झारखंड में सियासी संकट गहराया! शुरू हुई 'रिसॉर्ट पॉलिटिक्स', CM आवास से वॉल्वो बस में रवाना हुए विधायक

Political crisis
ANI
रेनू तिवारी । Aug 27 2022 2:51PM

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी गठबंधन सरकार का राजनीतिक भाग्य अधर में लटकने के बीच शनिवार को कुछ विधायक सामान लेकर सीएम आवास पहुंचे। सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के विधायक थोड़ी देर में छत्तीसगढ़ के लिए रवाना हो सकते हैं।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी गठबंधन सरकार का राजनीतिक भाग्य अधर में लटकने के बीच शनिवार को कुछ विधायक सामान लेकर सीएम आवास पहुंचे। सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के विधायक थोड़ी देर में छत्तीसगढ़ के लिए रवाना हो सकते हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि अवैध शिकार को रोकने के लिए उन्हें छत्तीसगढ़ स्थानांतरित किया जा सकता है। 81 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के 49 विधायक हैं। सबसे बड़ी पार्टी के रूप में झामुमो के 30 विधायक, कांग्रेस के 18 विधायक और राजद के एक विधायक हैं। सदन में भाजपा के 26 विधायक हैं।

इसे भी पढ़ें: जापान के पूर्व PM शिंजो आबे के हत्यारे का खुला बड़ा राज, मां के कारण तबाह हुई जिंदगी

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक के रूप में "अयोग्य" होने की समस्या का सामना करते हुए, रणनीति बनाने के लिए शुक्रवार को सीएम के आवास पर यूपीए की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। सूत्रों ने कहा कि तेजी से बदलते राजनीतिक परिदृश्य में, बहुमत की संख्या को बरकरार रखने के लिए 'रिसॉर्ट पॉलिटिक्स' चलन में आ सकती है।

इसे भी पढ़ें: गुलाम नबी आजाद होंगे जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री, पूर्व कांग्रेस विधायक का बड़ा बयान

इससे पहले, सोरेन ने एक जनसभा में कहा कि "शैतानी ताकतें" उनकी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह चिंतित नहीं हैं क्योंकि उनके पास लोगों का जनादेश है और वह अपने खून की आखिरी बूंद तक लड़ेंगे।

खनन पट्टा मामला

रांची। झारखंड में सियासी हलचल काफी तेज है। इस 'तेज' का प्रकाश इतना तेज है कि इसके झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी को भी हिला दिया है। अर्थात झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी खतरे में हैं क्योंकि माना जा रहा है कि उन्होंने जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 9ए उल्लंघन किया है। चुनाव आयोग के पास इस धारा को लेकर निर्णय लेने का अधिकार प्राप्य है। जांच के बाद चुवान आयोग ने लिफाफे में अपना फैसला बंद कर दिया है। अब क्या हेमंत सोरेन की कुर्सी रहेगी या जाएगी इसका फैसला झारखंड राज्यपाल रमेश वैश्य करेंगे। राज्यपाल को चुनाव आयोग ने अपना फैसला बता दिया है लेकिन इस बाद की जानकारी अभी सीएम आवास तक नहीं पहुंची है। अब फाइनल कॉल का इंतजार हैं। सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने अयोग्यता की अपनी सिफारिश झारखंड के राज्यपाल को भेज दी है। गेंद अब राज्यपाल रमेश बैस के पाले में है। उन्हें एक अधिसूचना जारी करनी होगी, जिसके बाद अयोग्यता की कार्यवाही शुरू होगी। भाजपा पहले ही नए सिरे से चुनाव का आह्वान कर चुकी है और मुख्यमंत्री से "नैतिक आधार पर" इस्तीफा देने को कहा है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, "हेमंत सोरेन को नैतिक आधार पर मध्यावधि चुनाव की ओर बढ़ना चाहिए।"

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़