सिद्धारमैया की मांग, कर्नाटक भूमि सुधार अध्यादेश वापस लिया जाए

सिद्धारमैया

पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कर्नाटक भूमि सुधार (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को वापस लेने की मांग करते हुए सिद्धारमैया ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह रियल एस्टेट कंपनियों के आगे नतमस्तक होकर उद्योगपतियों के एजेंट की तरह व्यवहार कर रही है। इस अध्यादेश के जरिये कृषि भूमि के मालिकाना हक को लेकर खुलापन लाने की बात कही गई है।

बेंगलुरू। कर्नाटक में नेता प्रतिपक्ष सिद्धरमैया ने बृहस्पतिवार को राज्य में अवैध खनन से भी बड़ा घोटाला होने का आरोप लगाते हुए इसके लिये सरकार को जिम्मेदार बताया। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कर्नाटक भूमि सुधार (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को वापस लेने की मांग करते हुए सिद्धारमैया ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह रियल एस्टेट कंपनियों के आगे नतमस्तक होकर उद्योगपतियों के एजेंट की तरह व्यवहार कर रही है। इस अध्यादेश के जरिये कृषि भूमि के मालिकाना हक को लेकर खुलापन लाने की बात कही गई है। कांग्रेस नेता सिद्धरमैया ने कहा कि यदि अध्यादेश वापस नहीं लिया गया तो उनकी पार्टी, किसान और समान विचारों वाले दल राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे। दरअसल, कर्नाटक में राज्यपाल वजुभाई वाला की स्वीकृति के बाद 13 जुलाई को कर्नाटक भूमि सुधार (संशोधन) अध्यादेश, 2020 लागू कर दिया गया था। मंत्रिमंडल ने 11 जून को संशोधनों को मंजूरी दे दी थी।

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पिछले कर्नाटक भूमि सुधार अधिनियम के मुकाबले यह अध्यादेश कृषि भूमि की खरीद की प्रकिया को आसान बनाता है। साथ ही कोई कितनी भूमि रख सकता है, इसकी सीमा भी इस अध्यादेश के जरिये तय की गई है।इस अध्यादेश में मूल कानून की धारा 79 (ए), (बी) और (सी) कोनिरस्त कर दिया गया है, जिसके बाद गैर-कृषकों के लिए कृषि भूमि खरीदने का रास्ता साफ हो गया है। सिद्धरमैया का कहना है कि नए अध्यादेश के तहत भूमि उपयोग में उल्लंघन के 13,814 लंबित मामले खत्म हो जाएंगे। उन्होंने कहा, यह खनन घोटाले से भी बड़ा घोटाला लगता है क्योंकि धारा79 (ए), (बी) और (सी)के तहत दायर विभिन्न मामले और याचिकाएं निरस्त कर दी गई हैं। यह सभी मामले और याचिकाएं लगभग 45,000 से 50,000 करोड़ मूल्य की भूमि के उपयोग में उल्लंघन से संबंधित थे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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