Prabhasakshi NewsRoom: Manish Sisodia को मिली जमानत, 17 महीने बाद जेल से बाहर आयेंगे दिल्ली के पूर्व DCM

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प्रतिरूप फोटो
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हम आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार व धन शोधन मामलों में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे आज सुनाया गया।

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आज तब बड़ी राहत मिली जब उन्हें शराब घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गयी। सिसोदिया को जमानत मिलने का जहां आम आदमी पार्टी और विपक्ष के नेताओं ने स्वागत किया है वहीं भाजपा की सधी हुई प्रतिक्रिया सामने आई है। देखा जाये तो अब इस मामले में आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही जेल में रह गये हैं। सिसोदिया से पहले राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी जेल से बाहर आ चुके हैं।

हम आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार व धन शोधन मामलों में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे आज सुनाया गया। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। सिसोदिया की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने की थी और सीबीआई एवं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलीलें अदालत के समक्ष रखी थीं। हम आपको याद दिला दें कि मनीष सिसोदिया को रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण व कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं में संलिप्तता के लिए 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। ईडी ने उन्हें नौ मार्च 2023 को सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था। सिसोदिया ने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने जमानत का अनुरोध करते हुए तर्क दिया था कि वह 17 महीने से हिरासत में हैं और उनके खिलाफ मुकदमे की सुनवाई अभी तक शुरू नहीं हुई है। ईडी और सीबीआई ने उनकी जमानत याचिका का विरोध किया था। प्रवर्तन निदेशालय ने न्यायालय के समक्ष दावा किया था कि एजेंसी के पास ऐसे दस्तावेज हैं, जो दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में सिसोदिया की गहरी संलिप्तता का प्रमाण देते हैं।

ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ को बताया था कि यह कोई ‘‘मनगढ़ंत मामला’’ नहीं है क्योंकि ऐसे कई साक्ष्य हैं जो सिसोदिया के सीधे तौर पर संलिप्त रहने का संकेत देते हैं। वहीं दूसरी ओर इन मामलों की प्रगति में देरी का उल्लेख करते हुए, मनीष सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा था कि सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में कुल 493 गवाह और 69,000 पृष्ठों के दस्तावेज हैं। सिंघवी ने पीठ से कहा था, ‘‘मुझे (सिसोदिया को) 17 महीने बाद भी जेल में क्यों रहना चाहिए, यह (व्यक्ति की) स्वतंत्रता का बड़ा सवाल है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे जेल में रखने का उद्देश्य क्या है?’’ उनकी दलीलों का विरोध करते हुए राजू ने कहा था, ‘‘मेरे पास इस मामले में उनकी (सिसोदिया की) गहरी संलिप्तता को प्रदर्शित करने वाले दस्तावेज हैं। ऐसा नहीं है कि वह एक निर्दोष व्यक्ति हैं और उन्हें यूं ही उठा लिया गया।’’

राजू ने दलील दी थी कि इन मामलों में कार्यवाही में जांच एजेंसियों की ओर से कोई देरी नहीं हुई है और दोहरे मामलों में आरोपियों ने उन दस्तावेजों का अवलोकन करने में पांच महीने लगा दिए जो मुकदमे के लिए प्रासंगिक नहीं थे। राजू ने जब आबकारी नीति के विवरण का उल्लेख किया, तो पीठ ने पूछा था, ‘‘आप नीति और आपराधिकता के बीच रेखा कहां खींचते हैं?’’ 

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