राज्यपाल के समर्थन में उतरे रवि राणा, बोले- भगत सिंह कोश्यारी एक ईमानदार और सज्जन व्यक्ति हैं
विधायक रवि राणा ने कहा कि राज्यपाल एक ईमानदार और सज्जन व्यक्ति हैं। हो सकता है कि उन्होंने भौगोलिक दृष्टि से बयान दिया हो। उनके बयान की गलत व्याख्या करने की जरूरत नहीं है। मुंबई देश का सबसे हाईटेक शहर है। यह देश की आर्थिक राजधानी है।
मुंबई। अमरावती सांसद नवनीत राणा के विधायक पति रवि राणा ने शनिवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के विवादित बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल एक सज्जन व्यक्ति हैं। हो सकता है उन्होंने भौगोलिक दृष्टि से बयान दिया होगा। दरअसल, भगत सिंह कोश्यारी ने शुक्रवार को कहा था कि अगर मुंबई से गुजरातियों और राजस्थानियों को हटा दिया जाए तो शहर के पास न तो पैसे रहेंगे और न ही वित्तीय राजधानी का तमगा।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रवि राणा ने कहा कि राज्यपाल एक ईमानदार और सज्जन व्यक्ति हैं। हो सकता है कि उन्होंने भौगोलिक दृष्टि से बयान दिया हो। उनके बयान की गलत व्याख्या करने की जरूरत नहीं है। मुंबई देश का सबसे हाईटेक शहर है। यह देश की आर्थिक राजधानी है। मुंबई की शुरुआत मिल मजदूरों से हुई। हालांकि, उसके बाद कई व्यापारी और जाति-धर्म के लोग यहां आए। इसलिए मुंबई के विकास में सभी का योगदान है। इसके साथ ही रवि राणा ने कहा कि मुंबई सबका है।
राज्यपाल ने क्या कहा था ?
मुंबई के पश्चिमी उपनगर अंधेरी में एक चौक के नामकरण समारोह को संबोधित करते हुए भगत सिंह कोश्यारी ने कहा था कि मैं यहां के लोगों को बताना चाहता हूं कि अगर गुजरातियों और राजस्थानियों को महाराष्ट्र, खासतौर पर मुंबई व ठाणे से हटा दिया जाए, तो आपके पास पैसे नहीं रहेंगे और न ही मुंबई वित्तीय राजधानी बनी रह पाएगी। राज्यपाल के इस बयान पर कई राजनीतिक पार्टियों ने आपत्ति दर्ज कराई।
भगत सिंह कोश्यारी के बयान को लेकर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने जमकर निशाना साधा है। इसके साथ ही भगत सिंह कोश्यारी को राज्यपाल पद से हटाने की भी मांग उठने लगी है। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि मैं राष्ट्रपति से भगत सिंह कोश्यारी को हटाने का अनुरोध करती हूं।
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मुख्यमंत्री ने काटा किनारा
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल के बयान को लेकर किनारा काटा। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के अपने निजी विचार हैं लेकिन हम उनके बयानों का समर्थन नहीं करेंगे। राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद है। उन्हें संविधान की नैतिकता के तहत बोलना चाहिए। हम मुंबई के लिए मुंबईकर और मराठी लोगों के योगदान को कभी नहीं भूलेंगे।
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