नौकरशाह नहीं सुन रहे सांसदों की बात, लोकसभा में उठा मुद्दा

लोकसभा में आज सांसदों ने अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि पहले एक सांसद की शिकायत पर कमिश्नर तक का तबादला हो जाता था लेकिन आज सांसद के कहने पर क्लर्क तक का कुछ नहीं बिगड़ता और नौकरशाह तो उनकी बात तक नहीं सुनते। सदन में शून्यकाल में भाजपा के उदित राज ने यह मामला उठाते हुए कहा कि वह इस वर्ष जनवरी से लेकर अब तक विभिन्न विभागों को 1940 पत्र लिख चुके हैं जो विभिन्न शिकायतों को लेकर हैं लेकिन आज तक अधिकतर का कोई उत्तर नहीं आया है।
उदित राज ने कहा, ''हम लोग पावरलेस महसूस कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि नौकरशाहों के ऐसे रवैये से सांसदों की स्थिति खराब हो रही है। उन्होंने कहा कि जब वह सांसद नहीं थे तो उनके लिखे पत्रों का नौकरशाह फिर भी जवाब दे दिया करते थे और सकारात्मक उत्तर मिलता था लेकिन बतौर सांसद पत्र लिखने पर उन्हें टालने वाले जवाब मिलते हैं। लगभग सभी दलों के सदस्यों ने उदित राज की बात से सहमति जतायी। उदित राज ने कहा कि जब वह सांसद बनने से पूर्व नौकरशाह थे तो किसी सांसद की फर्जी शिकायत पर उनका तबादला हो गया था लेकिन आज एक क्लर्क तक का कुछ नहीं बिगड़ता।
उन्होंने कहा कि सांसदों की शिकायतों के निपटान और पत्रों का जवाब देने के लिए कोई व्यवस्था होनी चाहिए। और मंत्रियों को खुद सांसदों के पत्रों को देखना चाहिए। बीजद के भृतुहरि महताब ने हालांकि कहा कि इसके लिए एक प्रोटोकाल कमेटी है जहां शिकायत की जा सकती है और उदित राज जी को उसके बारे में पता है। वह पहले भी शिकायत कर चुके हैं।
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