सरकार बेबस या इरादे की कमी? अरावली पहाड़ियों के विवाद पर सचिन पालयट ने साधा निशाना

Sachin pilot
ANI
अभिनय आकाश । Dec 26 2025 4:03PM

जयपुर में पत्रकारों से बात करते हुए सचिन पायलट ने कहाकि आज पूरे भारत में लोग इस पर चर्चा कर रहे हैं और इस बात को लेकर बेहद चिंतित हैं कि कौन जानबूझकर उस पर्वत श्रृंखला को खतरे में डाल रहा है जो अनादिकाल से लाखों लोगों के लिए सुरक्षा कवच का काम करती रही है।

अरावली पहाड़ियों को लेकर चल रहे विवाद के बीच, कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने शुक्रवार को सरकार पर पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील पहाड़ियों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि निष्क्रियता से अपरिवर्तनीय पर्यावरणीय क्षति हो सकती है। जयपुर में पत्रकारों से बात करते हुए सचिन पायलट ने कहाकि आज पूरे भारत में लोग इस पर चर्चा कर रहे हैं और इस बात को लेकर बेहद चिंतित हैं कि कौन जानबूझकर उस पर्वत श्रृंखला को खतरे में डाल रहा है जो अनादिकाल से लाखों लोगों के लिए सुरक्षा कवच का काम करती रही है।

इसे भी पढ़ें: मनरेगा को बदलना ‘ऐतिहासिक गलती’ है, सचिन पायलट ने नई योजना VB-G RAM G का किया विरोध

हाल ही में, अदालत ने सरकार की परिभाषा को स्वीकार कर लिया है... अरावली क्षेत्र का 90% से अधिक हिस्सा इस परिभाषा के दायरे से बाहर हो जाएगा और असुरक्षित हो जाएगा। सरकार अपनी नाक के नीचे हो रहे अवैध खनन को रोकने के लिए क्या कर रही है? उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सरकार बेबस है, या फिर उनके इरादे में कोई कमी है... अब तक सरकार ने परिभाषा को फिर से परिभाषित करके इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का रुख नहीं किया है... यह दो इंजनों वाली सरकार नहीं बल्कि चार इंजनों वाली सरकार है, और ये चारों इंजन अरावली पर्वत श्रृंखला को नष्ट करने का तरीका खोजने में लगे हैं।

इसे भी पढ़ें: कांग्रेस को फंसाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही सरकार, सचिन पायलट ने नेशनल हेराल्ड को लेकर साधा निशाना

इससे पहले, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हरियाणा, राजस्थान और गुजरात सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सर्वोच्च न्यायालय के 20 नवंबर, 2025 के फैसले के अनुपालन में अरावली पहाड़ियों में नए खनन पट्टों के अनुदान पर प्रतिबंध लगाने और चल रही खनन गतिविधियों के सख्त विनियमन के संबंध में निर्देश दिए। यह फैसला रिट याचिका (सिविल) संख्या 202/1995 (टीएन गोदावर्मन थिरुमुलपाद बनाम भारत संघ) के मामले में दिया गया था। मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में निर्देश दिया है कि संपूर्ण अरावली पहाड़ी श्रृंखला के लिए सतत खनन प्रबंधन योजना (एमपीएसएम) को अंतिम रूप दिए जाने तक कोई भी नया खनन पट्टा जारी नहीं किया जाएगा।

 

All the updates here:

अन्य न्यूज़