मानवता को बचाने व मार्गदर्शन करने वाला पवित्र ग्रंथ है श्रीमदभगवद गीता:राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय

Governor Bandaru Dattatreya

इस सम्मेलन देश के कई प्रबुद्घ संतों एवं सन्यासियों ने श्रीमद भागवद गीता पर अपने विचार प्रस्तुत कर धर्म नगरी कुरुक्षेत्र में गीता ज्ञान की धारा का प्रवाह किया। राज्यपाल बंडारु दतात्रेय ने कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि हुई है तब-तब भगवान ने धरती पर अवतार लेकर धर्म की रक्षा की है। कभी-भी व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों से धबराना नहीं चाहिए बल्कि इसका डट कर सामना करना चाहिए

कुरूक्षेत्र  राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि मानवता के लिए श्रीमदभगवद गीता प्रेरणादायक ग्रंथ है। यह ग्रंथ पूरी मानवता को बचाने व इसका मार्गदर्शन करता है। इसलिए हर व्यक्ति को गीता ज्ञान प्राप्त कर मानवता के उत्थान में अपना योगदान देना चाहिए।

 

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय रविवार को कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की तरफ से अन्तर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव में आयोजित संत सम्मेलन में बोल रहे थे। इससे पहले राज्यपाल बंडारु दतात्रेय, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद, गुरू शरणानंद कासनी महाराज, योग गुरू स्वामी रामदेव, स्वामी अवधेशानंद, हरिचेतनानंद, ईमाम मोहम्मद ईलयासी, बाबा उपेन्द्र सिंह, आचार्य लोकेश मुनी, साक्षी गोपालदास, स्वामी दयानंद सरस्वती, ज्ञानानेश्वरी, साध्वी देवी प्रिय, संजीव कृष्ण ठाकुर, स्वामी परमानंद, स्वामी सम्पूर्णानंद, जमनपुर ज्ञानेश्वरी, देव प्रिय, भद्रकाली पीठाध्यक्ष सतपाल महाराज, परमानंद हंस, संपूर्णानंद महाराज, हरिओम परिव्राजक, सांसद रत्नलाल कटारिया, सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा ने दीप प्रज्जवलित करने के उपरांत गीता पूजन कर विधिवत रुप से संत सम्मेलन का शुभारंभ किया।

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इस सम्मेलन देश के कई प्रबुद्घ संतों एवं सन्यासियों ने श्रीमद भागवद गीता पर अपने विचार प्रस्तुत कर धर्म नगरी कुरुक्षेत्र में गीता ज्ञान की धारा का प्रवाह किया।

 राज्यपाल बंडारु दतात्रेय ने कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि हुई है तब-तब भगवान ने धरती पर अवतार लेकर धर्म की रक्षा की है। कभी-भी व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों से धबराना नहीं चाहिए बल्कि इसका डट कर सामना करना चाहिए और जब कभी उलझन की स्थिति पैदा हो तब प्राप्त गीता के ज्ञान पर अपने विवेक से आगे बढऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गीता को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सराहनीय कार्य किए जा रहे हैं। भारत को पुन: विश्व गुरु बनाना है तो हर व्यक्ति को एक दूसरे की मदद करते हुए आगे बढना होगा और हर व्यक्ति को गीता का ज्ञान प्राप्त करना होगा। आज दुनिया के अनेक देशों में गीता महोत्सव मनाया जा रहा है और गीता ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। गीता एक मजहब विशेष के लिए नहीं बल्कि समस्त प्राणियों की वैश्विक प्रेरणा है।

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कुरुक्षेत्र भारत की पावन भूमि है। यहां के जल, थल व वायु से मुक्ति प्राप्त होती है। भारत युगों-युगों से संस्कृति और सभ्यता में विश्व गुरु के रुप में पहचान रखता है। गीता जहां भारत की धरोहर है वहीं विश्व के लिए आदर्श भी है।

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने सभी संतों का परिचय करवाते हुए कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता राष्टï्र ही नहीं पूरी मानवता का गौरव है। इस धरा से विश्व के कोने-कोन तक पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेश पहुंचे। इन उपदेशों को जन-जन तक पहुंचाने के उदेश्य से ही अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव का आयोजन बड़े स्तर पर किया जा रहा है। इस महोत्सव में 2 से 19 दिसंबर तक सरस और शिल्प मेला चल रहा है तथा मुख्य मंच के कार्यक्रम 14 दिसंबर तक चलेंगे और 14 दिसंबर को गीता जयंती के पावन पर्व पर दीपोत्सव कार्यक्रम भी होगा। यह कार्यक्रम भी एक अदभुत कार्यक्रम होगा।

