CBI का दुरुपयोग न हो इसलिए पुराना आदेश वापस लिया: अनिल देशमुख
गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि सीबीआई को अब (राज्य में काम करने के लिये) महाराष्ट्र सरकार की अनुमति लेनी होगी। जब तक हम अनुमति नहीं दे देते तब तक वह यहां मुंबई में जांच नहीं कर सकती।
मुंबई। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने बृहस्पतिवार को कहा कि सीबीआई को राज्य में मामलों की जांच के लिये दी जाने वाली आम सहमति इसलिये वापस ली गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिये उसका दुरुपयोग न हो। मंत्री ने पत्रकारों से कहा कि सीबीआई को अब (राज्य में काम करने के लिये) महाराष्ट्र सरकार की अनुमति लेनी होगी। जब तक हम अनुमति नहीं दे देते तब तक वह यहां मुंबई में जांच नहीं कर सकती।
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गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में मामलों की जांच के लिये सीबीआई को दी जाने वाली आम सहमति को बुधवार को वापस ले लिया था। इससे एक दिन पहले सीबीआई ने टीआरपी के साथ कथित छेड़छाड़ को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पुलिस द्वारा अज्ञात चैनलों के खिलाफ दर्ज मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी। महाराष्ट्र सरकार ने यह कदम उन चिंताओं के मद्देनजर उठाया है कि सीबीआई महाराष्ट्र में भी टीआरपी के साथ कथित छेड़छाड़ के ऐसे ही एक मामले की जांच भी अपने हाथ में ले सकती है, जिससे यह मामला मुंबई पुलिस के दायरे से बाहर हो जाएगा। देशमुख ने उन चिंताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि सरकार ऐसी चीजों से बचना चाहती है।
गृह मंत्री ने कहा कि सीबीआई का गठन दिल्ली पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत किया गया था। राज्य के गृह विभाग की ओर से बुधवार को जारी आदेश में कहा गया है, दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 की धारा छह में प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, महाराष्ट्र सरकार 22 फरवरी 1989 के सरकारी आदेश के तहत दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के सदस्यों को दी गई स्वीकृति वापस लेती है। देशमुख ने कहा, पिछली सरकारों के दौरान सीबीआई को काम करने के लिये पूरी छूट मिली हुई थी। हमने इसे वापस ले लिया है। हमें लगता है कि सीबीआई के जरिये राजनीतिक हित साधे जा रहे हैं। लिहाजा हमने इसे रोकने के लिये उसे मिली हुई छूट वापस ले ली है।
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उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश ने पांच साल पहले सीबीआई को सरकार का तोता कहा था। देशमुख ने कहा कि हम नहीं चाहते की दोबारा ऐसा हो। मुंबई पुलिस ने छह अक्टूबर को एक प्राथमिकी दर्ज करने के बाद दावा किया था कि रिपब्लिक टीवी समेत तीन टीवी चैनल प्रथम दृष्टया टीआरपी से छेड़छाड़ में संलिप्त पाए गए हैं। इसके बाद रिपब्लिक टीवी ने बंबई उच्च न्यायालय का रुख कर मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का अनुरोध किया था।
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