नई केंद्रीय टीम के पीछे संघ की क्या है सोच? 6 साल बाद राममाधव की वापसी के मायने क्या?

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अभिनय आकाश । Mar 22 2021 1:32PM

राम माधव का बचपन से ही आरएसएस के साथ जुड़ाव था और संघ में कई महत्वपूर्ण स्थानों पर उन्हें जगह भी दी गई। । उन्हें 2014 में भाजपा में भेजा गया था और वो राष्ट्रीय महासचिव के पद पर तैनात थे।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपने संगठन में शीर्ष स्तर पर बदलाव किए। दत्तात्रेय होसबाले को जहां नया सरकार्यवाह बनाया गया वहीं दो नए सर कार्यवाह नियुक्त किए गए। इसके साथ ही बीजेपी नेता राम माधव की संघ में वापसी हो गई है। राम माधव को आरएसएस की कार्यकारिणी में जगह मिली है। राम माधव का बचपन से ही आरएसएस के साथ जुड़ाव था और संघ में कई महत्वपूर्ण स्थानों पर उन्हें जगह भी दी गई। । उन्हें 2014 में भाजपा में भेजा गया था और वो राष्ट्रीय महासचिव के पद पर तैनात थे। 

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आंध्र प्रदेश के रहने वाले 56 साल के राम माधव 2014 में संघ से बीजेपी की सक्रिय राजनीति में बड़ी खामोशी से आए थे। राम माधव को साल 2003 में एमजी वैद्य की जगह संघ का प्रवक्ता बनाया गया था। वैद्य अटल बिहारी सरकार को बार-बार अपने बयानों से घेरते रहे थे। ऐसे में माधव को प्रवक्ता की कमान सौंपी गई। प्रमोद महाजन की तरह माधव भी बड़े-बड़े मामलों में और विश्वसनीयता के साथ संघ का पक्ष रखते थे। राम माधव की जम्मू कश्मीर में भी अहम भूमिका रही है। चाहे वो बीजेपी और पीडीपी गठबंधन सरकार की हो या फिर धारा 370 हटाने को लेकर लिखी गई पूरी स्किप्ट की। दोनों दलों के बीच धारा 370, अफस्पा, पाकिस्तान से आने वाले शरणार्थियों का भविष्य जैसे मुद्दों पर अलग-अलग राय थी। फिर भी जुलाई 2014 में नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने माधव को पार्टी का मुख्य वार्ताकार बनाकर जम्मू कश्मीर भेजा था। उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही उस वक्त मुफ्ती मोहम्मद सईद के साथ बीजेपी की सरकार बनी। जम्मू कश्मीर के बाद अमित शाह ने राम माधव को पूर्वोत्तर में भी महत्वपूर्ण भूमिका के साथ भेजा था। माधव तरूण गोगोई का किला ध्वस्त करने में कामयाब हुए। असम में न केवल बीजेपी की सरकार बनी बल्कि हेमंत बिस्वा सरमा जैसे अहम नेता को माधव ने अपने पाले में किया। 

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जनवरी 2020 में जब जगत प्रकाश नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किए गए तो उनकी टीम में माधव को जगह नहीं मिली। संघ के विशाल परिवार ने दोनों को दोबारा अंगीकार कर लिया है। संघ के कामकाज का दायरा बहुत व्यापक है और यहां सभी की उपयोगिता और अनुभव के अनुरूप काम की गुंजाइश रहती है।संघ की 100 साल पुरानी ड्रेस कोड को  बदलवाने का भी श्रेय माधव को ही जाता है। उनका मानना था कि संघ को आधुनिकता पर जोर देते हुए अपने विचारों के साथ काम करना है। 

2024 में 100 वर्ष पूरे होने जा रहे 

संघ ने अपने प्रचार प्रभारी अरूण कुमार को राम दत्त चक्रधर के साथ सह-सरकार्यवाह के रूप में पदोन्नत किया है। चक्रधर संघ की बिहार इकाई के प्रमुख हैं। इन दोनों ने क्रमश: सुरेश सोनी और वी भगैया की जगह ली है। गौरतलब है कि साल 2024 में संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। उसी साल लोकसभा चुनाव भी होने हैं। इसे ध्यान में रखते हुए ये बदलाव मायने रखते हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी

सरसंघचालक- डॉ. मोहन भागवत 

सरकार्यवाह- दत्तात्रेय होसबाले 

सह सरकार्यवाह - कृष्ण गोपाल

सह सरकार्यवाह -सह सरकार्यवाह - कृष्ण गोपाल

सह सरकार्यवाह -डॉ. मनमोहन वैद्य

सह सरकार्यवाह- सी. आर. मुकुंद

सह सरकार्यवाह- अरुण कुमार

सह सरकार्यवाह- राम दत्त चक्रधर

शारीरिक शिक्षण प्रमुख - सुनील कुलकर्णी

सह शारीरिक शिक्षण प्रमुख - जगदीश प्रसाद

बौद्धिक प्रमुख- स्वांत रंजन

सह बौद्धिक प्रमुख- सुनील भाई मेहता

व्यवस्था प्रमुख- मंगेश भिंडे

सह व्यवस्था प्रमुख- अनिल ओक

सेवा प्रमुख - पराग अभ्यंकर

सह सेवा प्रमुख- राज कुमार मटाले

सुनील आंबेकर- प्रचार प्रमुख

सह प्रचार प्रमुख - नरेंद्र ठाकुर

सह प्रचार प्रमुख- आलोक कुमार

संपर्क प्रमुख- रामलाल

सह संपर्क प्रमुख- सुनील देशपांडे

सह संपर्क प्रमुख- रमेश पप्पा

प्रचारक प्रमुख - सुरेश चंद्र

सह प्रचारक प्रमुख- अद्वैतचरण 

सह प्रचारक प्रमुख- अरुण जैन

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