वायरस संदूषण को पर्यावरण में प्रवेश करने से रोक सकती है मिट्टी : आईआईटी-गुवाहाटी का अध्ययन

IIT Guwahati
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ऐसे में रोगजनक अपशिष्ट के जरिये मनुष्यों में दोबारा संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता था। शोध के बारे में आईआईटी-गुवाहाटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर भरत ने कहा, ‘‘हम बेंटोनाइट और काओलिन क्ले जैसी मिट्टी की उपस्थिति में वायरस के अस्तित्व को समझना चाहते थे।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने कोविड-19 महामारी के बाद उभरे हालात में रोगजनक कचरे के प्रबंधन की चुनौती का एक समाधान खोजा है। संस्थान द्वारा सोमवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई। विज्ञप्ति के मुताबिक, रोगजनक कचरा निपटान के दौरान प्राकृतिक मिट्टी के माध्यम से वायरस के प्रसार का अध्ययन करने पर शोधकर्ताओं ने पाया कि पाउडर के रूप में ‘बेंटोनाइट और काओलिन क्ले’, दोनों ही वायरल संदूषण को पर्यावरण में प्रवेश करने से रोक सकते हैं। यह अध्ययन ‘अमेरिकन केमिकल सोसायटी’ की पत्रिका ‘लैंगमुइर’ में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के सह-लेखक प्रोफेसर भरत वेंकट तादिकोंडा, प्रोफेसर सचिन कुमार और उनके शोधार्थी हिमांशु यादव और शुभम गौरव हैं।

जैव चिकित्सा अपशिष्ट, जिसमें वायरस होते हैं, मानव स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, पशु स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए जोखिम पैदा करते हैं। महामारी के दौरान अस्पतालों और पृथकवास सुविधाओं से बड़ी मात्रा में संभावित वायरस युक्त कचरा निकला था। विज्ञप्ति में कहा गया कि संभावित कोरोना वायरस से युक्त कचरे का ‘निगम ठोस कचरा’ (एमएसडब्ल्यू) प्रबंधन के अनुसार ही निपटान किया गया और इसे मौजूदा ‘लैंडफिल’ (कूड़े का पहाड़) पर डाल दिया गया। ऐसे में रोगजनक अपशिष्ट के जरिये मनुष्यों में दोबारा संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता था। शोध के बारे में आईआईटी-गुवाहाटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर भरत ने कहा, ‘‘हम बेंटोनाइट और काओलिन क्ले जैसी मिट्टी की उपस्थिति में वायरस के अस्तित्व को समझना चाहते थे।

हमने पहली बार मिट्टी में विषाणु के संतुलन के मानदंड, प्रसार गुणांक और वायरस के पनपने के कारक जैसे विशिष्ट मापदंडों को मापा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन मापों में वायरल संदूषण में 99.6 प्रतिशत की कमी और बहुत कम प्रसार दर देखी गई। इन निष्कर्षों के आधार पर, हम यह पुष्टि करने में सक्षम हैं कि पाउडर के रूप में बेंटोनाइट और काओलिन क्ले दोनों ही वायरल संदूषण को पर्यावरण में प्रवेश करने से रोक सकते हैं।’’ भरत ने कहा कि उनका अध्ययन पहली बार वायरस युक्त कचरे को रखने के लिए मिट्टी के उपयोग की दक्षता का प्रायोगिक साक्ष्य प्रदान करता है। मिट्टी में वायरस के व्यवहार का अध्ययन करने के लिए, शोधकर्ताओं ने ‘न्यूकैसल रोग वायरस’ (एनडीवी) नामक एक सुरक्षित वायरस को कोरोना वायरस के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया।

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