Prabhasakshi's Newsroom। 26/11 हमलों का तगड़ा जवाब न देना क्या सरकार की कमजोरी थी ? भाजपा ने कांग्रेस को घेरा

gaurav bhatia

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी की किताब में मुंबई हमले को लेकर किसे गए धमाके के बाद हंगामा शुरू हो गया। कांग्रेस पहले ही सलमान खुर्शीद की किताब से पैदा हुई मुसीबत का सामना कर ही रही थी कि अब उनके सामने एक और विवाद खड़ा हो गया है।

आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस लगातार बैकफुट पर जाती हुई दिखाई दे रही है। पहले सलमान खुर्शीद की किताब और अब मनीष तिवारी की किताब ने कांग्रेस को ही निशाना बनाया है। जिसके बाद भाजपा ने मौके को लपकते हुए पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार को निकम्मी सरकार बता दिया। इसके अलावा हम बात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पंजाब दौरे की करेंगे, जहां पर वो लगातार चन्नी सरकार को निशाना बना रहे हैं और अंत में चर्चा शीतकालीन सत्र की होगी। जहां पर भाजपा को घेरने के लिए कांग्रेस ने रणनीतियां तैयार करना शुरू कर दिया है। 

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मनीष तिवारी की किताब से मचा बवाल

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी की किताब में मुंबई हमले को लेकर किसे गए धमाके के बाद हंगामा शुरू हो गया। कांग्रेस पहले ही सलमान खुर्शीद की किताब से पैदा हुई मुसीबत का सामना कर ही रही थी कि अब उनके सामने एक और विवाद खड़ा हो गया है। इसी किताब को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से चुप्पी तोड़ने की मांग की।

मनीष तिवारी ने अपनी नई किताब में मुंबई आतंकी हमले पर जवाबी कार्रवाई को लेकर मनमोहन सरकार की आलोचना की और कहा कि कई बार संयम कमजोरी की निशानी होती है और भारत को उस समय कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी।

मनीष तिवारी कांग्रेस के उस 'जी 23' समूह का हिस्सा हैं जिसने पिछले साल सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में व्यापक संगठनात्मक बदलाव और जमीन पर सक्रिय अध्यक्ष की मांग की थी। भाजपा ने मनीष तिवारी की किताब को लेकर कांग्रेस को घेरने की कोशिश की।

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भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि इस पुस्तक का सारांश है कि संयम शक्ति की निशानी नहीं है, 26/11 के मुंबई हमले के समय संयम कमजोरी माना जा सकता है। भारत को उस समय कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी। जब कांग्रेस की विफलताओं का ये कबूलनामा पढ़ा तो हर भारतीय की तरह हमें भी बड़ी पीड़ा हुई। उन्होंने कहा कि इस तथ्य के बाद आज स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस की जो सरकार थी वो निठल्ली, निकम्मी थी, लेकिन राष्ट्र सुरक्षा जैसे मुद्दे पर भारत की अखंडता की भी उनको चिंता नहीं थी।

क्या केजरीवाल के संपर्क में हैं कांग्रेस विधायक ?

विधानसभा चुनाव के मद्देनजर रणनीतियां बनाने के लिए अरविंद केजरीवाल ने इन दिनों पंजाब के दौरे पर हैं। इसी बीच उन्होंने अमृतसर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 25 विधायक और 2-3 सांसद हमारे संपर्क में हैं जो आना चाहते हैं लेकिन हम उनका कचरा नहीं लेना चाहते हैं। यह गंदी राजनीति है, हम इसमें नहीं पड़ते हैं।

इतना ही नहीं उन्होंने दिल्ली की तरह ही पंजाब में भी सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने की बात की और चन्नी सरकार से लेकर शिअद तक को निशाने पर लिया। इसी बीच केजरीवाल ने पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू की तारीफ की। उन्होंने कहा कि सारी कांग्रेस सिद्धू को दबाने में लगी हुई है। लेकिन वो बात बिल्कुल सही करते हैं। 

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भाजपा को घेरने की रणनीति बना रही कांग्रेस

संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में भाजपा को घेरने के लिए कांग्रेस रणनीतियां तैयार कर रही है। इसके लिए पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी ने 25 नवंबर को संसदीय रणनीति समिति की बैठक बुलाई है। आपको बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से आरंभ हो रहा है, जो 23 दिसंबर तक चलेगा। इस बार का सत्र भी हंगामेदार हो सकता है। हालांकि सरकार ने केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है, जिसकी वजह से मानसून सत्र हंगामेदार रहा था।

इतना ही नहीं कांग्रेस ने वॉररूम में महंगाई, सीमा की स्थिति, किसान आंदोलन और बेरोजगारी को लेकर संसद से सड़क तक सरकार को घेरने की योजना तैयार की है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक कांग्रेस दिल्ली में जनसभा करेगी लेकिन यह जनसभा शीतकालीन सत्र के दौरान ही आयोजित की जा सकती है।

हालांकि इस बार यह भी देखना दिलचस्प होगा कि विपक्षी दलों का नेतृत्व कौन करता है क्योंकि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी खुद को विपक्ष का चेहरा समझते हैं जबकि ममता बनर्जी सीधे मोदी सरकार को चुनौती देने के लिए विपक्षी दलों की अगुवाई करना चाहती हैं। 

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अंत में जाते-जाते देखिए गलवान घाटी के वीरों का सम्मान, 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में ऑपरेशन स्नो-लेपर्ड के दौरान 16 बिहार रेजीमेंट के कर्नल संतोष बाबू समेत 20 जवान शहीद हो गए थे।

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