गुजरात का दिलचस्प रास चुनाव: कांग्रेस SC के द्वार, BJP के चाणक्य पर फतह का दारोमदार

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अभिनय आकाश । Jun 20 2019 5:23PM

चुनाव आयोग ने दोनों सीटों के चुनाव के लिए अलग-अलग अधिसूचना जारी की है। इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि दिन भले ही एक हो लेकिन चुनाव अलग-अलग होगा।

राज्यसभा चुनाव कब होते हैं और कब इसके परिणाम घोषित हो जाते हैं किसी को पता भी नहीं चलता। बशर्ते अहमद पटेल न लड़ रहे हो और उनको हराने के लिए अमित शाह जोड़-तोड़ न बिठा रहे हो। साल 2017 का चुनाव जब शाह खुद तो जीत गए लेकिन पटेल को राज्यसभा पहुंचने से नहीं रोक सके। एक बार फिर से राज्यसभा का दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। राज्यसभा की छह सीटों के लिए चुनाव आयोग पांच जुलाई को चुनाव कराने जा रहा है। जिसके संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। ओडिशा की तीन, गुजरात की दो और बिहार की एक सीट के लिए चुनाव होंगे।

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ओडिशा और बिहार में सत्तारूढ़ पार्टी संख्याबल के हिसाब से आसानी से इस सीट पर कब्जा जमा लेगी। लेकिन मामला गुजरात की दो सीटों को लेकर फंसा है। राज्यसभा चुनाव गणित का खेल होता है जो पहले से ही सप्ष्ट होता है। लेकिन हाल कि गुजरात के राज्यसभा सीटों के चुनाव का माहौल ऐसा था जिसको लेकर पूरे देश की नजरे टिकी थी। तीन सीटों के लिए चुनाव हुए थे। दो सीटों पर अमित शाह और स्मृति ईरानी की जीत हुई थी। वहीं एक सीट कांग्रेस के हिस्से में आई थी। जिसको लेकर दोनों ही दलों ने पूरा जोर लगा दिया था। सोनिया गांधी के लंबे समय तक राजनीतिक सचिव रहे अहमद पटेल को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया। उसी वक्त कांग्रेस में बगावत हो गई शंकर सिंह वाघेला बाहर आ गए और कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए बलवंत सिंह राजपूत को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बना दिया। उसके बाद दोनों तरफ से क्रास वोटिंग का दौर भी चला। कांग्रेस को अपने 44 विधायकों को गुजरात से बाहर कर्नाटक भेजना पड़ा और गुजरात की राजनीति में रिसॉर्ट पॉलिटिक्स ने एंट्री कर ली। जिस दिन नतीजे आने थे उसके अगले दिन तीन बजे जाकर नतीजा पक्का हुआ।

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फिर से गुजरात में राज्यसभा चुनाव है। चुनाव आयोग ने कहा है कि गुजरात की जो दो सीटें खाली हुई हैं उस पर अलग-अलग चुनाव होंगे। कांग्रेस इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है और मांग की है कि गुजरात में दोनों राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव एक ही साथ करें। कोर्ट ने आयोग को नोटिस जारी कर 24 जून तक जवाब दाखिल करने को कहा है। 

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गुजरात में कुल विधानसभा की 182 सीटें हैं व फिलहाल कुल 175 विधायक हैं। इनमें से भाजपा के 100 विधायक हैं और कांग्रेस के पास 71 विधायक हैं। संख्याबल के हिसाब से गुजरात से एक राज्यसभा सांसद चुनने के लिए 59 प्रथम वरीयता के वोट चाहिए। ऐसे में गुजरात में भाजपा-कांग्रेस कितने सांसद जिता पाएगी ये इस बात पर निर्भर करेगा कि चुनाव कैसे होते हैं। अगर चुनाव एक साथ होते हैं तो भाजपा एक और कांग्रेस एक सांसद जीता पाने में सफल होगी। लेकिन अगर दोनों सीटों को अलग अलग चुनाव हुए (जिसकी संभावना ज्यादा है) तो कांग्रेस के हिस्से में पराजय आएगी। क्योंकि ऐसी स्थिति में विधायक दो बार वोट करेंगे और भाजपा संख्या बल के हिसाब से बाजी मार ले जाएगी।हालांकि गुजरात की दो सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर पेंच फंस गया है।

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चुनाव आयोग ने दोनों सीटों के चुनाव के लिए अलग-अलग अधिसूचना जारी की है। इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि दिन भले ही एक हो लेकिन चुनाव अलग-अलग होगा। दरसअल चुनाव आयोग की अधिसूचना की मुताबिक अमित शाह को लोकसभा चुनाव जीतने का प्रमाणपत्र 23 मई को ही मिल गया था, जबकि स्मृति ईरानी को 24 मई को मिला। इससे दोनों के चुनाव में एक दिन का अंतर हो गया। इसी आधार पर आयोग ने राज्य की दोनों सीटों को अलग-अलग माना है, लेकिन चुनाव एक ही दिन होंगे। ऐसा होने की स्थिति में भाजपा की राह आसान हो जाएगी। जिसको लेकर कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक दी है। 

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