विश्व के सामने आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती, अंतरराष्ट्रीय कानून की जरूरत: देवेगौड़ा

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[email protected] । Dec 1 2018 6:24PM

आतंकवाद को दुनिया के समक्ष वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने शनिवार को कहा कि आतंकवाद कोई सीमा या धर्म को नहीं मानता और भारत लम्बे समय से प्रायोजित आतंकवाद से प्रभावित रहा है।

काठमांडू। आतंकवाद को दुनिया के समक्ष वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने शनिवार को कहा कि आतंकवाद कोई सीमा या धर्म को नहीं मानता और भारत लम्बे समय से प्रायोजित आतंकवाद से प्रभावित रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे में आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिये दुनिया के देशों को मिलकर अंतरराष्ट्रीय कानून बनाना चाहिए। एशिया प्रशांत शिखर सम्मेलन के प्रारंभिक सत्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व करते हुए देवेगौड़ा ने कहा कि वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद है। यह तेजी से बढ़ रहा है। यह लिंग, सीमा, धर्म का कोई भेद नहीं करता। आतंकवाद ऐसी बुराई है जो वैश्विक शांति, स्थिरता एवं प्रगति के मार्ग में बड़ी बाधा बन गया है।

उन्होंने कहा कि भारत लम्बे समय से प्रायोजित आतंकवाद से प्रभावित रहा है। एक छोटा आतंकी समूह भी बड़ी समस्या और चुनौती खड़ी कर रहा है। ऐसे में वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला वैश्विक सामूहिक प्रयासों से ही हो सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी स्थिति में आतंकवाद या किसी आतंकी समूह को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। इसे महिमामंडित करना ठीक नहीं है। देवेगौड़ा ने कहा कि हाल के वर्षो में कुछ अच्छी पहल हुई है। दुनिया आतंकवाद के बारे में सजग हुई है, आतंकवाद के वित्त पोषण के नेटवर्क पर लगाम लगाने की पहल शुरू हुई है लेकिन अब भी आतंकवाद के संबंध में कोई अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं बन पाया है।

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उन्होंने कहा कि आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिये अंतरराष्ट्रीय कानून जरूरी है। संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद के खिलाफ कानून का प्रस्ताव लंबित है। इसे मंजूर नहीं किया जा सका क्योंकि आतंकवाद की परिभाषा तय नहीं हो पायी है। इस पर दुनिया के सभी देशों को मिलकर पहल करने की जरूरत है तभी टिकाऊ विकास, शांति और स्थिरता कायम की जा सकती है। सम्मेलन को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री युसुफ रजा गिलानी ने कहा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री ने आतंकवाद का उल्लेख किया और वह इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि दुनिया में शांति एवं प्रगति के मार्ग को आतंकवाद बाधित कर रहा है।

गिलानी ने कहा कि मैं इस बात से सहमत हूं कि अच्छा आतंकवाद या बुरा आतंकवाद जैसी कोई बात नहीं होती है। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान भी लम्बे समय से आतंकवाद से प्रभावित है और अफागान युद्ध की पृष्ठभूमि में काफी संख्या में पाकिस्तान में शरणार्थी आए और आज भी लाखों की संख्या में वे मौजूद है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ अभियान शुरू किया था। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के कारण न केवल काफी संख्या में लोग मारे गए बल्कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई है।

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चीन के साथ चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा का जिक्र करते हुए गिलानी ने दावा किया यह गलियारा (सीपेक) चुनिंदा नहीं है बल्कि समावेशी स्वरूप का है जो सम्पर्क की दृष्टि से आगे बढ़ाया जा रहा है। गिलानी ने आरोप लगाया कि क्षेत्र में सीपेक के बारे में कुछ लोग दुष्प्रचार करने में लगे हैं जबकि इसे बंदरगार के विकास, विशिष्ठ आर्थिक क्षेत्र तैयार करने, आधारभूत संरचना के विकास की दृष्टि से आगे बढ़ाया जा रहा है। एशिया प्रशांत शिखर सम्मेलन, नेपाल 2018 का आयोजन 30 नवंबर से 3 दिसंबर तक काठमांडू में हो रहा है जिसका मुख्य विषय ‘हमारे समय की महत्वपूर्ण चुनौतियां: स्वतंत्रता, साझी समृद्धि और सार्वभौम मूल्य’ है। एशिया प्रशांत शिखर सम्मेलन, नेपाल का आयोजन यूर्निवर्सल पीस फेडेरेशन ने किया है जो दुनिया के कई देशों में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के साथ मिलकर काम कर रहा है।

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