सोनिया के फैसले पर गौर किया जाना चाहिये: देवगौड़ा

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[email protected] । Nov 27 2019 4:53PM

मैसुरु में पत्रकारों से उन्होंने कहा कि अगर गठबंधन सरकार रहती तो ऐसी स्थिति नहीं होती। गठबंधन सरकार गिरने के बाद कांग्रेस और जद(एस) के बीच मतभेद के सवाल पर पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ क्या आप हमसे (कांग्रेस-जद (एस) से) उम्मीद करते हैं कि (सरकार) के गिरने के तुरंत बाद एक हो जाएं?’’ भाजपा को बहुमत बरकरार रखने के लिए जिन पंद्रह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं उनमें से कम से कम छह सीटों पर जीतना जरूरी है। राज्य में 224 विधानसभा सीटें हैं। जद (एस) नेताओं ने संकेत दिया है कि वह मध्यावधि चुनाव नहीं चाहते हैं।

बेंगलुरु। पूर्व प्रधानमंत्री और जद (एस) के संरक्षक एचडी देवगौड़ा ने पांच दिसंबर को होने वाले कर्नाटक उपचुनाव के संदर्भ में बुधवार को कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के फैसले पर गौर किया जाना चाहिये कि वह क्या निर्णय लेती हैं। देवगौड़ा ने कहा, ‘‘ चुनाव के बाद जो होगा उसके हिसाब से सर्वोच्च नेता सोनिया गांधी जो भी फैसला करेंगी वह कांग्रेस में सबको स्वीकार करना होगा। हमारे (जद-एस) के पास कोई भी सर्वोच्च नेता नहीं है। चुनाव के नतीजे आने के बाद हम देखेंगे कि क्या होता है।’’ 

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मैसुरु में पत्रकारों से उन्होंने कहा कि अगर गठबंधन सरकार रहती तो ऐसी स्थिति नहीं होती। गठबंधन सरकार गिरने के बाद कांग्रेस और जद(एस) के बीच मतभेद के सवाल पर पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ क्या आप हमसे (कांग्रेस-जद (एस) से) उम्मीद करते हैं कि (सरकार) के गिरने के तुरंत बाद एक हो जाएं?’’ भाजपा को बहुमत बरकरार रखने के लिए जिन पंद्रह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं उनमें से कम से कम छह सीटों पर जीतना जरूरी है। राज्य में 224 विधानसभा सीटें हैं।  जद (एस) नेताओं ने संकेत दिया है कि वह मध्यावधि चुनाव नहीं चाहते हैं।

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उन्होंने कहा है कि उपचुनाव के बाद भाजपा के बहुमत खोने की स्थिति में उनकी पार्टी की भूमिका पर नौ दिसंबर के बाद फैसला होगा। उपचुनाव के नतीजे नौ दिसंबर को आएंगे। इस बीच, राजस्व मंत्री आर अशोक ने बुधवार को आरोप लगाया कि हाल तक एक-दूसरे से लड़ रही कांग्रेस-जद(एस) ने उपचुनाव में हार के डर से ‘अंदरूनी समझौता’ किया है। मंत्री ने कहा, ‘‘ उन्होंने (कांग्रेस-जद(एस)) ने इस सरकार को गिराने का खाका तैयार किया है लेकिन राज्य के लोग भाजपा के साथ हैं और हम सभी 15 सीटें जीतेंगे।’’ कांग्रेस जद(एस) ने राज्य में 14 महीने तक गठबंधन सरकार चलाई थी और लोकसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा था। जुलाई में सरकार गिरने के बाद दोनों पार्टियों ने अपने रास्ते अलग-अलग कर लिए हैं। यह सरकार 17 विधायकों की बगावत की वजह से गिरी थी और वे निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।

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