चिराग को बंगले से निकालने की तैयारी, सरकार ने भेजा दल, काफी दिलचस्प है 12 जनपथ की कहानी जहां से पासवान बने मौसम वैज्ञानिक
पासवान के निधन के बाद ये उम्मीद जताई जा रही थी कि शायद चिराग पासवान को मोदी कैबिनेट में जगह मिलेगी और उनका बंगला बचा रहेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच दो गुटों में विभाजित हो गयी है।
वर्ष 2004, साल का पहला दिन यानी 1 जनवरी, सोनिया गांधी अपने 10 जनपथ निवास से निकलती हैं। एसपीजी सुरक्षा के साथ गोलचक्कर को पैदल पार करती हैं और 12 जनपथ के गेट पर पहुंचती हैं। 12 जनपथ यानी रामविलास पासवान का आवास। बंगले के साथ रामविलास पासवान का नाता पिछले 31 सालों से रहा है क्योंकि तीन दशकों में सरकार किसी की भी रही हो पासवान के पास ये बंग्ला हमेशा से रहा। ये 12 जनपथ ही है जहां से पासवान राजनीति के मौसम वैज्ञानिक कहलाने लगे। लेकिन अब ये महज एक इतिहास बनकर रह जाएगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिवंगत नेता रामविलास पासवान के आवास 12 जनपथ को आज खाली कराया जा रहा है। सरकार ने लोकसभा सांसद चिराग पासवान को उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान को आवंटित बंगले से बेदखल करने के लिए एक टीम भेजी है।
बंगला खाली कराने पहुंची टीम
पासवान के निधन के बाद ये उम्मीद जताई जा रही थी कि शायद चिराग पासवान को मोदी कैबिनेट में जगह मिलेगी और उनका बंगला बचा रहेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच दो गुटों में विभाजित हो गयी है। इसका उपयोग पार्टी की संगठनात्मक बैठकों और अन्य संबंधित कार्यक्रमों के आयोजन के लिए नियमित रूप से किया जाता था।। अब इसे खाली कराया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि 12-जनपथ बंगला केंद्रीय मंत्रियों के लिए निर्धारित है और सरकारी आवास में रहने वालों को इसे खाली करने के लिए कहा गया है।
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पासवान का निवास मौसम विभाग का दफ्तर
राजनीति के गलियारों में 12 जनपथ को लेकर कई किस्सें मशहूर हैं और इसको लेकर अक्सर चर्चाएं भी होती रहती हैं। हमेशा कहा जाता था कि रामविलास पासवान के बंगले में मौसम विभाग का एक दफ्तर है जिससे ये अनुमान लगाया जाता है कि अगली सरकार किसकी होगी। सोनिया संग सुबह की चाय हो या राजनाथ सिंह के साथ मिठाई। दोनों ही मुलाकातों ने देश की सियासत को बदल कर रख दिया था।
सोनिया गांधी की पैदल टहलते हुए अचानक दस्तक
कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी का आधिकारिक आवास 10 जनपथ है वहीं पासवान का 12 जनपथ। साल 2004 में सोनिया की पैदल ही टहलते हुए पासवान के बंगले पर पहुंचना उस दौर में काफी चर्चा का विषय बना था। कहा जाता है कि सोनिया ने रामविलास पासवान से कोई अपॉइंटमेंट नहीं लिया था। केवल उनके दफ्तर ने यह चेक किया था कि पासवान घर पर हैं या नहीं। वह बिना ऐलान किए, बिना किसी अपॉइंटमेंट और बिना किसी सूचना के वहां पहुंचीं। पासवान के लिए भी यह बेहद आश्चर्यजनक घटना थी, लेकिन वह सोनिया की गर्मजोशी, पहल और राजनीतिक सूझबूझ के कायल हो गए थे। पासवान की पार्टी उस वक्त अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर अनिश्चितता में थी और ऐसे में सोनिया का गठजोड़ बनाने के लिए उनके पास आना पासवान के लिए बड़ी बात थी। इसके बाद जो हुआ वह इतिहास है।
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2014 के चुनाव में फिर से सुर्खियों में रहा 12 जनपथ
साल 2014, आम चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर दिल्ली का 12 जनपथ सुर्खियों में था। इस बार भाजपा के वरिष्ठ नेता रामविलास पासवान से मुलाकात करने आए थे। इस बैठक के बाद देर रात लोकसभा चुनाव में लोजपा और बीजेपी के गठबंधन की घोषणा हुई। इतिहास की ये दो घटनाएं बताने के लिए काफी हैं कि भारतीय राजनीति में रामविलास पासवान की यही अहमियत है। वे एक ही वक्त में दो विपरीत छोरों पर खड़े लोगों के बीच सहज स्वीकार्य हो जाते थे।
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