राजद्रोह कानून: रीजीजू का चिदंबरम पर पलटवार, नेहरू, इंदिरा सरकारों के फैसलों का किया जिक्र

kiren Rijiju

उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद केंद्रीय विधि मंत्री रीजीजू ने कार्यपालिका और न्यायपालिका समेत विभिन्न संस्थानों के लिए ‘लक्ष्मण रेखा’ की बात कही और कहा कि किसी को इसे पार नहीं करना चाहिए।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय द्वारा राजद्रोह कानून पर रोक लगाए जाने के बाद कानून मंत्री किरेन रीजीजू की लक्ष्मण रेखा संबंधी टिप्पणी पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने बृहस्पतिवार को सवाल उठाया। इस पर रीजीजू ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा राजद्रोह के संबंध में जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी सरकारों के फैसलों का जिक्र किया। उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद केंद्रीय विधि मंत्री रीजीजू ने कार्यपालिका और न्यायपालिका समेत विभिन्न संस्थानों के लिए ‘लक्ष्मण रेखा’ की बात कही और कहा कि किसी को इसे पार नहीं करना चाहिए। 

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रीजीजू की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चिदंबरम ने कहा कि भारत के कानून मंत्री को मनमाने ढंग से लक्ष्मण रेखा खींचने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें संविधान का अनुच्छेद 13 पढ़ना चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदंबरम ने ट्विटर पर कहा, विधायिका कानून नहीं बना सकती और न ही किसी ऐसे कानून को क़ानून की किताब में रहने दिया जा सकता है, जिससे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। कई कानूनी विद्वानों के विचार में राजद्रोह कानून संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 का उल्लंघन करता है। 

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चिदंबरम ने केंद्र पर तंज कसते हुए कहा, राजा के सभी घोड़े और राजा के सभी लोग उस कानून को नहीं बचा सकते। पूर्व केंद्रीय मंत्री पर हमला बोलने के लिए रीजीजू ने भी ट्विटर का ही सहारा लिया। उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए नेहरू जी पहला संशोधन लाए और श्रीमती इंदिरा गांधी ने भारत के इतिहास में पहली बार धारा 124ए को संज्ञेय अपराध बना दिया? रीजीजू ने दावा किया कि अन्ना आंदोलन और भ्रष्टाचार विरोधी अन्य आंदोलनों के दौरान नागरिकों को उत्पीड़न, धमकी और गिरफ्तारी का शिकार होना पड़ा था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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