संत सम्मेलन में योग गुरु बाबा राम देव ने कहा कि योग, कर्म व धर्म जीवन का सार है। जिस व्यक्ति ने गीता पढ ली समझो उसने योग भी कर लिया। भारतवासी कर्म को ही धर्म मानते हैं इसलिए हम दुनियां के अन्य देशों से काफी आगे हैं। उन्होंने कहा कि कर्म के दम पर व्यक्ति की भी बुलंदी को छू सकता है। उन्होंने कहा कि योग, कर्म व धर्म के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ रहा है जिसके दम पर भारत वर्ष 2045 तक पुन: विश्व की सबसे बड़ी शक्ति बनेगा। योग गुरु ने आह्वïान किया कि भारत के लोगों का आचरण ऐसा हो कि पता चले कि गीता क्या है। हम सभी को कर्म को धर्म मानकर जीना सीखना है। जिस तरह योग को घर-घर पहुंचाया गया है अब स्वामी ज्ञानानंद महाराज जियो गीता के जरिए गीता को घर-घर पहुंचाने का काम कर रहे है और हम सभी को इसे जन आंदोलन का रुप देकर हर घर गीता पहुंचाने का काम करना है। 

 

गुरु शरणानंद महाराज ने गीता उपदेश के वृतांत से प्रारम्भ किया। उन्होंने कहा कि गीता उपदेश दो घनिष्ठï  मित्रों के बीच हुई गुफ्तगू है जो पूरा मानवता के लिए प्रेरणादायक है। भगवान श्रीकृष्ण हर जीव का सखा है जरुरत है तो बस जीव को भगवान को सखा मानने की। अगर इस भावना को गहनता से समझा जाए तो तभी गीता को आत्मसात किया जा सकता है। जो व्यक्ति जिस भाव से गीता को पढता है गीता उसे उसी भाव से समझ में आती है। हर व्यक्ति के लिए गीता अलग है इसे जिस भाव से समझना है उसे उसी भाव से इसे पढना होगा।

स्वामी अवधेशानंद ने कहा कि श्रीमद भागवत गीता का प्रकाश तेजी से फैल रहा है जिसकी बदौलत दुनियां भारत को बदलते हुए देख रही है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल तथा राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय के प्रयासो को श्रेय दिया। ईमाम मोहम्मद ईलयासी ने कहा कि मैंने सच मुच गीता को नहीं पढा है लेकिन संतों के साथ रहकर गीता के ज्ञान को अवश्य ग्रहण किया है और इस ग्रंथ को समझा है।

उन्होंने कहा कि हर धर्म व मजहब की पूजा पद्घति अलग-अलग हो सकती है लेकिन सभी का उद्देश्य ईश्वर की प्राप्ति करना है। आज गीता को लोग मानते हैं लेकिन गीता की नहीं मानते, लोग कुरान को मानते है लेकिन कुरान की नहीं मानते है यही आज के समय की विडमबना है। इन पवित्र ग्रथों में से हर व्यक्ति को शिक्षाएं प्राप्त कर राष्टï्र के निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए। ईबादत के तरीके अलग-अलग हैं लेकिन सबसे पहले इंसानियत है और राष्टï्र सर्वेपरि है। मंदिर, मस्जिद, गिरजा, गुरुद्वारा सब प्रेम के घर है। हरि चेतना महाराज ने कहा कि गीता ही एक ग्रंथ है जिसकी जंयती मनाई जाती है। हर-हर गीता, घर-घर गीता अभियान से सभी को गीता के ज्ञान से रुबरु करवाना है। संत सम्मेलन में सुरभि ने जिसे गीता के सभी अध्याय व श्लोक कंठस्थ है उसने गीता की महत्ता पर प्रकाश डाला और कहा कि श्रीमदभगवद गीता भगवान का गीत है जो गाएगा पार हो जाएगा।

इस अवसर पर विधायक सुभाष सुधा ने सभी संत महात्माओं का स्वागत करते हुए कुरुक्षेत्र की धरा पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को निमित बनाकर समस्त मानव जाति के लिए गीता का संदेश प्रतिपादित किया था। उन्होंने कहा कि मानव कल्याण के उद्देश्य को लेकर सरकार द्वारा गीता जंयती कार्यक्रम को अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव का स्वरुप प्रदान किया गया है जिससे हर व्यक्ति का जीवन सहज बन रहा है। इसके प्रचार-प्रसार के लिए हर व्यक्ति को आगे आना चाहिए।

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