वन्यजीव अपराध से जुड़े धनशोधन मामले में तस्कर को चार वर्ष सश्रम कारावास की सजा

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[email protected] । Sep 13 2019 3:29PM

दिल्ली पुलिस ने तीनों को एक कार में बाघ के अंग ले जाते हुए पकड़ा जिसके बाद 2013 में ईडी ने उन पर मामला दर्ज किया था। अदालत ने नौ सितम्बर को सूरजभान को चार वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई और उस पर दस हजार रुपये का जुर्माना किया जबकि नरेश को बरी कर दिया। इसने कहा कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान तीसरे व्यक्ति सूरजपाल की मौत हो गई थी।

नयी दिल्ली। बाघों के अंगों की तस्करी में संलिप्त एक व्यक्ति को धनशोधन निरोधक अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया है और उसे चार वर्ष की कठोर कारावास की सजा के साथ उस पर दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय ने यह जानकारी दी। देश में वन्यजीव कानून से जुड़े एक मामले में, पीएमएलए के कठोर आपराधिक कानून के तहत संभवत: यह पहली दोषसिद्धी है।  2005 में कानून लागू होने के बाद से एजेंसी ने अभी तक करीब एक दर्जन मामलों में लोगों को अदालतों में दोषी ठहराया है। प्रवर्तन निदेशालय ने भारतीय दंड संहिता के विभिन्न कानूनों के तहत दर्जएक आपराधिक प्रकरण में संज्ञान लेते हुए धनशोधन का मामला दायर किया था। 

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संघीय जांच एजेंसी ने बयान जारी कर बताया कि पटियाला हाउस के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने सूरजभान उर्फ सरजू को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दोषी पाया और इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच के दौरान जब्त 52.7 लाख रुपये की संपत्ति को अधिग्रहित करने के आदेश दिए। ईडी द्वारा सूरजभान, नरेश उर्फ लाला और सूरजपाल उर्फ चाचा के खिलाफ धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने के चार वर्ष बाद उन्हें सजा सुनाई गई। ईडी ने दिल्ली पुलिस की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था जो आरोपी के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण कानून, 1972 के तहत दर्ज की गई थी।

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दिल्ली पुलिस ने तीनों को एक कार में बाघ के अंग ले जाते हुए पकड़ा जिसके बाद 2013 में ईडी ने उन पर मामला दर्ज किया था। अदालत ने नौ सितम्बर को सूरजभान को चार वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई और उस पर दस हजार रुपये का जुर्माना किया जबकि नरेश को बरी कर दिया। इसने कहा कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान तीसरे व्यक्ति सूरजपाल की मौत हो गई थी।

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