ग्रेट निकोबार द्वीप प्रोजेक्ट पर राहुल गांधी ने जताई चिंता, शेयर किया सोनिया गांधी का लेख

राहुल गांधी ने ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना को आदिवासियों के अधिकारों को कुचलने वाला "दुस्साहस" बताया, जो कानूनी प्रक्रियाओं का मज़ाक उड़ा रहा है। सोनिया गांधी ने भी इसे निकोबारी और शॉम्पेन जनजातियों के विस्थापन तथा अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए गंभीर खतरा बताते हुए 72,000 करोड़ रुपये के अनुचित व्यय पर सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार को कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी का एक लेख सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना द्वारा निकोबार के लोगों और उसके नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र पर हो रहे अन्याय को उजागर किया गया। ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना, ग्रेट निकोबार द्वीप पर भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य समग्र विकास और रणनीतिक स्थिति बनाना है, जिसमें एक ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, एक ऊर्जा संयंत्र और एक टाउनशिप शामिल है।
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X पर साझा की गई एक पोस्ट में, राहुल गांधी ने कहा कि ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना एक दुस्साहस है, जो आदिवासियों के अधिकारों को कुचल रही है और कानूनी व विचार-विमर्श प्रक्रियाओं का मज़ाक उड़ा रही है। इस लेख के माध्यम से, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी इस परियोजना द्वारा निकोबार के लोगों और उसके नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र पर हो रहे अन्याय को उजागर करती हैं। इसे अवश्य पढ़ें।
द हिंदू के एक संपादकीय में, सोनिया गांधी ने चिंता जताई कि यह परियोजना "दुनिया के सबसे अनोखे वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के पारिस्थितिकी तंत्रों में से एक के लिए ख़तरा है और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।" सोनिया गांधी ने कहा, "72,000 करोड़ रुपये का यह पूरी तरह से अनुचित व्यय द्वीप के मूल आदिवासी समुदायों के अस्तित्व के लिए ख़तरा पैदा करता है।" उन्होंने तर्क दिया कि निकोबारी आदिवासियों के पैतृक गाँव परियोजना के प्रस्तावित भू-क्षेत्र में आते हैं, और 2004 के हिंद महासागर सुनामी के दौरान उन्हें अपने गाँव छोड़ने पड़े थे; अब, यह परियोजना इस समुदाय को स्थायी रूप से विस्थापित कर देगी।
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सोनिया गांधी ने यह भी तर्क दिया कि शोम्पेन को और भी बड़े खतरे का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा अधिसूचित द्वीप की शोम्पेन नीति के अनुसार, बड़े पैमाने पर विकास प्रस्तावों पर विचार करते समय अधिकारियों को जनजाति के कल्याण और "अखंडता" को प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने आगे कहा, "इसके बजाय, यह परियोजना शोम्पेन जनजातीय अभ्यारण्य के एक बड़े हिस्से को गैर-अधिसूचित करती है, उन वन पारिस्थितिकी प्रणालियों को नष्ट करती है जहाँ शोम्पेन रहते हैं और इससे द्वीप पर बड़े पैमाने पर लोगों और पर्यटकों की आमद होगी।" कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि जनजातीय अधिकारों के संरक्षण के लिए स्थापित संवैधानिक और वैधानिक निकायों को इस पूरी प्रक्रिया में दरकिनार कर दिया गया है।
"The Great Nicobar Island Project is a misadventure, trampling on tribal rights and making a mockery of legal and deliberative processes."
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 8, 2025
Through this article, Congress Parliamentary Party Chairperson Smt. Sonia Gandhi highlights the injustices inflicted on Nicobar’s people and… pic.twitter.com/3mM4xHKq04
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