राहुल को बहुत मानती थीं शीला दीक्षित, फिर भी अंतिम संस्कार में नहीं हुए शामिल

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अंकित सिंह । Jul 22 2019 7:20PM

‘जब तक सूरज चांद रहेगा शीला जी का नाम रहेगा’ के नारे लगा रहे समर्थक भी उनके जाने का गम नहीं छिपा पा रहे थे। शीला दीक्षित की महत्ता का अंदाजा भी इस बात से लगाया जा सकता है कि उनका पर्थिव शरीर कांग्रेस मुख्यालय में रखा गया।

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शीला दीक्षित के निधन पर पूरे देश से शोक का माहौल है। वह काफी लंबे समय से बीमार चल रही थीं। उनके निधन पर ना सिर्फ कांग्रेस बल्कि सभी पार्टियों के नेताओं ने शोक प्रकट किया और उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। शीला दीक्षित के राजनीतिक कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद उनके घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, शिवराज सिंह चौहान समेत कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा, अहमत पटेल, MP के मुख्यमंत्री कमलनाथ, राजस्थान के CM अशोक गहलोत सहित अन्य गणमान्य लोगों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी। 

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‘जब तक सूरज चांद रहेगा शीला जी का नाम रहेगा’ के नारे लगा रहे समर्थक भी उनके जाने का गम नहीं छिपा पा रहे थे। शीला दीक्षित की महत्ता का अंदाजा भी इस बात से लगाया जा सकता है कि उनका पर्थिव शरीर कांग्रेस मुख्यालय में रखा गया। ऐसा नसीब तो पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नरसिम्हा राव का भी नहीं रहा था कि उनके पर्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय में रखा जाए। खुद सोनिया गांधी शीला दीक्षित के घर पहुंची थीं। उनके बाद ना सिर्फ उन्होंने कांग्रेस मुख्यालय में पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी बल्कि अंतिम संस्कार में भी शामिल हुईं। कांग्रेस मुख्यालय और अंतिम संस्कार में सोनिया के साथ प्रियंका गांधी और रॉबर्ट वा़ड्रा भी दिखे। शीला दीक्षित के निधन की खबर सुनकर प्रियंका गांधी अपने यूपी दौरे से वापस आई थीं। सोनिया ने एक पत्र लिखकर शीला दीक्षित के परिवार का ना सिर्फ ढांढस बंधाया। बाद में उन्होंने मीडिया से कहा कि वह मेरे लिए बहुत बड़ा सपोर्ट थीं। मेरे लिए तो वह बड़ी बहन और मित्र की तरह थीं। 

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शीला दीक्षित इंदिरा गांधी के समय से ही गांधी परिवार के बेहद करीब रहीं। यहीं कारण था कि राजीव गांधी ने उन्हें अपने कार्यकाल में PMO में राज्य मंत्री बनाया था। इन तमाम घटनाक्रम के बीच हमारी नजरें किसी एक शख्स को ढूंढ रही थी। जी हां, वह शख्स कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस के अध्यक्ष और गांधी परिवार के चश्मो चिराग राहुल गांधी है। जानकार बताते हैं कि शीला दीक्षित के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों बेहद ही प्यारे थें और दोनों उन्हें प्यार से ऑन्टी कहते थे। प्रियंका तो उनके अंतिम संस्कार या फिर अंतिम विदाई के समय दिखीं पर राहुल नदारद रहे। शीला का शव दर्शन के लिए 24 घंटे तक रखा गया था पर राहुल एक बार भी दिखाई नहीं दिए जबकि उनकी मां और बहन ज्यादा समय मौजूद रहें। राहुल ने सिर्फ ट्वीट कर कहा कि शीला दीक्षित पार्टी की चहेती बेटी थीं। अपने तीन कार्यकाल में उन्होंने शानदार काम किया। मैं उनके निधन से बेहद दुखी हूं। राजनीतिक पंडित बताते हैं कि राहुल के कहने पर ही शीला दीक्षित ने ना सिर्फ दिल्ली कांग्रेस का कमान संभाला बल्कि अपने अस्वस्थता के बीच जीवन का आखिरी चुनाव भी लड़ा। 

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शीला दीक्षित के अंतिम यात्रा में राहुल का ना रहना सभी को चौकाता है। हालांकि इस बात को लेकर अधिकारिक तौर पर कांग्रेस की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है पर राहुल के इस रवैये पर सवाल उठने शुरू हो गए है। कुछ लोगों का मानना है कि राहुल भारत में नहीं हैं वहीं कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि राहुल फिलहाल सार्वजनिक गतिविधियों में रूची नहीं दिखा रहे हैं। जब से काहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने की बात की है तब से उन्होंने लोगों से मिलना जुलना भी कम कर दिया है। ऐसे में अब यह देखना होगा कि कांग्रेस की तरफ से इस पर कोई सफाई आती है या नहीं। 

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