Prabhasakshi NewsRoom । राजस्थान में बड़े बदलाव की तैयारी, UP में माफियाओं पर चल रहा बुलडोजर

Rajasthan
अंकित सिंह । Nov 20 2021 11:18AM

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सुलह के बाद राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। इन सबके बीच तीन मंत्रियों ने अपना इस्तीफा दे दिया है जिससे अशोक गहलोत ने स्वीकार कर लिया है।

उत्तर प्रदेश के महोबा में 'अर्जुन सहायक परियोजना' के उद्घाटन समारोह में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि कुछ दल समस्याओं की राजनीति करते हैं, जबकि भाजपा मुद्दों को सुलझाने की 'राष्ट्र नीति' में विश्वास करती है। बुंदेलखंड के लोग पहली बार सरकार को विकास के लिए काम करते देख रहे हैं। पिछली सरकारें यूपी को लूटते नहीं थकतीं लेकिन हम काम करते नहीं थकते। पीएम नरेंद्र मोदी कि किसानों को विभिन्न समस्याओं में उलझाए रखना कुछ राजनीतिक दलों के लिए राजनीति का आधार रहा है। वे समस्याओं की राजनीति करते हैं जबकि हमारी 'राष्ट्र नीति' का उद्देश्य समस्याओं का समाधान करना है।

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कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की पूर्ववर्ती सरकारों का नाम लिये बिना उन पर एक साथ निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में लंबे समय तक शासन करने वालों ने बारी-बारी से इस क्षेत्र को उजाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां के जंगलों, संसाधनों को कैसे माफिया के हवाले किया गया, यह किसी से छिपा नहीं है। अब इन्हीं माफिया पर उत्तर प्रदेश में जब बुलडोजर चल रहा है तो कुछ लोग हाय-तौबा मचा रहे हैं। मोदी ने कहा कि गुजरात के कच्छ की हालत भी बुंदेलखंड जैसी ही थी, लोग वहां से पलायन कर रहे थे लेकिन मुझे सेवा का अवसर मिला तो आज कच्छ देश के सबसे तेजी से विकास करने वाले जिलों में एक है और मुझे भरोसा है कि बुंदेलखंड में वैसा ही विकास होगा। उन्होंने कहा कि हम बुंदेलखंड से पलायन रोकने और इस क्षेत्र को रोजगार में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे और उत्तर प्रदेश रक्षा गलियारा इसका बहुत बड़ा प्रमाण है। 

राजस्थान में बदलाव की तैयारी

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सुलह के बाद राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। इन सबके बीच तीन मंत्रियों ने अपना इस्तीफा दे दिया है जिससे अशोक गहलोत ने स्वीकार कर लिया है। इन तीन मंत्रियों में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार में राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा और शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा शामिल हैं। इससे पहले राजस्थान में मंत्रिमंडल के पुनर्गठन की कवायद के बीच राज्य के तीन प्रमुख मंत्रियों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर मंत्री पद छोड़ने और संगठन के लिए काम करने की इच्छा जाहिर की थी। कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी अजय माकन ने कहा कि मुझे आपको यह जानकारी देते हुए खुशी हो रही है कि राजस्थान मंत्रिमंडल के हमारे तीन मंत्रियों ने आज सोनिया गांधी को पत्र लिखकर मंत्री पद छोड़ने की पेशकश की है और पार्टी के लिए काम करने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा कि चौधरी, डोटासरा व शर्मा ने इस बारे में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखे हैं। 

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माकन ने कहा कि 30 जुलाई को यहां सभी विधायकों से मिलने के बाद उन्होंने मीडिया को बताया था कि कुछ विधायक मंत्री पद छोड़कर संगठन के लिए काम करना चाहते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी इनका सम्मान करती है। हमें खुशी है कि ऐसे लोग हैं जो पार्टी के लिए काम करना चाहते हैं। डोटासरा इस समय कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं तो डॉ. शर्मा को पार्टी ने हाल में गुजरात मामलों का व हरीश चौधरी को कांग्रेस की पंजाब का प्रभारी नियुक्त किया है। इससे पहले जयपुर पहुंचने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व डोटासरा ने माकन का स्‍वागत किया। मुख्‍यमंत्री गहलोत ने दो दिन पहले मंत्रिमंडल पुनर्गठन जल्‍द होने की बात कही थी। वर्तमान में राज्‍य मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित 21 सदस्य हैं। राज्य में विधायकों की संख्या 200 है, उस हिसाब से मंत्रिमंडल में अधिकतम 30 सदस्य हो सकते हैं। 

