राजनाथ ने लद्दाख में स्थित युद्ध स्मारक का किया उद्घाटन, बोले- 114 वीर जवानों ने सीमा की रक्षा के लिए दी थी शहादत

rajnath singh

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश के लिए शहादत वही दे सकता है जिसका मन बड़ा होगा, छोटे मन वाला व्यक्ति कभी शहादत नहीं दे सकता है और जिसका मन छोटा होता है वह आध्यात्मिक नहीं हो सकता है। ऐसे में जिसका मन बड़ा होता है वही आध्यात्मिक हो सकता है।

लद्दाख। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख के रेजांग ला में स्थित युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया। इसके बाद उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैंने यहां पर जो कुछ ही देखा है उससे मेरी आंखें भर आई हैं। हमारे 114 वीर जवानों ने अपनी शहादत देकर इस सीमा की रक्षा की है। उन्होंने भारत के मान, सम्मान, स्वाभिमान को बढ़ाया है। मैं कहना चाहता हूं कि वो सिर्फ बहादुर सैनिक ही नहीं थे बल्कि आध्यात्मिक पुरुष भी थे। मैं जानता हूं यह सुनकर बहुत से लोगों को आश्चर्य होगा कि शहादत देने वालों को आप आध्यात्मिक पुरुष के रूप में कैसे परिभाषित कर सकते हैं। 

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रक्षा मंत्री ने कहा कि देश के लिए शहादत वही दे सकता है जिसका मन बड़ा होगा, छोटे मन वाला व्यक्ति कभी शहादत नहीं दे सकता है और जिसका मन छोटा होता है वह आध्यात्मिक नहीं हो सकता है। ऐसे में जिसका मन बड़ा होता है वही आध्यात्मिक हो सकता है। इसीलिए मैं कहना चाहता हूं कि वो लोग बहादुर के साथ-साथ आध्यात्मिक पुरुष भी हैं। इसीलिए मैं उनकी स्मृति को एक बार फिर से सीस झुकाकर उन्हें नमन करना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ इस साल यहां पर नहीं आया हूं बल्कि जब तक रक्षा मंत्री रहूंगा तब तक मैं आता रहूंगा। 

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भारतीयों में है मुंहतोड़ जवाब देने की कूबत

इसी बीच रक्षा मंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि दुनिया की कोई ताकत अगर भारत की तरफ आंख उठाकर देखेगी तो उसे मुंहतोड़ जवाब देने की कूबत हममें है। उन्होंने कहा कि हमें अपने सेना के जवानों पर फक्र और भरोसा है। भारत का चरित्र रहा है कि हमने दुनिया के किसी भी देश पर न आक्रमण किया है और न ही किसी देश की एक इंच जमीन पर कब्जा किया है।

आपको बता दें कि 18,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस स्थान पर हुए युद्ध में करीब 114 भारतीय सैनिकों ने 1962 में चीनी सेना का बहादुरी से मुकाबला किया था। रेजांग ला की लड़ाई को 59 साल पहले लद्दाख में भारत-चीन के बीच हुए युद्ध के सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से माना जाता है। 

यहां सुने पूरा संबोधन:-

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