भारतीय नेवी की दुनिया मे बढ़ेगी धमक, स्वादेशी महाशक्तिशाली युद्धतोप में हैं ये है खूबियां
विशाखापट्टनम वॉरशिप पूर्णतया भारत मे ही बनाया गया है साथ ही यह अभी तक का भारतीय नेवी के सबसे ज्यादा शक्तिशाली वॉरशिप में से एक है। दुश्मन देश की रडार से बच कर यह वॉरशिप अपना काम करने में सक्षम है।
मोदी सरकार लगातार अपनी सेना को मजबूत करने के काम मे तो लगी ही रहती है साथ ही हथियारों, युद्धतोपों आदी के लिए विदेशों पर निर्भरता घटाने के लिए देश मे ही स्वादेशी आयुध निर्माण पर भी लगातार जोर देती है। अब इसी क्रम में 21 नवंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुम्बई में स्वादेशी वॉरशिप को नेवी में शामिल करने जा रहे हैं। ये वॉरशिप पूर्णतया भारत मे ही बनाया गया है साथ ही यह अभी तक का भारतीय नेवी का सबसे ज्यादा शक्तिशाली डिस्ट्रॉयर भी है। इस वॉरशिप का नाम विशाखापट्टनम रखा गया है। भारतीय नेवी के वाइस चीफ वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे ने बताया कि 21 नवंबर को मुंबई में रक्षा मंत्री इस डिस्ट्रॉयर क्लास वॉरशिप को नेवी में औपचारिक तौर पर शामिल करेंगे।
स्वादेशी है वॉरशिप विशाखापट्टनम
विशाखापट्टनम गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर है। इसे भारतीय नेवी के ही इनहाउस ऑर्गनाइजेशन नेवल डिजाइन डायरेक्टरेट ने डिजाइन किया है है। इस वॉरशिप की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर और वजन करीब 7400 टन है। यह भारत में अभी तक बने सबसे शक्तिशाली वॉरशिप में से एक है। इंडियन नेवी के प्रोजेक्ट 15बी का यह पहला वॉरशिप है। विशाखापट्टनम को नेवी के मझगांव डॉकयार्ड में बनाया गया है।
वॉरशिप विशाखापट्टनम में क्या हैं खूबियां
विशाखापट्टनम वॉरशिप पूर्णतया भारत मे ही बनाया गया है साथ ही यह अभी तक का भारतीय नेवी के सबसे ज्यादा शक्तिशाली वॉरशिप में से एक है। दुश्मन देश की रडार से बच कर यह वॉरशिप अपना काम करने में सक्षम है। विशाखापट्टनम वॉरशिप चार पावरफुल गैस टर्बाइन से चलता है। इसकी स्पीड 30 नॉटिकल माइल्स तक जा सकती है। इंडियन नेवी के प्रोजेक्ट 15बी के तहत ऐसे 4 वॉरशिप बनाने की योजना है। इंडियन नेवी को इस क्लास का दूसरा वॉरशिप अगले साल, तीसरा 2024 और चौथा वॉरशिप 2025 में मिलेगा।
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