शीला हैं बीमार, चाको ने कम किए अधिकार, कांग्रेस की नियति बनी अंतर्कलह और रार

यह सारा फसाद पिछले हफ्ते शीला दीक्षित द्वारा 14 जिला एवं 280 ब्लॉक पर्यवेक्षक घोषित किए जाने का बाद शुरू हुआ। उसके बाद तीनों कार्यकारी अध्यक्ष (हारून यूसुफ, राजेश लिलोठिया और देंवेंद्र यादव) ने शीला को पत्र लिखा था कि इस नियुक्ति के वक्त तीनों कार्यकारी अध्यक्षों को मीटिंग में नहीं बुलाया गया।
जिन राज्यों में कांग्रेस के बीच अंदरूनी कलह चल रही है उन राज्यों में दिल्ली का नाम भी शुमार हो गया है। दिल्ली दरबार के दंगल में छह महीने से भी कम का वक्त शेष है। जहां एक तरफ भाजपा और आम आदमी पार्टी अपनी तैयारी में जुटी है वहीं कांग्रेस में अभी वर्चस्व की लड़ाई जारी है। कांग्रेस की वैसे ही दिल्ली में कई सालों से हालत खस्ता है, लेकिन आने वाले समय में भी कांग्रेस मैदान मार लेगी इसके आसार भी पार्टी नेताओं के बीच बढ़ते रार से धूमिल होते नजर आ रहे हैं। दिल्ली में कांग्रेस के दो बड़े नेता पीसी चाको और शीला दीक्षित के बीच टकराहट एक बार फिर सामने आ रही है।
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दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको ने शीला दीक्षित को चिट्ठी लिखी है कि वो उनका फोन नहीं उठा रही हैं और न ही उनके पत्र का जवाब दे रही हैं। पीसी चाको ने पत्र लिखकर शीला दीक्षित की खराब सेहत की बात करते हुए आगे की कार्रवाई करते हुए तीनों कार्यकारी अध्यक्षों को यह अधिकार दे दिया कि वो शीला के बगैर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की मीटिंग कर सकते हैं और इस मीटिंग की जो रिपोर्टिंग होगी वो प्रदेश अध्यक्ष को की जाएगी। फौरी तौर पर देखा जाए तो पीसी चाको साफ तौर पर यह कह रहे हैं कि शीला दीक्षित नाम की प्रदेश अध्यक्ष रहें और सारे निर्णय तीनों कार्यकारी अध्यक्ष खुद कर लेंगे। जिसके बाद शीला दीक्षित को डमी प्रेजीडेंट कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इसके बाद खबर यह भी है कि शीला दीक्षित कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल से बात कर रही हैं और सारे मामले से उन्हें अवगत करा कर शिकायत कर रही हैं।
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