फडणवीस को शपथ दिलाने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय भाजपा के देवेंद्र फडणवीस को शपथ ग्रहण कराने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले को रद्द करने संबंधी शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस की याचिका पर सुनवायी शुरू हो गई है। याचिका में विधायकों की ‘‘आगे और खरीद फरोख्त’’ से बचने के लिए फौरन शक्ति परीक्षण कराने की भी मांग की गयी है।
Maharashtra political crisis: All eyes on Supreme Court today
— ANI Digital (@ani_digital) November 24, 2019
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न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ सुबह साढ़े 11 बजे याचिका पर सुनवायी करेगी। तीनों पार्टियों ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए उन्हें आमंत्रित करने का राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को निर्देश देने का भी अनुरोध किया। यह भी कहा गया है कि उनके पास 144 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने ‘‘भेदभावपूर्ण व्यवहार’’ किया और ‘‘भाजपा द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने में उन्होंने खुद को मोहरा बनने दिया’’। तीनों दलों ने 24 घंटे के भीतर तुरंत शक्ति परीक्षण कराने का भी अनुरोध किया, ताकि विधायकों की खरीद-फरोख्त को और महा विकास आघाडी (एमवीए) को मिलाकर किसी भी तरह से सत्ता हासिल करने के अवैध प्रयासों को रोका जा सके।
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तीनों दलों की तरफ से वकील सुनील फर्नांडिस द्वारा दायर याचिका में कहा गया, ‘‘...राज्यपाल ने भेदभावपूर्ण तरीके से काम किया और राज्यपाल पद की गरिमा का मजाक बनाया।’’ इसमें कहा गया कि कोश्यारी का शनिवार का कृत्य ‘‘23 नवंबर को शपथ ग्रहण कराना केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के इशारे पर राज्यपाल के काम करने का सटीक उदाहरण है।’’ याचिका में कहा गया कि इस मामले के तथ्य दर्शाते हैं कि राज्यपाल ने ‘‘संवैधानिक पद की गरिमा को कमतर किया और अवैध तरीके से सत्ता हड़पने की भाजपा की इच्छा के लिये खुद को मोहरा बना दिया।’’ फर्नांडिस के जरिये दायर याचिका में दावा किया गया है कि ‘‘भाजपा की अल्पमत वाली सरकार’’ बनवाने का राज्यपाल का कार्य अवैध और असंवैधानिक है। इसमें आगे कहा गया कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस गठबंधन के पास 288 सदस्यीय विधानसभा में संयुक्त रूप से ‘‘स्पष्ट बहुमत’’ है और यह स्पष्ट है कि भाजपा के पास ‘‘144 विधायकों का जरूरी आंकड़ा नहीं है।’’
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