अस्थाना का मनोवैज्ञानिक और लाई डिटेक्टर परीक्षण नहीं करवाने पर कोर्ट ने की CBI की खिंचाई

नयी दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को सीबीआई से पूछा कि रिश्वतखोरी के मामले में एजेंसी के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का उसने मनोवैज्ञानिक परीक्षण एवं लाई डिटेक्टर परीक्षण क्यों नहीं करवाया। इस मामले में अस्थाना को हाल ही में क्लीन चिट दी गई थी। इसके साथ ही सीबीआई के विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने शुरुआत में जांच करने वाले अधिकारी अजय कुमार बस्सी को 28 फरवरी को अदालत में पेश होने और केस डायरी की जानकारी देने का निर्देश दिया।
CBI vs CBI alleged graft case: The Court while considering the recently filed chargesheet asked CBI, 'Why no lie-detector test or any psychology test was conducted on Rakesh Asthana during the probe.
— ANI (@ANI) February 19, 2020
अदालत ने आगे कहा कि मामले का सह आरोपी अधिवक्ता सुनील मित्तल ऐसा लगता है कि कोई ‘‘काल्पनिक पात्र है जो ‘मिशन इम्पॉसिबल’ या ‘जेम्स बांड’ की फिल्मों से निकला है। उस पर इतनी दरियादिली क्यों दिखायी जा रही है?’’ मित्तल के दामाद सोमेवश्वर प्रसाद के बारे में अदालत ने पूछा, ‘‘आप ऐसे व्यक्ति के प्रति इतनी दया क्यों दिखा रहे हैं जो सहयोग नहीं कर रहा, यहां तक कि वह अपना फोन नंबर तक नहीं दे रहा?’’इस मामले में सीबीआई की जांच पर अदालत ने पिछले सप्ताह बुधवार को नाराजगी जाहिर की थी और पूछा था कि जिन आरोपियों की इसमें बड़ी भूमिका है वे खुले क्यों घूम रहे हैं जबकि जांच एजेंसी अपने खुद के डीएसपी को गिरफ्तार कर चुकी है।
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मामले में आरोपी बनाने के पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण सीबीआई ने अस्थाना और डीएसपी देवेन्द्र कुमार के नाम आरोप-पत्र के कॉलम 12 में लिखे थे। डीएसपी को 2018 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें जमानत दे दी गई थी। सीबीआई ने हैदराबाद के कारोबारी सतीश सना की शिकायत के आधार पर अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज किया था। मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ 2017 के मामले में सना के खिलाफ भी जांच चल रही है।
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