संख्या बल के हिसाब से राज्य विधानसभा में इस समय कांग्रेस के 108 व भाजपा के 71 विधायक हैं। इसके अलावा 13 निर्दलीय विधायक हैं। गहलोत नीत सरकार अगले महीने अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे करेगी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार मंत्रिमंडल पुनर्गठन में सचिन पायलट खेमे के विधायकों के साथ साथ पिछले साल राजनीतिक संकट में सरकार का साथ देने वाले विधायकों की अपेक्षाओं को पूरा करने की चुनौती पार्टी आलाकमान पर रहेगी। इन विधायकों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से कांग्रेस में आए छह विधायक व दर्जन भर निर्दलीय विधायक भी हैं। हालांकि, मंत्रिमंडल पुनर्गठन के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं है लेकिन पार्टी सूत्रों के अनुसार माकन के इस दौरे में पुनर्गठन व राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर निर्णय हो सकता है।

चंद्रबाबू नायडू का संकल्प 

तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने संकल्प लिया कि सत्ता में लौटने तक वह आंध्र प्रदेश विधानसभा में कदम नहीं रखेंगे। उन्होंने तेदेपा मुख्यालय में कहा कि तब तक हम लोगों के पास जाएंगे और इसका समाधान करेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री संवाददाता सम्मेलन में भावुक हो गए और थोड़ी देर रोते दिखे। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस उन्हें लगातार अपमानित कर रही है। तेदेपा प्रमुख ने कहा, यह वाईएसआरसी के अत्याचारी शासन के खिलाफ एक धर्म युद्ध है। मैं लोगों के पास जाऊंगा और उनका समर्थन मांगूंगा। अगर लोग सहयोग करते हैं, तो मैं राज्य को बचाने का प्रयास करूंगा। इससे पहले, नेता प्रतिपक्ष ने सदन में भावुक स्वर में कहा कि सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस के सदस्यों द्वारा उनके खिलाफ लगातार इस्तेमाल किए जा रहे अपशब्दों से वह आहत हैं। 

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नायडू ने कहा, पिछले ढाई साल से मैं लोगों के भले की वजह से अपमान सह रहा हूं, लेकिन शांत रहा। आज, उन्होंने मेरी पत्नी को भी निशाना बनाया है। मैं हमेशा सम्मान के लिए और सम्मान के साथ रहा। मैं इसे और नहीं सह सकता। विधानसभा अध्यक्ष तम्मिनेनी सीताराम ने जब उनका माइक संपर्क काट दिया, तब भी नायडू ने बोलना जारी रखा। सत्तारूढ़ दल के सदस्यों ने नायडू की टिप्पणी को नाटक करार दिया। कृषि क्षेत्र पर एक संक्षिप्त चर्चा के दौरान सदन में दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने निराशा व्यक्त की। बाद में, उन्होंने अपने कक्ष में अपनी पार्टी के विधायकों के साथ अचानक बैठक की, जहां वह कथित तौर पर अत्यंत भावुक हो गए। तेदेपा के स्तब्ध विधायकों ने नायडू को सांत्वना दी, जिसके बाद वे सभी सदन में वापस आ गए। नायडू ने तब अपने फैसले की घोषणा की और कहा, सत्ता में लौटने तक वह विधानसभा में कदम नहीं रखेंगे। बाद में, सदन में पहुंचे मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि विपक्षी नेता का व्यवहार और शब्द नाटक के अलावा और कुछ नहीं हैं। रेड्डी ने कहा, चंद्रबाबू हर चीज से केवल राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उनका नाटक सभी को दिखाई दे रहा था, हालांकि मैं उस समय सदन के अंदर नहीं था। 

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