What is Delhi Liquor Policy case Part 1 | दिल्ली के शराब घोटाले की पूरी कहानी | Teh Tak

Delhi Liquor Policy
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Apr 30 2024 7:47PM

: दिल्ली का शराब घोटाला क्या है, कौन-कौन हैं घोटाले के मुख्य किरदार, अब तक कितनी गिरफ्तारियां हुई, केजरीवाल की गिरफ्तारी में UN-अमेरिका और जर्मनी ने क्यों दिखाई दिलचस्पी, जेल से सरकार चलाने पर कानून क्या कहता है? दिल्ली के शराब घोटाले से क्या है तेलंगाना का कनेक्शन, के कविता का नाम कैसे आया? आइए लिए चलते हैं आपको पूरे मामले की तह तक।

कहते हैं कि अगर शराब की लत लग जाए तो न सिर्फ पीने वाले की जिंदगी तबाह हो जाती है। बल्कि पीने वाले के परिवार का भी सुख और चैन छिन जाता है। दुनिया में शराब पीकर बर्बाद होने वालों की कहानी तो आपने बहुत देखी और सुनी होगी। लेकिन दूसरों को शराब पिलाकर बर्बाद होने की बात जब भी चर्चा में आती है तो किंग ऑफ गुड टाइम्स वाले विजय माल्या का नाम सबसे ऊपर आ जाता है। पिछले तकरीबन दो साल से इस शराब ने दिल्ली सरकार का चैन छीन रखा है। तमाम गिरफ्तारियों के बाद 21 मार्च को ईडी की गिरफ्त में आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी आ गए। इससे पहले आप के कई बड़े चेहरे शराब नीति मामले में जेल में हैं। 26 फरवरी 2023 को दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सीबीआई की तरफ से गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने 4 अक्टूबर को फिर आप के एक और बड़े चेहरे राज्यसभा सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार किया। हालांकि अब वो जमानत पर बाहर हैं। दिल्ली शराब घोटाले में दो केस चल रहे हैं। एक केस सीबीआई ने दर्ज किया है और दूसरा केस ईडी की तरफ से दर्ज किया गया है। दोनों जांच एजेंसियों ने दिल्ली शराब नीति मामले में कई कार्रवाई की है। ऐसे में ये दिल्ली का शराब घोटाला ट्रेंडिग टॉपिक बना हुआ है। क्या है पूरा मामला विस्तार से समझते हैं। 

इसे भी पढ़ें: चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल को क्यों किया गया गिरफ्तार, सुप्रीम कोर्ट ने ED से मांगा जवाब

कैसे शुरू हुआ सबसे बड़ा सियासी ड्रामा 

केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को दिल्ली में नई शराब नीति लागू की थी। नई पॉलिसी लागू होने के बाद से दिल्ली सरकार ने शराब बेचने के कारोबार से खुद को अलग कर लिया था। दावा किया गया कि दिल्ली सरकार शराब से ज्यादा कमाई करेगी। नई शराब नीति के तहत केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में 850 शराब के दुकानों को शराब बेचने के लिए लाइसेंस दिए थे। इन शराब बेचने के दुकानों में पांच सुपर प्रीमियम दुकानों को शामिल किया गया था। लाइसेंस पाने वाले कुछ वेंडर्स को शराब की दुकानें 24 घंटे खोलने की इजाजत दी गई। जबकी कुछ होटल, क्लब और रेस्टोरेंट को रात तीन बजे तक खोलने की इजाजत दी गई थी। 

दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी ? 

केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति में दिल्ली को 32 जोन में बांटकर केवल 16 कंपनियों को ही डिस्ट्रिब्यूशन का अधिकार दिया गया था। आरोप लगा कि इससे कंपटीशन खत्म हो गया था। इतना ही नहीं नई शराब नीति में बड़ी कंपनियों के दुकानों पर तगड़ा डिस्काउंट मिलने की वजह से कई छोटे वेंडर्स को अपना लाइसेंस सरेंडर करना पड़ा। एक वार्ड में तीन ठेके खोलने के नियम की वजह से कई जगह पर लोगों ने भी इसका विरोध किया था। जिसकी वजह से महंगी बोली लगाकर लाइसेंस लेने वालों को तगड़ा नुकसान हुआ। 

दिल्ली सरकार को ही उठाना पड़ गया नुकसान 

दिल्ली सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी लाने को लेकर माफिया राज खत्म करने का तर्क दिया था। दावा किया गया था कि इससे सरकार के राजस्व में भी इजाफा होगा। दिल्ली में नई शराब नीति लागू हुई तो नतीजे सरकार के दावों के ठीक उलट आए। सरकार को नुकसान उठाना पड़ गया। कुछ महीने बाद ही दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आप सरकार की नई आबकारी नीति पर रिपोर्ट तलब की। 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव ने रिपोर्ट उपराज्यपाल को सौंपी। रिपोर्ट में नई आबकारी नीति बनाने में नियमों के उल्लंघन और टेंडर प्रक्रिया में खामियों का जिक्र किया गया। मुख्य सचिव की रिपोर्ट में नई आबकारी नीति में जेएनसीडीटी एक्ट 1991, ट्रांसजक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल 2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन बताया गया। 

मुख्य सचिव की रिपोर्ट में क्या कहा गया 

मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एयरपोर्ट जोन में लाइसेंसधारियों को 30 करोड़ रुपये वापस कर दिए गए। जबकि ये रकम जब्त की जानी थी। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने दुकाने खोलने की अनुमति नहीं दी थी। इसके साथ ही विदेशी शराब की कीमतें तय करने का फॉर्मूला संशोधित किया गया। बीयर पर 50 रुपये प्रति केस की एक्साइज ड्यूटी लेवी हटा दी गई। इससे होलसेलर के लिए विदेशी शराब सस्ती हो गई और सरकार की कमाई घट गई। कोविड के बहाने शराब कारोबारियों की 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी गई। रिपोर्ट के सामने आते ही जुलाई 2022 में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। सीबीआई जांच के आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति पर रोक लगा दी। अब अगले एपिसोड में आपको बताएंगे कि कैसे एलजी के आदेश के बाद दो एजेंसियां एक्टिव हुई और एक एक कर शराब घोटाले से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी शुरू हुई। इसके साथ ही आबकारी नीति के मुख्य किरदार कौन कौन से हैं। 

इसे भी पढ़ें: What is Delhi Liquor Policy case Part 2 | कौन-कौन हैं घोटाले के मुख्य किरदार | Teh Tak

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़