किसानों के आंदोलन के एक साल: दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ायी गई

Farmer Protest

किसान पिछले एक साल से दिल्ली की तीन सीमाओं-- सिंघू, टीकरी और गाजीपुर में डेरा डाले हुए हैं। केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन पिछले साल 26-27 नवंबर को दिल्ली चलो कार्यक्रम के साथ शुरू हुआ था। केंद्र ने हाल ही में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के अपने फैसले की घोषणा की है।

नयी दिल्ली| कई मांगों को लेकर जारी किसानों के आंदोलन को शुक्रवार को एक साल पूरा हो जाएगा और इस मौके पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी दिल्ली की सीमाओं पर इकट्ठा होंगे। दिल्ली पुलिस ने बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।

आंदोलन के एक साल पूरा होने के उपलक्ष्य में देश भर में कई कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई गई है।

इसे भी पढ़ें: किसान आंदोलन, महंगाई, चीन की आक्रमकता और पेगासस के मुद्दों पर सरकार को घेरेगी कांग्रेस

किसान पिछले एक साल से दिल्ली की तीन सीमाओं-- सिंघू, टीकरी और गाजीपुर में डेरा डाले हुए हैं। केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन पिछले साल 26-27 नवंबर को दिल्ली चलो कार्यक्रम के साथ शुरू हुआ था। केंद्र ने हाल ही में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के अपने फैसले की घोषणा की है।

‍चालीस से अधिक किसान यूनियन के आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक बयान में कहा कि इतने लंबे समय तक संघर्ष जारी रखना दिखाता है कि भारत सरकार अपने मेहनतकश नागरिकों के प्रति असंवेदनशील और अहंकारी रवैया रखती है।

इसमें कहा गया है कि पिछले 12 महीने के दौरान यह आंदोलन दुनिया और इतिहास के सबसे बड़े और लंबे प्रदर्शनों में एक हो गया है, जिसमें करोड़ों लोगों ने हिस्सा लिया है और यह भारत के हर राज्य, हर जिले और गांव में फैला है। बयान के मुताबिक, तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने के सरकार के फैसले के अलावा आंदोलन ने किसानों, आम नागरिकों और देश के लिए कई जीतें हासिल की हैं।

एसकेएम ने कहा कि तीन कानूनों को निरस्त करना आंदोलन की पहली बड़ी जीत है और वह प्रदर्शनकारी किसानों की बाकी जायज मांगों के पूरा होने के इंतजार में हैं।

उसने कहा कि ऐतिहासिक आंदोलन के एक वर्ष पूरा होने के मौके पर दिल्ली में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने तथा दूरदराज़ के राज्यों की राजधानियों और जिला मुख्यालयों पर मोर्चा निकालने के संयुक्त किसान मोर्चा के अह्वान पर किसान और श्रमिक भारी संख्या में प्रतिक्रिया दे रहे हैं। बयान के मुताबिक, “दिल्ली में विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर हजारों किसान पहुंचने लगे हैं। दिल्ली से दूर स्थित राज्यों में इस मौके पर रैलियां, धरने और अन्य कार्यक्रमों के आयोजन की तैयारी चल रही है। कर्नाटक में किसान प्रमुख राजमार्गों को अवरूद्ध करेंगे।

तमिलनाडु, बिहार और मध्य प्रदेश में सभी जिला मुख्यालयों पर ट्रेड यूनियनों के साथ संयुक्त रूप से प्रदर्शन किया जाएगा। रायपुर और रांची में ट्रैक्टर रैलियां निकाली जाएंगी।

पश्चिम बंगाल में, कोलकाता के साथ-साथ जिलों में भी रैलियों की योजना बनाई गई है। शुक्रवार से दुनिया भर से एकजुटता भी प्रदर्शित की जाएगी। एसकेएम ने कहा कि साल भर के आंदोलन के दौरान अब तक कम से कम 683 किसानों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। एसकेएम की एक बैठक शनिवार को सिंघू बॉर्डर पर होगी जहां प्रदर्शनकारी किसान यूनियन भविष्य के कदम पर फैसला लेंगे।

पुलिस के मुताबिक, सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और जिन जगहों पर प्रदर्शनकारी किसान धरने पर बैठे हैं, वहां दिल्ली पुलिस के जवानों के साथ अर्धसैनिक बलों की तैनाती रहेगी।

विशेष पुलिस आयुक्त (कानून और व्यवस्था डिवीजन जोन -1) दीपेंद्र पाठक ने कहा, पर्याप्त सुरक्षा तैनाती की गई है और जमीन पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कड़ी निगरानी करेंगे। हम किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पेशेवर पुलिसिंग का उपयोग कर रहे हैं।

पुलिस ने कहा कि इस संबंध में बृहस्पतिवार को किसान नेताओं के साथ बैठक की गई है। पाठक ने कहा, “हम किसानों से भी बात कर रहे हैं और उन्हें हमारा सहयोग करने के लिए समझा रहे हैं।”

इसे भी पढ़ें: एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत छह मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा आंदोलन: एसकेएम

पुलिस अधिकारियों ने कहा कि अगर प्रदर्शनकारी सीमा पार करने की कोशिश करते हैं या उपद्रव करने की कोशिश करते हैं, तो उनसे सख्ती से निपटा जाएगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़