जानिए कौन हैं सरदार बेअंत सिंह ? जिनकी सचिवालय के सामने धमाके में हुई थी मौत

पंजाब के इतिहास में 31 अगस्त, 1995 का दिन शायद ही कोई भूल पाए क्योंकि इस दिन प्रदेश ने अपने लाल को खोया था। पूर्व मुख्यमंत्री सरदार बेअंत सिंह पंजाब-हरियाणा सचिवालय के बाहर अपनी गाड़ी के पास खड़े थे। उसी वक्ति एक खालिस्तानी आत्मघाती हमलावर ने उनकी तरफ बढ़ा और फिर धमाका हुआ।
चंडीगढ़। पंजाब में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत तेज है। पाकिस्तान से सीमा सटी होने की वजह से 80 और 90 के दशक पंजाब आतंकी गतिविधियों से सबसे ज्यादा प्रभावित था, यहां पर मादक पदार्थ भी एक अहम मुद्दा रहा है। आपको बता दें कि 117 विधानसभा सीटों वाले राज्य में शांति व्यवस्था बहाल करने की कोशिशों में सरदार बेअंत सिंह की मौत हो गई थी।
कांग्रेस के दिग्गज नेता सरदार बेअंत सिंह ने 3 सालों तक मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की सेवा की। साल 1992 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली और फिर बेअंत सिंह की ताजपोशी हुई। उस वक्त उनके समक्ष अशांत प्रदेश में शांति बहाली करने की चुनौती थी। माना जाता है कि उन्होंने अलगाववादियों के खिलाफ सफलता भी हासिल की थी लेकिन 31 अगस्त, 1995 को मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर कार में बम विस्फोट होने से उनकी मौत हो गई।
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सरदार बेअंत सिंह करियर सरदार
बेअंत सिंह का जन्म लुधियाना जिले के दोराहा के पास बिलासपुर गांव के झज्ज जाट सिख परिवार में हुआ था। उन्होंने लाहौर के सरकारी कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की थी। 23 साल की उम्र में वह सेना में शामिल हो गए, लेकिन दो साल बाद उनका मन परिवर्तित हुआ और उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया।
1947 के विभाजन के बाद सरदार बेअंत सिंह ने राजनीति में एंट्री की थी और फिर 1960 में वो बिलासपुर गांव के सरपंच चुने गए। इसके बाद लुधियाना में दोराहा ब्लॉक समिति के अध्यक्ष नियुक्त हुए। उन्होंने कुछ समय के लिए लुधियाना में सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के निदेशक के रूप में भी काम किया।
सरदार बेअंत सिंह ने साल 1969 में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज करते हुए विधानसभा पहुंचे थे। साल 1992 में सरदार बेअंत सिंह मुख्यमंत्री बने। अपने राजनीतिक जीवन काल में उन्होंने कई प्रमुख मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली है। इसके अतिरिक्त वो साल 1986 से लेकर 1995 तक पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे।
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सरदार पर हुआ आत्मघाती हमला
पंजाब के इतिहास में 31 अगस्त, 1995 का दिन शायद ही कोई भूल पाए क्योंकि इस दिन प्रदेश ने अपने लाल को खोया था। पूर्व मुख्यमंत्री सरदार बेअंत सिंह पंजाब-हरियाणा सचिवालय के बाहर अपनी गाड़ी के पास खड़े थे। उसी वक्ति एक खालिस्तानी आत्मघाती हमलावर ने उनकी तरफ बढ़ा और फिर धमाका हुआ। धमाका इतना तेज हुआ कि आस-पास के इलाके गूंज गए। इस आत्मघाती हमले में सरदार बेअंत सिंह समेत 18 लोगों की मौत हुई थी।
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