मातोश्री से निकलकर चुनावी मैदान में ठाकरे, सियासी सफर का होगा इम्तिहान

महाराष्ट्र की वर्ली विधानसभा सीट से ठाकरे परिवार की लेटेस्ट पीढ़ी के नुमाइंदे चुनाव लड़ेंगे। माना जा रहा है कि इसके पीछे नई पीढ़ी केो शिवसेना नेताओं का दबाव और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर का महाराष्ट्र में शिवसेना के पक्ष में माहौल बनाने की कवायद है जिसकी वजह से पहली बार ठाकरे परिवार के किसी चेहरे की चुनावी मैदान में एंट्री हुई।
ऐसा शख्स जो मुबंई को देश की राजधानी बनाना चाहता था एक ऐसा शख्स जिसके दर पर विरोधी भी सिर झुकाने आते थे। एक ऐसा शख्स जिसने कभी चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में उनका दबदबा करीब पांच दशकों तक रहा। उस शख्स का नाम था बाल ठाकरे। जिन्होंने बिना चुनावी मैदान में उतरे शिवसेना को एक ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया जिसका दबदबा आज भी महाराष्ट्र की सियासत में है। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने अपने जीवन में तीन प्रतिज्ञाएं की थी। एक प्रतिज्ञा ये थी कि वो कभी अपनी आत्मकथा नहीं लिखेंगे। दूसरी प्रतिज्ञा ये थी कि वो कभी किसी तरह का चुनाव नहीं लड़ेंगे और तीसरी प्रतिज्ञा ये थी कि वो कभी कोई सरकारी पद नहीं हासिल करेंगे। सरकार से बाहर रहकर सरकार पर नियंत्रण रखना उनकी पहचान थी।
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53 साल के इतिहास में पहली बार सियासी मैदान में ठाकरे परिवार ताल ठोकता नजर आ रहा है। जिसके बाद महाराष्ट्र चुनाव की रोचकता थोड़ी और बढ़ गई है। महाराष्ट्र की वर्ली विधानसभा सीट से ठाकरे परिवार की लेटेस्ट पीढ़ी के नुमाइंदे चुनाव लड़ेंगे। माना जा रहा है कि इसके पीछे नई पीढ़ी केो शिवसेना नेताओं का दबाव और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर का महाराष्ट्र में शिवसेना के पक्ष में माहौल बनाने की कवायद है जिसकी वजह से पहली बार ठाकरे परिवार के किसी चेहरे की चुनावी मैदान में एंट्री हुई।
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