राहुल साफ करें कि वह वाम दल से लड़ना चाहते हैं या भाजपा से: सीताराम येचुरी

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[email protected] । Apr 19 2019 8:21PM

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि माकपा की अगुवाई वाली वाम मोर्चा ने कांग्रेस की अगुवाई वाली संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दिया था।

कोलकाता। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से यह स्पष्ट करने को कहा है कि वह भाजपा के साथ लड़ने के इच्छुक हैं या वाम दलों के साथ क्योंकि उन्हें लगता है कि वाम का गढ़ माने जाने वाले वायनाड से चुनाव लड़ने के कांग्रेस अध्यक्ष के फैसले से अलग संदेश गया है। येचुरी ने यह संकेत भी दिया कि राहुल का यह निर्णय चुनाव के बाद दोनों दलों के एक साथ आने से नहीं रोकेगा। येचुरी ने 2004 के चुनाव के बारे में बातचीत करते हुए कहा कि माकपा की अगुवाई वाली वाम मोर्चा ने कांग्रेस की अगुवाई वाली संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दिया था। उन्होंने कहा कि उस समय वाम दलों के 61 सांसदों में से 57 ने कांग्रेस को हरा कर जीत हासिल की थी।

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येचुरी ने पीटीआई को दिये साक्षात्कार में कहा कि केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर लड़ाई कांग्रेस की अगुवाई वाली यूडीएफ और वाम दल की अगुवाई वाली एलडीएफ के बीच है, चाहे उम्मीदवार राहुल अथवा कोई एक्सवाईजेड हो। हम आज कह रहे हैं कि भारत को बचाने के लिए हमें भाजपा को हराना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अब राहुल गांधी क्या करना चाहते हैं यह उन पर है। राहुल गांधी अपनी मां और दादी से अलग, जिन्होंने कर्नाटक में भाजपा के खिलाफ लड़ा था, केरल में वाम दल के खिलाफ लड़कर क्या संदेश देना चाहते हैं। उन्हें देश को बताना चाहिए कि वह भाजपा के खिलाफ लड़ाई के इच्छुक हैं या वाम दल के। उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए।

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इंदिरा गांधी ने अक्टूबर 1978 में चिकमंगलूर से जबकि सोनिया गांधी ने 1999 में बेल्लारी से चुनाव लड़ा था और यह दोनों ही संसदीय क्षेत्र कर्नाटक में है। माकपा महासचिव ने कहा कि भाजपा के साथ संघर्ष करना एक बात है और वाम दल के साथ लड़ाई का अलग संदेश जाता है। यह पूछे जाने पर कि राहुल के केरल से लड़ने का मतलब चुनाव बाद परिदृश्य में कांग्रेस का समर्थन करने के लिए माकपा का रास्ता बंद हो जाएगा, येचुरी ने कहा कि किस बात के लिए रास्ता बंद होगा। अगर राहुल गांधी वहां नहीं होते तो कांग्रेस का कोई और उम्मीदवार होता। येचुरी ने कहा कि हमलोग राजनीतिक तौर पर केरल में कांग्रेस के साथ लड़ रहे हैं और हम इसे लड़ेगे। यह पूछे जाने पर कि माकपा प्रस्तावित धर्मनिरपेक्ष सरकार का हिस्सा होगा अथवा वह अपनी भूमिका बाहर से समर्थन तक ही सीमित रखेगी, माकपा महासचिव ने कहा कि इसका निर्णय चुनाव के बाद किया जाएगा।

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