साथ नहीं रहा है। सत्तारूढ़ दल भी उपचुनाव हारते रहे हैं लेकिन मौजूदा भाजपा सरकार 2019 में पच्छाद व धर्मशाला में हुए दोनों उपचुनाव जीती थी और अब तीन उपचुनाव सामने हैं।

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